शहीद स्मारक [ मेरठ ]
१० मई प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वर्षगाँठ है .
१८५७ में इस दिन दिन क्रांति की चिंगारी सुलगी थी . मेरठ छावनी में तैनात तीसरी कैवेलरी के 85 सैनिकों ने चर्बी लगे कारतूसों के प्रयोग के आदेश को न मान कर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया जिसे १८५७ की क्रांति के नाम से जाना गया.इतिहासकार इसे मात्र सैनिक विद्रोह भी मानते रहे परन्तु सत्य यही है कि स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत यहीं से हुई थी.
मेरठ कालेज में इतिहास के सीनियर रीडर डा. के.डी. शर्मा जिन्होंने 1857 की क्रांति पर गहन शोध किया है ,बताते हैं कि 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर भारतीय स्वाधीनता के जिस झण्डे को फहराया गया था, वह कार्य 11 मई 1857 को मेरठ से दिल्ली पहुंचने वाले क्रांतिकारियों ने कर दिखाया था.उनके अनुसार यह सब अचानक नहीं हुआ ग़दर से पूर्व रेजिमेंटों के बीच चपातियाँ वितरण इस तैयारी का एक संकेत माना जाता है .मेरठ में विस्फोट के मात्र 12 घण्टों बाद ही दिल्ली में विप्लव हो गया था.जो देखते ही देखते पूरे उत्तरी भारत में छा गया और अंग्रेजों को स्पष्ट संदेश मिल गया कि अब भारत पर राज्य करना आसान नहीं है .
नाना धोंधू पंत, अजीमुल्ला, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई के दाएं हाथ पंडित लक्ष्मण राव, मौलवी फैजाब, बेगम हजरत तथा उनके सलाहकार मौलवी लियाकत अली आदि कई प्रमुख क्रांतिकारी नेताओं ने 1857 की क्रांति के प्रस्फुटन से ठीक पहले तक लगभग पूरे देश में भ्रमण करके राजनीतिक स्वतंत्रता के उपदेश दिए थे.
२९ मार्च सन १८५७ को अंग्रेज अफसरों पर आक्रमण करने के आरोप में ,उसी वर्ष ८ अप्रैल को फांसी पर चढा दिए जाने वाले क्रांतिकारी शहीद मंगल पांडे को सन १८५७ के भारतीय स्वतन्त्रता के प्रथम संग्राम के प्रथम नायक के रूप में जाना जाता है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मेरठ जिला इस 1857 की क्रान्ति एवं स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन का हृदय स्थल रहा है.
इस स्तम्भ का निर्माण सन 1957 में 1857 की क्रांति की 100वीं सालगिरह पर कराया गया था.यह भैंसाली मैदान के पास टैक्सी स्टैण्ड तथा आयकर कार्यालय के बीच पार्क में स्थित है .यहाँ स्थित शिलालेख पर 85 सिपाहियों के नाम भी देखे जा सकते हैं.
इसी शहीद स्मारक परिसर में स्थित है - 'राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय' जहाँ स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी सामग्रियां और अभिलेख संकलित एवं संरक्षित किये गए हैं. इस का औपचारिक लोकापर्ण प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के 150वीं वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर 10 मई, 2007 को किया गया था.
मेरठ में इस स्मारक के अलावा देखने के लिए रेस कोर्स,सेन्ट जोन्स चर्च,सूरज कुण्ड के चारों ओर बने प्राचीन मंदिर,प्राचीन गुरूद्वारा ,शाहपीर मकबरा,आबू मकबरा,विक्टोरिया पार्क,सरधना चर्च,कालीपलटन मंदिर, कुतुबुददीन ऐबक द्वारा निर्मित जामा मस्जिद , पंजाब रेजिमेन्ट गुरूद्वारा आदि.
शहीद मंगल पाण्डेय |
१० मई प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वर्षगाँठ है .
१८५७ में इस दिन दिन क्रांति की चिंगारी सुलगी थी . मेरठ छावनी में तैनात तीसरी कैवेलरी के 85 सैनिकों ने चर्बी लगे कारतूसों के प्रयोग के आदेश को न मान कर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया जिसे १८५७ की क्रांति के नाम से जाना गया.इतिहासकार इसे मात्र सैनिक विद्रोह भी मानते रहे परन्तु सत्य यही है कि स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत यहीं से हुई थी.
मेरठ कालेज में इतिहास के सीनियर रीडर डा. के.डी. शर्मा जिन्होंने 1857 की क्रांति पर गहन शोध किया है ,बताते हैं कि 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर भारतीय स्वाधीनता के जिस झण्डे को फहराया गया था, वह कार्य 11 मई 1857 को मेरठ से दिल्ली पहुंचने वाले क्रांतिकारियों ने कर दिखाया था.उनके अनुसार यह सब अचानक नहीं हुआ ग़दर से पूर्व रेजिमेंटों के बीच चपातियाँ वितरण इस तैयारी का एक संकेत माना जाता है .मेरठ में विस्फोट के मात्र 12 घण्टों बाद ही दिल्ली में विप्लव हो गया था.जो देखते ही देखते पूरे उत्तरी भारत में छा गया और अंग्रेजों को स्पष्ट संदेश मिल गया कि अब भारत पर राज्य करना आसान नहीं है .
नाना धोंधू पंत, अजीमुल्ला, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई के दाएं हाथ पंडित लक्ष्मण राव, मौलवी फैजाब, बेगम हजरत तथा उनके सलाहकार मौलवी लियाकत अली आदि कई प्रमुख क्रांतिकारी नेताओं ने 1857 की क्रांति के प्रस्फुटन से ठीक पहले तक लगभग पूरे देश में भ्रमण करके राजनीतिक स्वतंत्रता के उपदेश दिए थे.
२९ मार्च सन १८५७ को अंग्रेज अफसरों पर आक्रमण करने के आरोप में ,उसी वर्ष ८ अप्रैल को फांसी पर चढा दिए जाने वाले क्रांतिकारी शहीद मंगल पांडे को सन १८५७ के भारतीय स्वतन्त्रता के प्रथम संग्राम के प्रथम नायक के रूप में जाना जाता है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मेरठ जिला इस 1857 की क्रान्ति एवं स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन का हृदय स्थल रहा है.
शहीद स्मारक [ मेरठ ]चित्र-गूगल से साभार |
चित्र-गूगल से साभार |
इसी शहीद स्मारक परिसर में स्थित है - 'राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय' जहाँ स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी सामग्रियां और अभिलेख संकलित एवं संरक्षित किये गए हैं. इस का औपचारिक लोकापर्ण प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के 150वीं वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर 10 मई, 2007 को किया गया था.
नाना साहब और तात्या टोपे [चित्र-गूगल से साभार] |
मेरठ में इस स्मारक के अलावा देखने के लिए रेस कोर्स,सेन्ट जोन्स चर्च,सूरज कुण्ड के चारों ओर बने प्राचीन मंदिर,प्राचीन गुरूद्वारा ,शाहपीर मकबरा,आबू मकबरा,विक्टोरिया पार्क,सरधना चर्च,कालीपलटन मंदिर, कुतुबुददीन ऐबक द्वारा निर्मित जामा मस्जिद , पंजाब रेजिमेन्ट गुरूद्वारा आदि.
4 comments:
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Thank,
Alpana
बहुत अच्छी जानकारी .. ..
आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
@कविता जी,बहुत -बहुत धन्यवाद! आपको यह पोस्ट अच्छी लगी और सबसे अधिक ख़ुशी हुई यह जानकर कि आपने मुझे आज जन्मदिन की बधाई दी.बहुत-बहुत आभार!
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