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आज महाराणा प्रताप की जयंती पर चलिये कुम्भलगढ़

महाराणा प्रताप (९ मई, १५४०- १९ जनवरी, १५९७) उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे. हिंदू कलेंडर के अनुसार उनका जन्म ज्येष्ठ शुक...

वृंदावन ,मथुरा (April,2023)

 छुट्टियों वाले दिनों में किसी भी पर्यटन स्थल पर जाने से बचना चाहिए ,परंतु यदि कोई अन्य विकल्प न हो तो जाना भी पड़ता है ,बस सावधानी रखनी होती है कि भीड़ से बचें । रहने/रुकने की व्यवस्था पहले से कर के जाएँ। 

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वृंदावन के रास्ते ,कई मंदिर ,कई आश्रम  

 

 

वृंदावन ,मथुरा जाना हुआ ।
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प्रेम मंदिर में लाइट शो शाम 7 30 बजे होता है इसलिए शाम को ही वहाँ जाना तय हुआ । प्रेम मंदिर में रोशनी रंग बदलती हैं
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राम -सीता जी झूले पर ,विद्युत चालित झाँकियाँ ,बेहद सुंदर।
शायद एकादशी होने के कारण या क्या था कि उस दिन और दूसरे दिन इतनी भीड़ रही जिसके लिए वहाँ के मूल निवासी भी हैरान थे। दो लाख की आबादी वाले कस्बे में एक लाख बाहरी लोग आ जायें तो क्या हालत होगी ,सोच सकते हैं! मुख्य मार्केट और सड़क पर दूर-दूर तक निगाह डालें तो लोग ही लोग नजर आ रहे थे।
कोविड के दौर के बाद शायद लोग अनिश्चितता में जी रहे हैं इसलिए अपनी wish list को यथासंभव पूरा करने में लगे हैं! 
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बंदरों की बहुत मौज है यहाँ । इसलिए मोबाइल और दूसरा सामान छुपा कर रखना पड़ता है।
बाँके बिहारी जी के मंदिर वाले रास्ते में ही चार लोगों के हाथ से छीन ले गए ।
बाबा नीब करौरी जी के समाधि स्थल पर भी बहुत बंदर हैं।
कुछ तस्वीरें जो ले सकी ,साझा कर रही हूँ। 
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वृंदावन में संग्रहीत सामान ////नीब करौरी बाबा का समाधि स्थल/नीब करौरी बाबा जी का कंबल जो उनके अंतिम समय से पहले वृंदावन तक पहुँचने की यात्रा में कंधे से गिर गया था ,जिसे उन्होंने उठाया नहीं। 
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वे अंतिम समय शरीर त्यागने से पूर्व कैंची धाम से वृंदावन आ गए थे।
 
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बढ़िया पेड़े बाँके बिहारी जी मंदिर की गलियों की दुकान से ही लें।
 
 
 
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यमुना बहुत ही शांत नदी लगी। 
😇

नाहरगढ़ (जयपुर ) राजस्थान

 30 March राजस्थान दिवस होता है जब यहाँ Free entry होती है। शायद अन्य ऐतिहासिक इमारतों में भी फ्री प्रवेश  होता हो।
2018 में टिकट 50 रुपये था।
जयपुर रेलवे स्टेशन से कोई 6 किलोमीटर दूर अरावली पर्वतमाला पर  नाहरगढ़ दुर्ग का निर्माण सवाई जयसिंह  द्वितीय ने जयपुर की सुरक्षा के लिए सन 1734 में करवाया था। 

नाहरगढ़ किला


यहाँ स्थित 'माधवेन्द्र भवन' को महाराज  सवाई माधोसिंह द्वितीय ने  बनवाया था। 



दुर्ग में बावड़ियाँ और विशाल टाँका है साथ ही युद्ध सामग्री रखने के लिए शस्त्रागार ,सैनिकों के लिए बैरक बनवाए । महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के समय राज्य का खज़ाना नाहरगढ़ में रखा जाता था/ इस किले की चारदीवारी नाहरगढ़ को जयगढ़ से जोड़ती है। 

दुर्ग


रानियाँ भी कभी-कभी यहाँ समय बिताती थीं। इंडो यूरोपियन कला के नमूने दीवारों पर की गई कलाकारी से मिलते हैं।
दुर्ग के अलावा यहाँ कई आकर्षण हैं-वैक्स म्यूज़ीअम (इसका अलग से टिकट है ),शीश महल (कुछ विशेष नहीं ),रेस्टोरेंट,फूड कोर्ट ,एम्फथीअटर
नाहर  बाबा का छोटा सा मंदिर भी है। 

मूर्तिकला उद्यान




यहाँ sunset पॉइंट है शाम को जिसे देखने लोग आया करते हैं । यह दुर्ग शाम 5 30 बजे बंद हो जाता है । वहीं पास में कोई प्राइवेट रेस्टोरेंट है जहाँ शाम को 5 30 के बाद भी लोग आते हैं। 

जयपुर शहर ,किले से

रेस्टोरेंट

टाँका




नाहरगढ़ का रास्ता जंगल जैसा है ,पहाड़ पर है इसलिए चढ़ाई है गाड़ी जा सकती है। ऑटो जाते हैं। ऑटो से जा रहे हैं तो उसी को वापसी के लिए बुक रखें क्योंकि वापसी के लिए साधन नहीं मिलते।
यह एक अभेद किला है। इस पर कभी हमला नहीं हुआ।