श्री पद्मनाभास्वामी मंदिर,तिरूवनंतपुरम[केरल]
बहुत समय पहले इस मंदिर पर यह जानकारी एकत्र की थी ,आज इस मंदिर को उसके खजाने के लिए चर्चा में देख -सुन कर सोचा कि इस जानकारी को आप सब के साथ बाँटा जाये.भारत के प्रदेश केरल के बारे में मैं आप को पहले की पोस्ट में बता चुकी हूँ.आज यहीं के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानेंगे जिसे अब देश का सबसे धनवान मंदिर कहा जाने लगा है.
केरल के तिरूवनंतपुरम स्थित प्रसिद्ध श्री पद्मनाभास्वामी मंदिर केरल और द्रविड़ वास्तुकला मिश्रण का अद्भुत नमूना है.इसके पास में ही बड़ा ताल है और ट्रावन्कोर महाराजा का किला भी यहीं है .
प्रवेश द्वार पर यहाँ 100 फीट ऊँचा सात मंजिला गोपुरम [टावर ] है. यह भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर है और वैष्णव समुदाय के १०८ पवित्र तीर्थों में से एक है.
मंदिर के गर्भ गृह में भगवान विष्णु कि शेष नाग पर लेटे हुए मूर्ति है ,उनके बाएं हाथ में कमल का फ़ूल है और एक कमल उनकी नाभि से निकलता प्रतीत होता है और जिस पर ब्रह्मा बैठे हुए दिखाई देते हैं .
यहाँ सिर्फ हिंदुओं को ही भीतर जाने की अनुमति मिलती है और वह भी यहाँ निर्धारित परिधान पहन कर ही अंदर जा सकते हैं.
यह माना जाता है कि इस मंदिर के भगवान को चन्द्र और इंद्र ने भी पूजा है.
इस मंदिर में भगवान पद्मनाभा की मूर्ति की कब स्थापना हुई थी इस बारे में कोई पुख्ता दस्तावेज़ नहीं हैं.कुछ इतिहासकार के अनुसार यह मंदिर कलयुग के प्रथम दिवस पर बना था[५००० साल पूर्व!]
ताड़ पत्रों पर लिखे हुए ग्रन्थ अनंत्सयाना महात्मय के अनुसार इस मंदिर की स्थापना तुलु ब्रहामिन दिवाकरामुनी ने कलयुग के ९५० वें दिन की थी.मंदिर के पुनर्निर्माण के समय मूर्ति को इसके स्थान से कुछ समय के लिए हटा कर सन १४६० उसी पुराने स्थान पर स्थापित किया गया था.
सामने की तरफ़ ओत्ताकल मंडपम बनाया गया और मुख्य द्वार पर गोपुरम का निर्माण १५६६ सन में किया गया.
सन १६८६ में भयंकर आगजनी के कारण सिर्फ मूर्ति को छोड़ कर बाकि मंदिर को काफी क्षति पहुंची.
मंदिर का पुनर्निर्माण सन १७२४ में शुरू हुआ.
सन १७२९ में त्रावनकोर के राजा मार्तंड वर्मा ने मुख्य काष्ठ की मूर्ति के स्थान पर १२००८ सालिग्राम से नयी मूर्ति लगवाई.
यह मूर्ति चेहरे और छाती को छोड़कर बाकि सारी स्वर्ण धातु की बनी है.जो वर्तमान में भी पूजी जाती है.
[यह जानकारी मंदिर की अधिकारिक साईट से अंग्रेजी से हिंदी में अनुवादित की गयी है http://padmanabhaswamytemple.org/]
आज भी इस मंदिर के संरक्षक त्रावनकोर के महाराजा ही हैं.
आप उनका साक्षात्कार इस विडियो में देख सकते हैं- :
अंतर्जाल पर यहाँ -वहाँ से आज के [जुलाई २,२०११] समाचारों से मिली जानकारी के अनुसार-:
- इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर के सवा सौ साल पुराने तहखाने में बहुत बड़ा खज़ाना है .तहखाने में कई बड़ी-बड़ी गुफाएं हैं जिन में सिर्फ हीरे- जेवरात भरे हैं.
- कोई तीन दिन पहले ही सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सरकार ने खुलवाया है.सर्वोच्च न्यायालय की सात सदस्यीय समिति के पैनल ने जब मंदिर के गुप्त तहखानों और कमरों को खोला गया.अंदाजा लगाया जा रहा है है कि सोमवार तक खजाने की कीमत की गणना पूरी हो जायेगी.
- इस पूरी गणना की विडियो रिकॉर्डिंग की जा रही है.
- केरल सरकार ने खजाने की सुरक्षा के लिए एक कमेटी बनाई है जिसका नेतृत्व हाई कोर्ट के दो सेवानिवृत्त न्यायधीश करेंगे.
- सुरक्षा हेतु जगह जगह सी सी टी वी लगा दिए गए हैं.
- तहखाने की तरफ सर्वसाधारण का प्रवेश रोक दिया गया है.
- पहली जाँच में उन्हें लगा के ७०० करोड की संपत्ति होगी परंतु जैसे जसी नयी गुफाएं खुलती गयीं….बेशुमार खजाना मिलता गया.
- ताज़ा जानकारी के अनुसार अभी तक सिर्फ ३०% ही मुआयना हो पाया है और पाँच तहखाने ही खोले जा चुके हैं. अभी तक गिनी गयी यह संपत्ति लगभग ७५ हज़ार करोड़ की होगी.
- खजाने की संपत्ति को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया जायेगा .
- अभी तक मिली वस्तुओं में मुख्य इस प्रकार हैं-
- १८ फुट लंबा सोने का हार
- लगभग ५४० किलो स्वर्ण मुद्राएँ
- २० किलो अंग्रेजी सरकार के सिक्के
- सोने की बनी मोटी- मोटी रस्सियाँ
- एक लाख से अधिक बोरे जिन में सोने-चांदी के सिक्के भरे हैं .
- सोने के तीन मुकुट
- रत्नों से जडित सोने की छड़ें .
- १००० से अधिक सोने के हार [१८ फुट लंबे]
- १० किलो सोने का हार और ४-४ किलो के ४ सोने के हार .
- अनगिनत हीरे -जवाहरात,दुर्लभ रत्न ,अन्य कीमती पत्थर
खज़ाने के बारे में उपर्लिखित जानकारी अंतर्जाल से ली गयी है.
एक लिंक यहाँ देखें--
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2011/07/110702_kerala_temple_as.shtml
14 comments:
AD या ए डी के बजाय सन लिखने पर कृपया विचार करें.
@Rahul Singh जी अभी सुधार कर देती हूँ.धन्यवाद.
बहुत अच्छी जानकारी मिली आपके आलेख से.
सादर
बहुत अच्छी जानकारी मिली। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
यह मंदिर इस समय सर्वाधिक चर्चा में है,सही समय पर जरूरी जानकारी .बहुत धन्यवाद.
MANDIR KA KHJANA KEVAL HINDUO KA HAI USPAR SARKAR YA KISI VYKTI VISES KA KOI ADHIKAR NAHI HAI. MANDIR KI SAMPATTI KEVAL HINDU DHARM KE PRACHAR AUR BHAGWAN KI SEVA POOJA MAIN HI KHARCH KI JA SAKTI HAI SAMAJIK KARYO MAIN BHI KUCH ANSH KARCH KIYA JA SAKTA HAI...
सही कहा आप ने .
मेरा भी यही मनना है.इस पर केवल मंदिर ट्रस्ट का अधिकार होना चाहिए.
बहुत से गरीब हिंदू गरीबी के कारण अपना धर्म ईसाई मिशनरियों के लुभाने पर बदल देते हैं ..उनके उत्थान के लिए इस धन को लगाया जाना चाहिए .
आपकी यह पोस्ट अनमोल है.इस मंदिर के मैंने दर्शन किये हुए हैं.आपने सुन्दर व विलक्षण जानकारी प्रस्तुत की है.
फिर फिर जानने का मन करता है.
आभार.
alpna di
bahut bahut hardik dhanyvaad
jo meri prkashit pustakon ke baare me padh kar achha laga.
aapkai yah post padhi to padhti hi chali gai
bap re bap---itni gahri jankariyan aapne kise sngrhit ki hongi .main to yahi soch rahi hun.
is mandir ka naam bhi maine pahli baar hi suna aur aapne itne vistaar se itni gahan jankari di
hai kiaur sabke picture bhi to lagta hai bas dekhti aur padhti hi chali jaaun .bahut hi adhdbhut v gyan vardhak post ke liye hardik badhai swikaren
poonam
यह जानकारी भी काफी ज्ञानवर्धक है.
यह खजाना ट्रावन्कोर के शासकों की संपत्ति है ना ?
@अरविन्द जी,यह खज़ाना त्रावनकोर के शासकों की ही संपत्ति है.इस पर किसी अन्य का अधिकार नहीं है.
संपत्ति तो अब पद्मनाभ स्वामी की मानी जायेगी. राजघराने ने भी कोई दावा नहीं किया है. देखिये क्या क्या राजनीती होती है. जानकारी भरी इस पोस्ट के लिए आभार.
Ji alpna ji aapko or aapke gambhir chintan yogy vishay ka mai sat sat banana lets hun.aacha hoga agr aap isme search option rakhe.hr suthar
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