[केरल mein hai दुनिया की दूसरी सबसे पुरानी[??] और भारत की सबसे पुरानी पहली मस्जिद - चेरमान जुमा मस्जिद.]
केरल- 'God 's own country '
आज हम आप को जहाँ ले कर आये हैं वह भारत की दक्षिण पश्चिम सीमा पर स्थित है.
जब हम यहाँ घूमने गए थे तब मुझे इस जगह ने बहुत प्रभावित किया -इस के ठोस कारण हैं एक-यह जगह इतनी हरीभरी है कि आप खुद को प्रकृति के बहुत नज़दीक पाएंगे.और इस स्थान को देव भूमि क्यूँ कहा जाता है समझ आ जायेगा.
यहाँ की मिटटी लाल बालू है.कई जगह तो लोग नंगे पाँव भी चलते नज़र आ सकते हैं.
दूसरा बड़ा कारण यहाँ के लोगों का मिलनसार और मदद को तत्पर स्वभाव ,मुझे भाषा की कहीं कोई समस्या नहीं हुई. लगभग सभी हिंदी समझते हैं और थोडा बहुत बोल भी लेते हैं [ज्ञात हो केरल के स्कूलों में हिंदी पांचवी कक्षा तक जरुरी विषय है.]जब कि मेरे अनुभव के अनुसार हिंदी भाषा के विषय में तमिलनाडु में स्थिति कुछ भिन्न है.
हाँ ,और एक कारण है कि मुझे खाने पीने के लिए उत्तर भारतीय खाना आराम से मिल गया..मेनू में 'परांठे 'का नाम जरुर 'बरोटा 'लिखा देख कर जरुर हंसी आई...
केरल पर मैंने बहुत ही संक्षेप में अधिक जानकारी देने का प्रयास किया है.
अब जानते है इस खूबसूरत प्रदेश के बारे में -
केरल की सीमा जहाँ एक और अरब सागर को छूती हैं तो दूसरी और पडोसी राज्य तमिलनाडु और कर्णाटक को.
अरब सागर में केंद्र शासित राज्य लक्षद्वीप के साथ भी इस का भाषाई और सांस्कृतिक सम्बन्ध है.आज़ादी से पूर्व यहाँ राजाओं की रियासतें थीं.जुलाई 1949 में तिरुवितांकूर और कोच्चिन रियासतों को जोडकर 'तिरुकोच्चि' राज्य का गठन किया गया. उस समय मलबार प्रदेश मद्रास राज्य (वर्तमान तमिलनाडु) का एक जिला मात्र था . नवंबर 1956 में तिरुकोच्चि के साथ मलबार को भी जोडा गया और इस तरह वर्तमान केरल की स्थापना हुई.यहाँ की भाषा मलयालम है .
इतिहास-
केरल की उत्पत्ति के संबन्ध में पुराणिक कथा प्रसिद्ध है . कहते हैं कि महाविष्णु के दशावतारों में से एक परशुराम ने अपना फरसा समुद्र में फेंक दिया था उससे जो स्थान उभरकर निकला वही केरल बना .
केरल को 'भगवान का अपना घर 'भी कहा जाता है.
कहा जाता है कि "चेर - स्थल", 'कीचड' और "अलम-प्रदेश" शब्दों के जोड़ से केरल शब्द बना है. केरल शब्द का एक और अर्थ है : - वह भूभाग जो समुद्र से निकला हो . समुद्र और पर्वत के संगम स्थान को भी केरल कहा जाता है. प्राचीन विदेशी यायावरों ने इस स्थल को 'मलबार' नाम से भी सम्बोधित किया है.
यहाँ की संस्कृति हजारों साल पुरानी है.महाप्रस्तर स्मारिकाएँ (megalithic monuments) केरल में मानव जीवन की प्रामाणिक जानकारियाँ देती हैं .
केरल प्रान्त में इसाई धरम पहली शताब्दी में आया. उस से पहले यहाँ ब्राह्मण थे.
यहाँ जैन और बोद्ध धरम का भी प्रचार हुआ.अरबवासियों के साथ व्यापर के कारण आठवी शताब्दी में यहाँ इस्लाम का आगमन भी हो गया.
यहाँ के उत्सव-:
ओणम यहाँ का राज्योत्सव है, जिसे सभी धरम के लोग प्रेम और श्रद्धा से मनाते हैं. इस के अलावा प्रमुख हिन्दू त्योहार हैं - विषु, नवरात्रि, दीपावली, शिवरात्रि, तिरुवातिरा आदि . मुस्लिम पर्व- रमज़ान, बकरीद, मुहरम, मिलाद-ए-शरीफ आदि हैं तो ईसाई क्रिसमस, ईस्टर आदि मानते हैं .
कुछ और मिली-जुली जानकारियां-
-WHO ने इस राज्य को विश्व का पहला 'baby friendly रज्य घोषित किया था-यहाँ ९५% बच्चे अस्पताल में जन्म लेते हैं.
-९१% साक्षरता है.
-यहाँ का आयुर्वेद इलाज विश्व भर में लोकप्रिय है.
-केरल में कुल 44 नदियाँ है और अनेकों झील झरने जल प्रपात हैं.
विश्व भर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र यहाँ का उष्ण मौसम, प्रकृति, जल की प्रचुरता, सघन वन, लम्बे समुद्र तट हैं.
-हर क्षेत्र में उन्नत्ति कर रहा यह राज्य साक्षरता में सबसे आगे है.
-kerala राज्य की official साईट मुझे हिंदी समेत ७ भाषाओँ में मिली.
-'कळरिप्पयट्टु' केरल की प्रान्तीय आयुधन कला है.
-यहाँ की धार्मिक कलाओं में मंदिर कलाएँ और अनुष्ठान कलाएँ आती हैं . मंदिर कलाओं मेंकूत्तु, कूडियाट्टम्, कथकळि, तुळ्ळल, तिटम्बु नृत्तम्, अय्यप्पन कूत्तु, अर्जुन नृत्तम्, आण्डियाट्टम्, पाठकम्, कृष्णनाट्टम्, कावडियाट्टम आदि प्रमुख हैं-
इसके अंतर्गत मोहिनियाट्टम जैसा लास्य नृत्य भी आता है.
-कथकली के बारे में संक्षेप में--
भारतीय अभिनय कला की नृत्य नामक रंगकला के अंतर्गत कथकली की गणना होती है . रंगीन वेशभूषा पहने कलाकार गायकों द्वारा गाये जानेवाले कथा संदर्भों का हस्तमुद्राओं एवं नृत्य-नाट्यों द्वारा अभिनय प्रस्तुत करते हैं . इसमें कलाकार स्वयं न तो संवाद बोलता है और न ही गीत गाता है .गायक गण वाद्यों के वादन के साथ आट्टक्कथाएँ गाते हैं . कलाकार उन पर अभिनय करके दिखाते हैं .
-केरल की अधिकारिक साईट के अनुसार-वर्ल्ड ट्रेवल एण्ड टूरिज़्म काउंसिल (WTTC) द्वारा सन् 2002 में प्रकाशित टूरिज़्म सेटलाइट एकाउण्ड (TSA) के अनुसार आगामी दस वर्षों में वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक पर्यटकों के आगमन तथा अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्ति और पर्यटन विकास में केरल का स्थान सर्वोपरि होगा .
कहाँ घूमे ?
यहाँ १४ जिले हैं--कण्णूर ,कोष़िक्कोड ,कासरगोड ,मलप्पुरम ,इडुक्कि ,तिरुवनन्तपुरम [केरल की राजधानी]
आलप्पुष़ा ,कोल्लम ,कोट्टयम ,पत्तनमतिट्टा ,एरणाकुलम ,वयनाडु ,पालक्काड ,तृश्शूर
इन सभी जिलों में में आप को कुछ न कुछ जगहें दर्शनीय मिल जाएँगी.जब आप केरल घूमने जाएँ तो थोडा समय ले कर जाएँ ताकि इस प्रदेश का ज्यादा से ज्यादा आनंद उठा सकें.
हम आप को ले कर आये हैं त्रिस्सुर जिले में-
कब जाएँ--जून से सितम्बर में वर्षा काल होता है ,कभी कभी बहुत अधिक वर्षा होती है जो आप के प्रोग्राम में बाधा बन सकती है.इस लिए इस समय के अलावा आप कभी भी वहां घूमने जा सकते हैं.
अब बताती हूँ--चेरमान जुमा मस्जिद के बारे में-
दुनिया की दूसरी सबसे पुरानी और भारत की सबसे पुरानी पहली मस्जिद का नाम है चेरमान जुमा मस्जिद.
हम में से अधिकतर यही जानते हैं कि इस्लाम बाबर या गजनी के आने के साथ इस देश में आया.मगर नहीं ऐसा नहीं है. उस से पहले ही इस्लाम,दक्षिण समुद्री तट पर समुद्र के रास्ते आने वाले सौदागरों के द्वारा हमारे देश में अपना प्रभाव डालने लगा था. इस का उदाहरण है यह मस्जिद.
जो भारत के दक्षिण में स्थित राज्य केरल के जिला त्रिस्सुर से ३७ किलोमीटर दूर 'कोदुन्गल्लुर' में स्थित है.केरल की अधिकारिक site के अनुसार इसका निर्माण सन् ६२९ में हुआ था.[ प्रोफेट मोहम्मद के मदीना चले जाने के ७ साल बाद].
यह पहले लकडी की बनी हुई थी.हाल ही में इस का पुनरुद्धार किया गया जिसमें कंक्रीट की मीनारें भी जोड़ दी गयी हैं.जो आप को पहले के इस के चित्र में दिखाई नहीं देंगी.
पुनरुद्धार से पहले का चित्र-
यह मस्जिद हिन्दू मंदिर की शैली में निर्मित है.इस के मध्य भाग में १००० सालों से एक दीप रखा हुआ है.जिसे आज भी परम्परागत जलाया जाता है.यह १०० साल से लगातार बिना बुझे जलता आ रहा है.इसमें कोई भी धरम का व्यक्ति तेल डाल सकता है.
किसने बनवाया?--
साउदी [जेद्दाह ]के राजा जब केरल आये तब उन्होंने एक मस्जिद बनानी चाही जिसमें राजा चेरमन पेरूमल ने पूरी मदद दी. 'अरथाली मंदिर' को मस्जिद बनाने के लिए चुना गया. राजा के नाम पर इस का नाम चेरमान जुमा मस्जिद पड़ा.राजा चेरमान ने साउदी अरब के मक्का जा कर अपना धरम परिवर्तन किया और इस्लाम अपना लिया और नाम बदल कर थाजुद्दीन रख लिया था.
साउदी अरब के [जेद्दाह के] इस राजा की बहन से उनकी शादी भी हो गयी.वाह पहले भारतीय थे जिहोने इस्लाम धरम अपनाया.
भारत वापसी में उनकी सलालाह[ओमान का एक भाग] में मृत्यु हो गयी.उसके बाद उनके अनुयायी मालिक बिन दीनार और मालिक बिन हबीब ने उत्तरी केरल जा कर इस्लाम का प्रचार किया.
'जुमा की नमाज़' भारत में सब से पहले यहीं से शुरू हुई.यही एक ऐसी मस्जिद भी है जहाँ किसी भी धरम के लोग जा सकते हैं.
इसमें लगा काला संगमरमर का पत्थर मक्का से लाया गया बताया जाता है.इस के अन्दर दो tomb हैं एक बिन दीनार की और दूसरी उसकी बहन की !उनपर रोजाना अगरबत्ती-धूप जलाई जाती है.
राजा चेरमान के वंशज आज भी केरल में वहीँ हैं . वे हिन्दू धरम को ही मानते हैं. मगर अपने पूर्वज राजा चेरमान पेरूमल के धरम परिवर्तन को पूरा samman देते हैं. राजा चेरमान के वंशज ८७ वर्षीय राजा वालियाथाम्पुरम से विस्तार से इस लिकं पर जा कर जानिए-http://www.iosworld.org/interview_cheramul.htm
यह मस्जिद अपने आप में सभी धर्मों के मेल जोल और सहिशुनता की एक मिसाल है.
यही एक ऐसे मस्जिद भी है जो पूरब की तरफ है.यहाँ हिन्दू रिवाज़ बच्चों का' विद्या आरम्भं' भी करवाया जाता है.
Dekheeye Is Masjid ki video-
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इस के अतिरिक्त तृश्शूर [thrissur ] पहुँच कर आप ये जगहें भी देख सकते हैं-
1-अतिरप्पळ्ळि और वाष़च्चाल
2-केरल कलामण्डलम
3-कोडुंगल्लूर
४-सेंट थॉमस चर्च
५-चिम्मिणि
६-ड्रीम वर्ल्ड अतिरप्पळ्ळि
७-पीच्ची - वाष़ानि वन्यजीव अभयारण्य
८-पुन्नत्तूरकोट्टा
९-पूरातत्त्व संग्रहालय
१०-शक्तन तंपुरान महल कोट्टारम
११-सिल्वर स्टोम एम्यूज़मेंट पार्क
१२-गुरुवायूर मंदिर (२९ km थ्रिस्सुर से दूर]
यह केरल की बहुत ही महत्वपूर्ण पावन जगह है .यहाँ का मुख्य आकर्षण भगवान कृष्ण का मंदिर है.
-इस के साथ ही केरल की सैर समाप्त करते हैं और बढ़ते हैं किसी दूसरे राज्य की तरफ एक नए स्थान के बारे में जानने के लिए...तब तक के लिए नमस्कार
[EID MUBARAK]
References-
http://www.indianmuslims.info/history_of_muslims_in_india/indias_first_masjid.html
2-http://en.wikipedia.org/wiki/Cheraman_Perumal_(Islamic_convert)
3-http://www.iosworld.org/interview_cheramul.htm
8 comments:
अच्छी और विस्तृत जानकारी दी है आपने। काफी मेहनत से तैयार किया गया आलेख।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत सुन्दर और ज्ञानवर्धक पोस्ट !
यहाँ पढ़कर ही पता चला कि इस्लाम का आगमन बाबर के साथ नहीं हुआ वरन काफी पहले ही इस्लाम भारत में प्रवेश कर चूका था !
आभार आपका !
पर्यटन और तथ्यात्मक जानकारी के लिहाज से "भारत दर्शन" ब्लॉग अद्वितीय है !
पोस्ट के बढ़ने के साथ ही इस ब्लॉग की उपयोगिता एवं महत्त्व बढती ही जायेगी !
आपका प्रयास अत्यंत सराहनीय है !
साधुवाद !
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क्रियेटिव मंच
इतने कम में इतना ज्यादा. यह तो हम नहीं कर सकते. हमारे बस के बाहर की बात है. ये जो मस्जिद है मूलतः मंदिर ही था.हम लोग इतने सहिष्णु थे की अरब से आये हुए सौदागरों के लिए अपना एक मंदिर ही दे दिया था जहाँ वे सजदा कर सकें. यह इस्लाम के आने के पूर्व की बात थी. वही जगह सबसे पुरानी मस्जिद बन गयी. १९५५ के पहले तक मुस्लमान वहां पूरब की तरफ रुख कर नमाज़ अदा किया करते थे. हमारी एक पुरानी पोस्ट यहाँ पर है: http://paliakara.blogspot.com/2008/08/reminiscences-of-cranganore-kodungallur.html
बहुत अच्छी जानकारी है...शुक्रिया...
बहुत अच्छी जानकारी है...शुक्रिया...
बहुत समय से मैं केरल घूमना चाहती हूँ लेकिन, एक भी बार मौक़ा नहीं मिल पाया। आपकी इस पोस्ट को पढ़कर वहाँ जाने की इच्छा एक बार फिर प्रबल हो गई।
दुनिया की पहली दूसरी तीसरी या सौवीं मस्जिद अरब फिलिस्तीन(इसराइल) क्षेत्र के अलावा कहीं नहीं हो सकती, इस्लाम कैसे फैला पर गौर करेंगे तो जानेंगे इस्लाम में शुरू से ही नमाज पढने की जगह मस्जिद का विशेष महत्व रहा है,हिन्द की मस्जिद को दूसरी सबसे पुरानी बताया जाना एक नज़र में ठीक नहीं लग रहा, बाकी मौका मिला तो रिसर्च करके बताऊंगा तब तक क्यूं ना पढ लिया जाये कि
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मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध् मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्टा हैं?
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इस्लामिक पुस्तकों के अतिरिक्त छ अल्लाह के चैलेंज
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यही सच्चाई है ऐसे कही भी सर्च करलेना ,और कोई सत्य हो तो जरूर बताना ।
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