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आज महाराणा प्रताप की जयंती पर चलिये कुम्भलगढ़

महाराणा प्रताप (९ मई, १५४०- १९ जनवरी, १५९७) उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे. हिंदू कलेंडर के अनुसार उनका जन्म ज्येष्ठ शुक...

मणिपुर और श्री श्री गोविंदाजी मंदिर

'जन्‍माष्‍टमी की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं'
मणिपुर
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आईये चलें एक नए राज्य की सैर पर..यह राज्य है मणिपुर.
Manipurयह राज्य भारत के पूर्वी सिरे पर स्थित है.इसके पूर्व में म्‍यांमार (बर्मा) और उत्तर में नागालैंड राज्‍य हैं , इसके पश्चिम में असम राज्‍य और दक्षिण में मिजोरम राज्‍य और म्‍यामांर हैं.कुल क्षेत्रफल 22,327 वर्ग किलो मीटर है.
इस राज्य में जिले हैं.
राजधानी इम्फाल’ है.भाषा मणिपुरी बोली जाती है. manipur-travel-map
मणिपुर में भौतिक रूप से दो भाग हैं, १-पहाडियां और २-घाटी
पहाडियों से घिरी मध्य भाग में घाटी है.पहाडियां राज्‍य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 9/10 भाग घेरती हैं!यह पर्वतीय श्रृंखला उत्तर में ऊंची है और धीरे धीरे मणिपुर के दक्षिणी हिस्‍से में पहुंचने पर इसकी ऊंचाई कम हो जाती है.
अधिकारिक site के अनुसार जनसंख्‍या 2,293,८९६ है.
राज्‍य की अर्थव्‍यवस्‍था का मुख्‍य आधार कृषि और संबद्ध गतिविधियां ही हैं लेकिन बढ़ती आबादी के कारण कृषि की हालत भी कमजोर है.
राज्‍य में कृषि के बाद रोजगार की सबसे अधिक संख्‍या प्रदान करने वाला सबसे बड़ा कुटीर उद्योग हथकरघा उद्योग है.मणिपुरकी साडिया,शोलें बहुत प्रसिद्द हैं.हरथकरघा बुनाई का पारंपरिक कौशल यहां की महिलाओं के लिए न केवल आय का स्त्रोत और प्रतिष्‍ठा का प्रतीक है बल्कि यह उनके सामाजिक – आर्थिक जीवन का एक अविभाज्‍य अंग है.सीमा व्‍यापार को बढ़ावा देने के लिए सीमावर्ती शहर मोरेह में वेयरहाउस, सम्‍मेलन कक्ष और ठहरने की सुविधा के लिए एक केंद्र भी राज्य सरकार ने स्‍थापित किया गया है.
प्राकृतिक संपदा से भरपूर-- Lilium mackliniae
राज्य में घने और खुले वन है, जो राज्‍य के भौगोलिक क्षेत्र का 77.12 प्रतिशत है!
मणिपुर के उखरूल जिले के शिराय गांव के वनो में स्‍वर्गपुष्‍प कहे जाने वाले शिराय लिली (लिलियम मैक्‍लीनी) फूल मिलते है, जो विश्‍व में किसी भी अन्‍य स्‍थान में नहीं होते.imphal valley
इसी प्रकार जूको घाटी में दुलर्भ प्रजाति‍ के जूको लिली (लिलियम चित्रांगद) पाए जाते है। ज्ञात रहे कि मणिपुर अपनी जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है. यहां कई तरह के दुर्लभ पेड़ पौधे और जीव-जंतु भी पाए जाते है.
Loktak Lake
Sangai यह ‘संगाई’ हिरण (सेरवस इल्‍डी इल्‍डी) का भी निवास स्‍थान है, जो विश्‍व की दुर्लभ नस्‍लो में एक है. यह केबुल लामजाओ के प्राकृतिक अधिवास क्षेत्र में पाया जाता है.
1977 में इस अधिवास कोराष्‍ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया है-- इसकी अनोखी विशेषता तैरता हुआ पार्क है जिसमें ’फुमडी’ नाम की वनस्‍पति उगती है. संगाई हिरण इसी वनस्‍पति पर निर्भर है.
इसके अलावा भांगोपोकपी लोकचाओ वन्‍यप्राणी अभयारण्‍य को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है.
और हाँ ..यहाँ के वनों में टेक्‍सस बकाटा, जिनसेंग जैसे दुर्लभ औषधीय पौधे भी पाए जाते है.
जानते हैं इस राज्य के इतिहास के बारे में--
ऐसा माना गया है कि ईसा से पूर्व भी यहाँ का इतिहास बहुत शानदार रहा है.राजवंशों का लिखित इतिहास सन् ३३ [तैतीस]से मिलता है.यह इतिहास पखंगबा के राज्‍यभिषेक के साथ शुरू होता है और उसके बाद कई राजाओं ने यहाँ राज्य किया.मणिपुर की स्‍वतंत्रता और संप्रभुता 19वीं सर्दी के शुरू तक बनी रही.मगर उस के बाद (1819 से 1825 तक) बर्मी लोगो ने यहां पर कब्‍जा करके शासन किया.ब्रिटिश शासन ने १८९१ में इस पर कब्जा किया.1947 में बाकि देश के साथ स्‍वतंत्र हुआ. 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने पर यह एक मुख्‍य आयुक्‍त के अधीन भारतीय संघ में भाग ‘सी’ के राज्‍य के रूप में शामिल हुआ था.
21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्‍य का दर्जा मिला और उस समय 60 निर्वाचित सदस्‍यों वाली विधानसभा गठित की गईं.
यहाँ मनाये जाने वाले त्यौहार--
कहते हैं मणिपुर में पूरे साल ही कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है..
प्रमुख त्‍योहार हैं-- लाई हारोबा, रास लीला, चिरओबा, निंगोल चाक-कुबा, रथ यात्रा, ईद-उल-फितर, इमोइनु, गान-नागी, लुई-नगाई-नी, ईद-उल-जुहा, योशांग(होली) दुर्गा पूजा, मेरा होचोंगबा, दिवाली, कुट तथा क्रिसमस आदि
मणिपुर कैसे जाएँ?--
१-सड़कें: 3 राष्‍ट्रीय राजमार्ग - i) रा. रा. - 39, ii) रा. रा - 53 और iii) रा. रा १५० हैं.
सभी पडोसी राज्यों से सड़क मार्ग से आवागमन की सुविधा है.
२-उड्डयन: इम्‍फाल हवाई अड्डा पूर्वोत्तर क्षेत्र में राज्‍य का दूसरा सबसे बड़ा हवाई अड्डा है, जो क्षेत्र के क्षेत्र को आइजोल, गुवाहाटी, कोलकाता, सिल्‍चर और नई दिल्‍ली को जोड़ता है.
३-रेलवे: मई 1990 में जिरिबाम तक रेल लाइन पहुंचाने के साथ ही यह राज्‍य भी देश के रेल-मानचित्र में शामिल हो गया है. यह इंफाल से 225 कि.मी. दूर है. इंफाल से 215 कि.मी. की दूरी पर स्थित दीमापुर निकटतम रेलवे स्‍टेशन है.
क्या देखें??-
मुख्‍य पर्यटन केंद्र हैं-—
कांगला, श्री श्री गोविंदाजी मंदिर,ख्‍वाराम्‍बंद बाजार (इमाकिथेल), युद्ध स्‍मारक, श‍हीद मीनार, नूपी लेन (स्त्रियो का युद्ध) स्‍मारक परिसर, खोगंमपट्ट उद्यान, विष्‍णु मंदिर, सेंदरा, मारह, सिरोय गांव सिरोय पहाडिया, ड्यूको घाटी, राज्‍य संग्रहालय, केनिया पर्यटक आवास, खोग्‍जोम युद्ध स्‍मारक परिसर आदि.
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Mukhy Akarshan-
''सम्बन्लेई सेकपिल''[sambanlei ]
sekpilon
इम्फाल में ही तीन किलोमीटर दूर गिनिस बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में दर्ज दुनिया का सब से लंबा पौधा ..Duranta repens Linn.-नीलकंठ के फूल का है.जो आम तौर पर २० फीट से ऊँचा नहीं बढ़ता.
' ''सम्बन ली सेकपिल 'नाम का यह अनोखा पौधा आसमान को जाने वाली सीढ़ी के नाम से भी मशहूर है.इस समय इस की ऊँचाई ६१ फीट है और इसमें ४४ पायदान बनायी गयी हैं.
Shri Moiranthem Okendra Kumbi ने इसे उगाया है और वही इस को इस तरह से बढा कर रहे हैं.विस्तार से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें-http://imphalwest.nic.in/sambanlei.html
['Samban-Lei Sekpil' the tallest Topiary in the World]
पश्चिमी इम्फाल में आप श्री श्री गोविन्द जी का मंदिर देखने जाएँ तो इसे भी देखना न भूलें.
अब मैं आप को इम्फाल के श्री श्री गोविन्दजी के मंदिर के बारे में बताती हूँ--
radha krishna govindaji_temple

यह कान्गला किले के परिसर में ही बना हुआ है.
यह मंदिर १८ ४६ में महाराजा नारा सिंह [१८४४-१८४६ ]के शासन काल में बनवाया गया था.इस मंदिर का खासा ऐतिहासिक महत्व बताया जाता है.यह मणिपुर के पूर्व शासकों के महल कान्ग्ला के पास ही बनवाया गया था.
१८६८ में आये भूकम्प में इस मन्दिर को बहुत नुकसान हुआ था.राधा-गोविन्द जी कि मूर्ति को भी नुकसान पहुंचा महाराजा चन्द्र्कीर्ति[१८५९-८६] ने इस मन्दिर को दोबारा बनवाया.यह मन्दिर राधा-कृष्ण को समर्पित है.
इस मंदिर के ऊपर दो खूबसूरत सुनहरे गुम्बद हैं.और बाहर लगी है एक बहुत बड़ी घंटी.
Govindji temple a viewgovind ji temple bell tower govindjee temple ki bell
मंदिर में मुख्य रूप से विष्णु जी की मूर्ति है जिस के एक तरफ राधा -गोविन्द ,बलराम ,और कृष्ण की मूर्ति हैं उनके दूसरी तरह जनन्नाथ ,बालभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ लगी हुई हैं.
मदिर के दखिन-पश्चिम की तरफ ’ रासमंडल ’एक पवित्र जगह है,यहां रासलीला प्रस्तुत की जाती है.
manipur dance2 raasleela
त्योहारों के समय इस मंदिर की रौनक देखते ही बनती है.
होली[दोलिजात्रा ] के समय यहाँ पांच दिन ख़ास आयोजन होते हैं.वह समय यहाँ आने के लिए सर्वश्रेष्ठ है.उन दिनों सारी रात लड़के लड़कियां यहाँ का लोक नृत्य' थाबल चंग्बा 'करते हैं.
mandir mein होली के पर्व की कुछ तस्वीरें--
Manipur danceholi fest2
manipur-thabal chongbagovind ji temple -holi-fest
govindjee temple -holi celebrations-manipurgovindji temple mein pichkari day
References-
http://imphalwest.nic.in/
http://cicmanipur.nic.in
***ShriKhrishn Janmashtami ki Hardik Shubhkamnaye***
--Alpana

2 comments:

RAJIV MAHESHWARI said...

मुझे आपके इस सुन्‍दर से ब्‍लाग को देखने का अवसर मिला, नाम के अनुरूप बहुत ही खूबसूरती के साथ आपने इन्‍हें प्रस्‍तुत किया आभार् !!

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर .. जन्‍माष्‍टमी की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!