छुट्टियों वाले दिनों में किसी भी पर्यटन स्थल पर जाने से बचना चाहिए ,परंतु यदि कोई अन्य विकल्प न हो तो जाना भी पड़ता है ,बस सावधानी रखनी होती है कि भीड़ से बचें । रहने/रुकने की व्यवस्था पहले से कर के जाएँ।
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वृंदावन के रास्ते ,कई मंदिर ,कई आश्रम |
वृंदावन ,मथुरा जाना हुआ ।

प्रेम मंदिर में लाइट शो शाम 7 30 बजे होता है इसलिए शाम को ही वहाँ जाना तय हुआ । प्रेम मंदिर में रोशनी रंग बदलती हैं


राम -सीता जी झूले पर ,विद्युत चालित झाँकियाँ ,बेहद सुंदर।
शायद एकादशी होने के कारण या क्या था कि उस दिन और दूसरे दिन इतनी भीड़ रही जिसके लिए वहाँ के मूल निवासी भी हैरान थे। दो लाख की आबादी वाले कस्बे में एक लाख बाहरी लोग आ जायें तो क्या हालत होगी ,सोच सकते हैं! मुख्य मार्केट और सड़क पर दूर-दूर तक निगाह डालें तो लोग ही लोग नजर आ रहे थे।
कोविड के दौर के बाद शायद लोग अनिश्चितता में जी रहे हैं इसलिए अपनी wish list को यथासंभव पूरा करने में लगे हैं!

बंदरों की बहुत मौज है यहाँ । इसलिए मोबाइल और दूसरा सामान छुपा कर रखना पड़ता है।
बाँके बिहारी जी के मंदिर वाले रास्ते में ही चार लोगों के हाथ से छीन ले गए ।
बाबा नीब करौरी जी के समाधि स्थल पर भी बहुत बंदर हैं।
कुछ तस्वीरें जो ले सकी ,साझा कर रही हूँ।

वृंदावन में संग्रहीत सामान ////नीब करौरी बाबा का समाधि स्थल/नीब
करौरी बाबा जी का कंबल जो उनके अंतिम समय से पहले वृंदावन तक पहुँचने की
यात्रा में कंधे से गिर गया था ,जिसे उन्होंने उठाया नहीं।

वे अंतिम समय
शरीर त्यागने से पूर्व कैंची धाम से वृंदावन आ गए थे।
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बढ़िया पेड़े बाँके बिहारी जी मंदिर की गलियों की दुकान से ही लें। |

यमुना बहुत ही शांत नदी लगी।

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