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गुलमर्ग -[कश्मीर]
कश्मीर भारत देश का अभिन्न अंग है.कश्मीर को धरती का स्वर्ग भी कहते हैं.
प्राचीनकाल में कश्मीर हिन्दू और बौद्ध संस्कृतियों का पालना रहा है। माना जाता है कि यहाँ पर भगवान शिव की पत्नी देवी सती रहा करती थीं, और उस समय ये वादी पूरी पानी से ढकी हुई थी। यहाँ एक राक्षस नाग भी रहता था, जिसे वैदिक ऋषि कश्यप और देवी सती ने मिलकर हरा दिया और ज़्यादातर पानी वितस्ता (झेलम) नदी के रास्ते बहा दिया। इस तरह इस जगह का नाम सतीसर से कश्मीर पड़ा। इससे अधिक तर्कसंगत प्रसंग यह है कि इसका वास्तविक नाम कश्यपमर (अथवा कछुओं की झील) था। इसी से कश्मीर नाम निकला।
कश्मीर का अच्छा-ख़ासा इतिहास कल्हण (और बाद के अन्य लेखकों) के ग्रंथ राजतरंगिणी से मिलता है । प्राचीन काल में यहाँ हिन्दू आर्य राजाओं का राज था.
इसी कश्मीर राज्य में एक बहुत ही सुन्दर पर्यटक स्थल है जिसका नाम है 'गुलमर्ग'.
फूलों के प्रदेश के नाम से मशहूर यह स्थान बारामूला जिले में स्थित है। यहां के हरे भरे ढलान सैलानियों को अपनी ओर खींचते हैं।
समुद्र तल से 2730 मी. की ऊंचाई पर बसे गुलमर्ग में सर्दी के मौसम के दौरान यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।
गुलमर्ग की स्थापना अंग्रेजों ने 1927 में अपने शासनकाल के दौरान की थी। गुलमर्ग का असली नाम 'गौरीमर्ग 'था जो यहां के चरवाहों ने इसे दिया था। 16वीं शताब्दी में सुल्तान युसुफ शाह ने इसका नाम 'गुलमर्ग 'रखा। आज यह सिर्फ पहाड़ों का शहर नहीं है, बल्कि यहां विश्व का सबसे बड़ा गोल्फ कोर्स और देश का प्रमुख स्की रिजॉर्ट है।
और यहीं है विश्व की सब से ऊँची चलने वाली गोंडोला केबल कार.
इस शहर को आप पैदल ही घूम कर प्राकृति के नजारे देख सकते हैं.ट्रेकिंग करीए या स्की.कोंगडोर ,खिलंगमर्ग देखीये या महारानी मंदिर.सेंट मेरी का चर्च या फिर बाबा रेशी जैसे धार्मिक स्थल. यहाँ कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है.
गुलमर्ग कैसे जाएँ-:
वायु मार्ग -नजदीकी हवाई अड्डा श्रीनगर (56 किमी.) देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से यहां के लिए नियमित उड़ानें हैं।
रेल मार्ग -गुलमर्ग से निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू है जहां देश के विभिन्न भागों से ट्रेनें चलती हैं।
सड़क मार्ग -गुलमर्ग श्रीनगर से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। देश के अन्य भागों से श्रीनगर के लिए नियमित रूप से बसें चलती हैं. जम्मू से श्री नगर जाते समय रास्ते
मे जवाहर टनल से गुजरना बडा रोमांचक लगता है.
अगर आप जम्मू होते हुये जायेंगे तो पास मे ही कटरा जो कि जम्मू से ३५ किलोमीटर की दूरी पर है. वहां से आप वैष्णों देवी भी दर्शन करके आ सकते हैं.
कब जाएं -:
मई से सितम्बर और नवम्बर से फरवरी के बीच गुलमर्ग का मौसम बहुत ही सुहाना होता है।
गर्मी के मौसम में जाएँ तो हल्के गर्म कपडे साथ रखें , लेकिन सर्दियों में तो भारी ऊनी कपड़े ले जाना जरूरी ही है.
कहां ठहरें -:
गुलमर्ग एक मशहूर टूरिस्ट स्पॉट है, इसलिए यहां ठहरने के लिए हर स्तर के होटल और लॉज मौजूद हैं.यहां निजी होटलों की भी कमी नहीं है लेकिन मेरी माने तो तो जम्मू-कश्मीर टूरिज्म के होटलों में भी ठहर सकते हैं.
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अब जानते हैं गोंडोला केबल कार के बारे में-
Gondola Car
'गंडोला केबल कार 'गुलमर्ग
गुलमर्ग में दुनिया की सबसे ऊंची केबल कार चलती है-इस परियोजना के दूसरे चरण का उद्घाटन मई ,२००५ में हुआ.यह केबल कार पांच किलोमीटर की दूरी तय करके आपको 13,400 फीट की ऊंचाई तक ले जाती है. अभी तक ज्यादातर लोग यहां हेलिकॉप्टर के जरिए जाते थे।
gulmarg_gondola गुलमर्ग से अफारवत की पहाड़ियों तक का केबल कार से सफर लोगों को स्वर्गिक आनंद की अनुभूति देता है. गुलमर्ग गोंडोला नामक यह परियोजना दुनिया की सबसे ऊंची केबल कार परियोजना है। यह समुद्र तट से 13,400 फुट की ऊंचाई से गुजरती है।
इसमें बैठकर सैलानी 'पीरपंजाल 'पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी अफारवत तक जाते हैं। अफारवत की समुद्रतल से ऊंचाई 4390 मीटर है। इसमें प्रतिदिन पांच हजार से ज्यादा लोग सैर करते है.
राज्य बोर्ड द्वारा गोंडोला सवारी शुल्क--'गुलमर्ग से कोंगडोरी तक-[व्यस्क ]-३०० रु. तथा 'कोंगडोरी से अफारवत ' तक ५०० रु. केबल कार में सवारी के लिए शुल्क के बारे में नवीनतम और अधिक जानकारी के लिए आप इस अधिकारिक साईट पर जाईये..
http://www.jkccc.com/
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चलते चलते जानिए कि गोंडोला होती क्या है?
'गोंडोला लिफ्ट' किसी भी हवा में चलने वाली लिफ्ट को कहते हैं,इसे प्रायः केबल चार भी कहा जाता है.यह स्टील के लूप पर चलती है जो दो स्टेशन से जुडा होता है.कहीं कहीं यह लूप बीच बीच में टावर से सहारा भी लेता है.
यह ट्रोली या ट्राम से भिन्न है.सब से पहली गोंडोला अमेरिका में १९५७ में बनी थी.दो सवारियों को ले जा सकने वाली यह लिफ्ट 'स्की रिसॉर्ट' के लिए तैयार की गयी थी.१९९९ तक इस का इस्तमाल हुआ बाद में २००४ में इसे नष्ट कर दिया गया.
दुनिया की सब से लम्बी गोंडोला सवारी 'ग्रिंदेल्वेल्ड से मेन्निल्चेन' तक की है.दुनिया की सबसे ऊँचाई पर चलने वाली गोंडोला भारत के गुलमर्ग में है.
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तो यह थी गुलमर्ग के बारे मे जानकारी. वैसे पूरा काश्मीर ही घूमने की शानदार जगह है. अगर आप परिवार के साथ हैं यानी छोटे बच्चे भी साथ है तो श्रीनगर को आप रुकने का स्टेशन बना सकते हैं.
श्रीनगर मे ही निशात, चश्मेशाही और शालीमार गार्डन बहुत ही खूबसूरत बाग हैं. जहां लाईट एंड साऊंड प्रोग्राम भी होता है..
श्रीनगर मे ही पहाडी पर शंकराचार्य मण्दिर है. वहां शंकर भगवान बहुत ही पुराना और भव्य मण्दिर है. डल झील मे शिकारों का तो अलग ही आनंद है. आप चाहे तो बीच मे दो दिन होटल छोड कर शिकारे मे भी रह सकते हैं.
वहां से आप एक - दो रोज के लिये सोनमर्ग जा सकते हैं. जहां के ग्लेशियर आपका मन मोह लेंगे. आप चाहे तो सूबह जाकर शाम को भी आ सकते हैं.
यही से आप पहलगाम चले जाईये. यहीं से अमरनाथ यात्रा का पहला पडाव यानि चंदनवाडी जासकते हैं. पहलगाम मे आप अगर रुकना चाहे तो बहुत रमणीक जगह है. लिद्दर नदी के किनारे बसे पहलगाम मे आस् पास के चारागाहों मे घूमना और नदी किनारे बैठ कर आपको जन्नत का एहसास होगा.
पहलगाम में जैसा आपकी जेब और समय इजाजत दे उतने दिन रुक सकते हैं.
-अल्पना वर्मा- [march,2009]
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1 comment:
आप लेखन में बहुत सुन्दर संयोजन करती हैं !
एक पोस्ट में आपने इतनी विस्तृत जानकारी समेत दी कि किसी भी पर्यटक के लिए तो उपयोगी होगी ही, साथ ही पाठक के अन्दर भी स्थान विशेष के प्रति आकर्षण उत्पन्न होता है !
मैं अभागा हूँ जो अभी तक स्वर्ग कहे जाने वाले इस भू-भाग को देखने से वंचित हूँ !
लेकिन 13 ,400 फीट की ऊँचाई पर केबल कार से घूमने के रोमांच को महसूस कर रहा हूँ !
आप बहुत लगन से अपना ब्लॉग मेंटेन तैयार कर रही हैं !
अत्यंत प्रेरणादायी प्रयास है .....हार्दिक बधाई !
[शायद नीचे आपने वीडियो लगाया है लेकिन मेरे सिस्टम पर सिर्फ 'ब्लैक चादर' सी दिख रही है !]
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