नासिक [महाराष्ट्र ] -:
गोदावरी नदी के तट पर स्थित यह नगर हिन्दू तीर्थ यात्रियों के लिए प्रमुख है.महाराष्ट्र राज्य में यह शहर मुम्बई से लगभग 170 किमी और पुणे से २०५ किमी दूर है.पुराणों के अनुसार यह वह पावन धरती है जहां भगवान राम, सीता और रामानुज के पतितपावन चरण पडे हैं राम घाट पर कहते हैं स्वय भगवान राम ने डुबकी लगाई थी.
यहाँ बहुत से सुंदर मंदिर और घाट हैं,त्योहारों के समय बहुत रौनक रहती है.अंगूर और सतंरों के मामले में नासिक हिन्दुस्तान का सबसे बडा केन्द्र बताया जाता है.
नाशिक शक्तिशाली सातवाहन वंश के राजाओं की राजधानी थी. मुगल काल में इस शहर को गुलशनबाद के नाम से जाना जाता था.डॉ. अम्बेडकर ने १९३२ में नाशिक में अस्पृश्यता आंदोलन और जन आंदोलन चलाया था.
बारह साल में चार बार लगने वाला कुंभ मेला यहाँ का मुख्य आकर्षण है.भारत में यह धार्मिक मेला चार जगहों[ नाशिक, इलाहाबाद, उज्जैन और हरिद्वार ]पर लगता है.श्रीराम के चरणों से पावन हुई यह पवित्र भूमि कुंभ नगरी भी कहलाती है.
नाशिक में 'कालाराम मंदिर' के अतिरिक्त अन्य मुख्य दर्शनीय स्थल-
१-पंचवटी [काला राम मंदिर से आगे गोदावरी तट से लगभग आधा मील पर) एक वटवृक्ष है. इसी स्थान को लोग पंचवटी कहते हैं].पवित्र पौराणिक नदी गोदावरी का उद्गम तो त्र्यंबक के पास है; किंतु यात्री पंचवटी में गोदावरी-स्नान करते हैं.
रामकुंड, सीताकुंड, लक्ष्मणकुंड, धनुषकुंड यहां के प्रसिद्ध तीर्थ हैं। स्नान का मुख्य स्थान रामकुंड है . रामकुंड में शुक्लतीर्थ माना जाता है,रामकुंड के पास स्थित गोमुख से अरुणा की धारा गोदावरी में गिरती है. इसे अरुणा-संगम कहते हैं . इसके पास सूर्य, चंद्र तथा अश्विनी तीर्थ हैं। यहां यात्री मुंडन कराके पितृश्राद्ध करते हैं .रामकुंड के दक्षिण में पास ही अस्थिविलय तीर्थ है, वहां मृतपुरुषों की अस्थियां डाली जाती हैं. रामकुंड के उत्तर में ही प्रयाग तीर्थ माना जाता है.
रामकुंड के पीछे सीताकुंड है, उसे अहिल्याकुंड और शाङ्र्गंपाणि कुंड भी कहते हैं। उसके दक्षिण दो मुखवाले हनुमान (अग्निदेव) की प्रतिमा है और सामने हनुमान् कुंड है. आगे दशाश्वमेध तीर्थ है.नारोशंकर मंदिर के सामने गोदावरी में रामगया कुंड है. कहा जाता है यहां भगवान श्रीराम ने श्राद्ध किया था.
२-सीता गुफा -पंचवटी में ही है,इसके भूगर्भ के कमरे में सीढ़ियों से जाने पर राम-लक्ष्मण-सीता की छोटी मूर्तियां मिलती हैं.
३-सुंदरनारायण
४-मोदाकेश्वर गणेश मंदिर
५ -शिरडी[नासिक से लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर साईबाबा का धाम है.]
६-देवमंदिर
७-कपालेश्वर[शिव मंदिर]
८-शारदा चंद्रमौलीश्वर,रामेश्वर,तपोवन आदि.-
कालाराम मंदिर -:
अब हम चौदह कला परिपूर्ण भगवान श्री राम के कालाराम मंदिर की बात करते हैं -
नासिक में प्रभु श्रीराम के कई मंदिर हैं जैसे कालाराम, गोराराम, मुठे का राम, यहाँ तक कि महिलाओं के लिए विशेषराम आदि, परंतु इन सभी में 'कालाराम' की अपनी ही विशेषता है, ये मंदिर ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से महत्व रखता ही है.
यह मंदिर गोदावरी से लगभग दो फर्लांग पर पंचवटी बस्ती में है. इसमें श्रीराम-लक्ष्मण-सीता की मूर्तियां हैं.
ऐसा सुना गया है कि यह मंदिर पर्णकुटी के स्थान पर बनाया गया है, जहाँ पूर्व में नाथपंथी साधु निवास करते थे.एक बार इन साधुओं को अरुणा-वरुणा नदियों पर प्रभु राम की मूर्ति प्राप्त हुई और उन्होंने इसे लकड़ी के मंदिर में विराजित किया ,उसके बाद सन् १७९४ में रामसहेज से लाये काले पाषाणों से नागर शैली में इसका निर्माण पेशवा के सरदार रंगराव ओढ़ेकर ने मातोश्री गोपिकाबाई के कहने पर पर इस मंदिर को बनवाया .
उस समय इस मंदिर निर्माण में 23 लाख का खर्च अनुमानित बताया जाता है,२००० शिल्पकारों ने इसे १२ साल में पूरा किया था.
मंदिर में जो प्रभु श्रीराम की मूर्ति है वह काले पाषाण से बनी हुई है, इसलिए इसे 'कालाराम' कहा जाता है.
74 मीटर लंबा और 32 मीटर चौड़े इस मंदिर की चारों दिशाओं में चार दरवाजे हैं, इस मंदिर के कलश तक की ऊँचाई 69 फीट है तथा कलश 32 टन शुद्ध सोने से निर्मित किया हुआ है.भव्य सभामंडप की ऊँचाई 12 फीट है और यहाँ चालीस खंभे है तथा यहाँ के मंदिर में विराजे हनुमान जी प्रभु श्रीराम के चरणों की ओर देखते हुए लगते हैं.
इसकी विडियो आप यहाँ देख सकते हैं.
http://videos.mywebdunia.com/webdunia/hindi/religiousjourney/video-123330215074553.html
कैसे पहुंचे-
कहाँ ठहरें - पर्यटकों के लिए रहने के लिए सरकारी और प्राइवेट बहुत से गेस्ट हाउस और धर्मशाला की सुविधा दी जाती है.
अधिक जानकारी के लिए अधिकारिक साईट देखें -http://www.nashik.nic.in/
http://shrikalaramsansthannashik.org/english/index.html
गोदावरी नदी के तट पर स्थित यह नगर हिन्दू तीर्थ यात्रियों के लिए प्रमुख है.महाराष्ट्र राज्य में यह शहर मुम्बई से लगभग 170 किमी और पुणे से २०५ किमी दूर है.पुराणों के अनुसार यह वह पावन धरती है जहां भगवान राम, सीता और रामानुज के पतितपावन चरण पडे हैं राम घाट पर कहते हैं स्वय भगवान राम ने डुबकी लगाई थी.
यहाँ बहुत से सुंदर मंदिर और घाट हैं,त्योहारों के समय बहुत रौनक रहती है.अंगूर और सतंरों के मामले में नासिक हिन्दुस्तान का सबसे बडा केन्द्र बताया जाता है.
नाशिक शक्तिशाली सातवाहन वंश के राजाओं की राजधानी थी. मुगल काल में इस शहर को गुलशनबाद के नाम से जाना जाता था.डॉ. अम्बेडकर ने १९३२ में नाशिक में अस्पृश्यता आंदोलन और जन आंदोलन चलाया था.
बारह साल में चार बार लगने वाला कुंभ मेला यहाँ का मुख्य आकर्षण है.भारत में यह धार्मिक मेला चार जगहों[ नाशिक, इलाहाबाद, उज्जैन और हरिद्वार ]पर लगता है.श्रीराम के चरणों से पावन हुई यह पवित्र भूमि कुंभ नगरी भी कहलाती है.
नाशिक में 'कालाराम मंदिर' के अतिरिक्त अन्य मुख्य दर्शनीय स्थल-
१-पंचवटी [काला राम मंदिर से आगे गोदावरी तट से लगभग आधा मील पर) एक वटवृक्ष है. इसी स्थान को लोग पंचवटी कहते हैं].पवित्र पौराणिक नदी गोदावरी का उद्गम तो त्र्यंबक के पास है; किंतु यात्री पंचवटी में गोदावरी-स्नान करते हैं.
रामकुंड, सीताकुंड, लक्ष्मणकुंड, धनुषकुंड यहां के प्रसिद्ध तीर्थ हैं। स्नान का मुख्य स्थान रामकुंड है . रामकुंड में शुक्लतीर्थ माना जाता है,रामकुंड के पास स्थित गोमुख से अरुणा की धारा गोदावरी में गिरती है. इसे अरुणा-संगम कहते हैं . इसके पास सूर्य, चंद्र तथा अश्विनी तीर्थ हैं। यहां यात्री मुंडन कराके पितृश्राद्ध करते हैं .रामकुंड के दक्षिण में पास ही अस्थिविलय तीर्थ है, वहां मृतपुरुषों की अस्थियां डाली जाती हैं. रामकुंड के उत्तर में ही प्रयाग तीर्थ माना जाता है.
रामकुंड के पीछे सीताकुंड है, उसे अहिल्याकुंड और शाङ्र्गंपाणि कुंड भी कहते हैं। उसके दक्षिण दो मुखवाले हनुमान (अग्निदेव) की प्रतिमा है और सामने हनुमान् कुंड है. आगे दशाश्वमेध तीर्थ है.नारोशंकर मंदिर के सामने गोदावरी में रामगया कुंड है. कहा जाता है यहां भगवान श्रीराम ने श्राद्ध किया था.
२-सीता गुफा -पंचवटी में ही है,इसके भूगर्भ के कमरे में सीढ़ियों से जाने पर राम-लक्ष्मण-सीता की छोटी मूर्तियां मिलती हैं.
३-सुंदरनारायण
४-मोदाकेश्वर गणेश मंदिर
५ -शिरडी[नासिक से लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर साईबाबा का धाम है.]
६-देवमंदिर
७-कपालेश्वर[शिव मंदिर]
८-शारदा चंद्रमौलीश्वर,रामेश्वर,तपोवन आदि.-
कालाराम मंदिर -:
अब हम चौदह कला परिपूर्ण भगवान श्री राम के कालाराम मंदिर की बात करते हैं -
नासिक में प्रभु श्रीराम के कई मंदिर हैं जैसे कालाराम, गोराराम, मुठे का राम, यहाँ तक कि महिलाओं के लिए विशेषराम आदि, परंतु इन सभी में 'कालाराम' की अपनी ही विशेषता है, ये मंदिर ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से महत्व रखता ही है.
यह मंदिर गोदावरी से लगभग दो फर्लांग पर पंचवटी बस्ती में है. इसमें श्रीराम-लक्ष्मण-सीता की मूर्तियां हैं.
ऐसा सुना गया है कि यह मंदिर पर्णकुटी के स्थान पर बनाया गया है, जहाँ पूर्व में नाथपंथी साधु निवास करते थे.एक बार इन साधुओं को अरुणा-वरुणा नदियों पर प्रभु राम की मूर्ति प्राप्त हुई और उन्होंने इसे लकड़ी के मंदिर में विराजित किया ,उसके बाद सन् १७९४ में रामसहेज से लाये काले पाषाणों से नागर शैली में इसका निर्माण पेशवा के सरदार रंगराव ओढ़ेकर ने मातोश्री गोपिकाबाई के कहने पर पर इस मंदिर को बनवाया .
उस समय इस मंदिर निर्माण में 23 लाख का खर्च अनुमानित बताया जाता है,२००० शिल्पकारों ने इसे १२ साल में पूरा किया था.
मंदिर में जो प्रभु श्रीराम की मूर्ति है वह काले पाषाण से बनी हुई है, इसलिए इसे 'कालाराम' कहा जाता है.
74 मीटर लंबा और 32 मीटर चौड़े इस मंदिर की चारों दिशाओं में चार दरवाजे हैं, इस मंदिर के कलश तक की ऊँचाई 69 फीट है तथा कलश 32 टन शुद्ध सोने से निर्मित किया हुआ है.भव्य सभामंडप की ऊँचाई 12 फीट है और यहाँ चालीस खंभे है तथा यहाँ के मंदिर में विराजे हनुमान जी प्रभु श्रीराम के चरणों की ओर देखते हुए लगते हैं.
इसकी विडियो आप यहाँ देख सकते हैं.
http://videos.mywebdunia.com/webdunia/hindi/religiousjourney/video-123330215074553.html
कैसे पहुंचे-
- मुम्बई से वायु मार्ग द्वारा नासिक पहुँच सकते हैं.
- मुम्बई से आने जाने वाली रेलें नासिक होते हुए जाती हैं इसलिए यह मार्ग भी सरल है.
- सड़क द्वारा मुम्बई आगरा मार्ग से होते हुए भी आप नासिक पहुँच सकते हैं और स्थानीय परिवहन .राज्य परिवहन प्राइवेट
- बसें भी मुम्बई या पुणे से नासिक जाती हैं.
कहाँ ठहरें - पर्यटकों के लिए रहने के लिए सरकारी और प्राइवेट बहुत से गेस्ट हाउस और धर्मशाला की सुविधा दी जाती है.
अधिक जानकारी के लिए अधिकारिक साईट देखें -http://www.nashik.nic.in/
http://shrikalaramsansthannashik.org/english/index.html
3 comments:
धार्मिक, भौगोलिक जानकारी से पूर्ण आलेख।
अच्छी जानकारी सुन्दर चित्र
वहां के सभी ज्योतिर्लिंग के विषय मे वर्णन किया जाना चाहिए।
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