नंदी हिल्स [कर्णाटक]
चलते हैं एक ठंडे पहाडी स्थान पर,जिसे नंदी हिल्स के नाम से ख्याति प्राप्त है.
यह स्थान कर्नाटक राज्य में है और यह कर्णाटक राज्य भारत के दक्षिण राज्यों में से एक है .
इस राज्य की स्थापना १९५६ में हुई थी,इस का नाम मैसूर स्टेट था जिसे बदल कर १९७३ में कर्णाटक कर दिया गया.
इस के पश्चिम तट को अरब सागर छूता है .गोवा,तमिलनाडु,केरला,आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र इस के पडोसी राज्य हैं.क्षेत्रफल के हिसाब से यह भारत का ८ वां बड़ा राज्य है.कन्नड़ यहाँ की मुख्य भाषा है.इस राज्य में 27 जिले हैं और यहाँ के कर्णाटक संगीत के बारे में कौन नहीं जानता?
कर्नाटक को अगरबत्ती, सुपारी, रेशम, कॉफी और चंदन की लकडी की राजधानी भी कहा जाता है.इसके अलावा यहां पर शिक्षित और प्रशिक्षित तकनीकी जनशाक्ति विशेष रूप से इंजीनियरिंग, प्रबंधन और आधारभूत विज्ञान के क्षेत्रों में, प्रचुर संख्या में उपलब्ध हैं.कुल जनसंख्या में से 60 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते है और उनका मुख्य व्यवसाय कृषि है..
कर्नाटक में पर्यटन आकर्षण के कुछ ख़ास स्थान इस प्रकार हैं-:
पूर्व की महाराजाओं की राजधानी मैसूर, वृन्दावन गार्डन और नजदीक स्थित श्री रंगापट्टनम श्रावण बेलगोला स्थित गोमातेश्वर की प्रसिद्ध एकाश्म मूर्ति (59 फीट ऊँची), बेलूर, हेलबिड, और सोमनाथपुर जहाँ प्रसिद्ध होयसाला इमारतें हैं, बादामी, एहोल और पट्टकल जहाँ 1300 वर्ष पुराने चट्टानों से बनाए गए पुराने ढाँचागत मंदिर है, हम्पी, प्रसिद्ध ओपन एयर मयूजियम (प्राचीन विजयनगर),
गुलबर्ग बदिर और बीजापुर जो इण्डो-सारासेनिक इमारतों के लिए प्रसिद्ध है , दक्षिण कन्नड, उडूपी और उत्तरी कन्नड जिला [जहां खूबसूरत तट है.]--पत्तनों के लिए मंगलौर और कारवार, आकर्षक किलों के लिए चित्रदुर्ग, बीयर, बासाव कल्याण और गुलबर्ग; बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, बानघटा नेशनल पार्क; रंगनथितु; कोक्करे बेलूर; मंडागडे, गुदावी, अट्टीवेरी (प्रसिद्ध पक्षी अभ्यारण्य); जोग, सथोडी, शिवनासमुद्र, मोगोड, गोकक, अब्बे, उन्चाली, इरूपु, हेब्बे, कलहटी (खूबसूरत झरने); मादीकेरी, केम्मानुगुन्डी, बी.आर.हिल्स, नंदी हिल्स, कुदरेमुख, कोदाचदरी [गर्मियों में ठंडे और मनोरम पहाडी स्थान हैं.]
इसके अतिरिक्त, दशहरा, हम्पी, चालुक्य, कदम्ब, होयसाला, कोदागु और करागा त्यौहार कर्नाटक की कला और संस्कृति से परिचय कराते हैं.
बंगलोर या कहिये बंगलुरु यहाँ की राजधानी है.कर्णाटक के बारे में लिखने को बहुत कुछ है ,और देखने को भी बहुत ही
सुन्दर और मनोरम स्थल हैं मगर फिर कभी इस के समृद्ध इतिहास और संस्कृति के बारे में जानेंगे .
आज हम आप को बताएँगे नंदी हिल्स या नंदी पर्वतमाला के बारे में-
बंगलुरु से ६० किलोमीटर की दूरी पर और समुद्र से १४७८ मीटर की ऊँचाई पर ,चिक्बालापुर जिले में स्थित इस स्थान को बहुत कम लोग जानते हैं.इस लिए यहाँ पर्यटकों की भीड़ भी बहुत कम होती है.यह एक पिकनिक स्पॉट के रूप में ज्यादा जाना जाता है.
यहाँ पर्यटकों के लिए सुन्दर पार्क हैं.यहाँ हरियाली तो है ही ,बहुत ही सुन्दर पक्षी भी यहाँ देखने को मिल जायेंगे.गर्मियों में ठंडी हवाओं का आनंद लेते हुए,फुर्सत से सुबह से शाम तक का समय प्रकृति की गोद में भीड़ भाड़ से दूर गुजारने के लिए यह बेहद रोचक स्थान है .यूँ तो सरकारी रेस्तरां -'मोर्या' है मगर आप अपने साथ खाने पीने का सामान भी ले जा सकते हैं..
और हाँ, बंदरों से अपना सामान बचा कर रखीये.आप के हाथ से सामान छीन कर ले जा सकते हैं.
जानते हैं यहाँ के इतिहास के बारे में-
चोला राजाओं के शासन के समय इस पर्वत को आनंद गिरी कहा जाता था.नंदी पर्वतमाला को पहले नंदी दुर्ग के नाम से भी पुकारते थे.नंदी पर्वतमाला का नाम यहाँ स्थित प्राचीन नंदी मंदिर से पड़ा है.
टीपू सुलतान के गर्मियों के आवास स्थान का प्रवेश द्वार .
हैदर अली[टीपू सुलतान के पिताजी ]और टीपू सुलतान ने पहले से बने किले को विस्तार दिया ,उनके पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने यहाँ के ठंडे मौसम के कारण यहाँ पर सरकारी बंगले और बागीचे बनवा दिए और इस जगह को एक हिल स्टेशन के रूप में विकसित किया.जनरल कब्बन के निवास स्थान को अब होटल की तरह इस्तमाल किया जाता है.
नंदी हिल्स में देखने की प्रमुख जगहें-:
1-यहीं पुराना मंदिर जिसमें नंदी बैल की हज़ार साल पुरानी मूर्ति है,और शिवजी -पार्वती के प्राचीन मंदिर भी हैं.
नंदी की प्राचीन मूर्ति की तस्वीर
2-किला-
गंगा काल में यह किला चिक्काबल्लापुर के मुखिया ने बनवाया था ,जिसका हैदर अली और टीपू सुलतान ने मरम्मत और विस्तार किया. यह किला टीपू सुलतान की गर्मियों में रहने की जगह थी जिसे वह तश्क -ऐ -जन्नत कहते थे. इस किले में ऐसी व्यवस्था थी की एक सैनिक छुप कर एक समय पर चार दिशाओं में शूट कर सकता था.दिवार और
छत पर बनी पेंटिंग बुरी हालत में हैं.यह महल आम जनता के देखने के लिए बंद है.
3-यहाँ पश्चिम में एक गुप्त सुरंग भी है.
4-किले के उत्तर पूर्व में टिप्पू के सैनिकों के घोडों की चढाई के लिए एक मार्ग है.
5-टिप्पू ड्राप-
[चित्र देखीये ]
यह एक ऐसी जगह जहाँ से टीपू सुलतान के आदेश पर उनके दुश्मनों को गिराया जाता था. यहाँ से गिर कर मौत निश्चित है.क्योंकि यह एक सपाट चट्टान है और कहीं भी कोई पेड़ पौधा नहीं है. इस जगह से कई लोगों ने आत्महत्या की हैं.ऐसा वहां के स्थानीय लोगों का कहना है. एक बार कर्णाटक के शिवमोगा जिले के एक प्रेमी जोड़े रावी और वेद ने यहाँ से कूद कर अपनी जान दे दी थी ,उस घटना के बाद सरकार ने इस जगह की फेंसिंग करवा दी.
6-अमूर्त सरोवर-
पहाडियों से गिरता पानी यह सरोवर बनाता है यह सरोवर कभी सूखता नहीं है.
7-फ़ुट हिल्स में पुरातत्व महत्व के भगवान् नरसिंह के मंदिर भी हैं.
8- ,गाँधी निलय,और नेहरु हाउस संग्रहालय और सरकारी गेस्ट हाउस हैं.
9-नंदी हिल्स में ब्रह्मश्रम नामक एक गुफा है जिसे संत रामकृष्ण परमहंस का साधना स्थल बताया जाताहै.
10-श्री एम् .विस्वेस्वराया जिन्हें आधुनिक कर्नाटका का निर्माता कहा जाता है ,उनका घर जिसे अब म्यूज़ियम बना दिया गया
है,नंदी हिल्स से कुछ दूरी पर स्थित मुद्देनाहाली में है.
** **ज्ञात हो ,पेन्नर,अरकावती ,पलार,पोनियार -नंदी हिल्स से निकलने वाली नदियाँ हैं.
कैसे जाएँ-
-नंदि दुर्ग तक जाने के लिए-
KSRTC [कर्णाटक पर्यटन विभाग ]की हर रोज़ बस सेवाएं उपलब्ध हैं.
-कार /जीप किराए पर या ड्राईवर के साथ ले सकते हैं.
-अपनी बाईक पर लम्बी राईड पर जाना हो तो यह रास्ता बहुत ही अच्छा है.
कब जाएँ-
वर्ष पर्यंत
-खबरों में-
[इंडो-एशियन न्यूज सर्विस-अप्रिल२००९] दुनिया की जानीमानी कंपनी मैरियट इंटरनेशनल ने ने बंगलौर के प्रमुख भवन निर्माता प्रेस्टीज समूह के साथ मिलकर नंदी हिल्स के पास 275 एकड़ भूमि पर 300 कमरों का ,18 होल वाले गोल्फ कोर्स से युक्त एक पांच सितारा रिसोर्ट होटल बनाने का फैसला किया है.प्रेस्टीज समूह के मुखिया इरफान रजक के अनुसार यह होटल 2010 तक चालू हो जाएगा।
References-
Official site of Karnataka.
Wikipedia.
Map of india.com
Please note--Except Nandi old statue picture All other pictures of nandi hills [posted here] are taken by GAURAB,My sincere thanks to him.
[Pictures-You can view them bigger by clicking on them.]
-Alpana
2 comments:
एक बार ही वहां जाना हुआ वह भी चार दशकों से अधिक हो गए. अब यादें ताज़ी हो रही हैं. नेल्लिकाई बसवन्ना चोल समय की भद्दी सी मूर्ति है. नेल्लिकाई का अर्थ होता है "आंवला". उसके सामने एक आंवले का पेड़ था. कर्णाटक को पूरी तरह से देखना हो तो कम से कम १५ दिन लगेंगे. इतना समृद्ध है. बहुत सुन्दर आलेख. आभार.
बहुत शानदार जानकारी है, आभार.
{ Treasurer-T & S }
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