पटना शहर [बिहार]
भारत के राज्य बिहार के बारे में हम आप को पहले बता चुके हैं.बिहार राज्य की राजधानी पटना है.ऐतिहासिक महत्व वाला यह एक ऐसा शहर है जो अति प्राचीन काल से अब तक आबाद है.
राजा पत्रक को इस शहर का जनक कहा जाता है.उन्होने इसे अपनी पत्नी पाटली के लिए जादू से बनाया था[??].
इसी लिए भी गंगा नदी के तट पर स्थित इस शहर का नाम कभी पाटलिपुत्र था.
पटना नाम कैसे पड़ा?कोई कहता है कि 'पटन देवी' के नाम पर है कोई कहता है कि यह नाम संस्कृत शब्द पट्टन से आया है.मौर्यकाल के यूनानी इतिहासकार मेगास्थनिज ने इस शहर को पालिबोथरा तथा चीनीयात्री फाहियान ने पालिनफू के नाम से संबोधित किया है.यह ऐतिहासिक नगर पिछली दो सहस्त्राब्दियों में कई नाम पा चुका है - पाटलिग्राम, पाटलिपुत्र, पुष्पपुर, कुसुमपुर, अजीमाबाद और पटना!
पाटली 'गुलाब के फूल को कहते हैं..यहाँ कभी फूल बहुत उगाए जाते थे.
नील की खेती के लिये १९१७ में चम्पारण आन्दोलन तथा 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन के समय पटना की भूमिका उल्लेखनीय रही है.
पटना नगर के लिए भगवान बुद्ध की यह भविष्यवाणी थी कि नगर का भविष्य उज्जवल होगा, बाढ़ या आग के कारण नगर को खतरा बना रहेगा.
यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं-
तख्त श्रीहरमंदिर[पटना ]सिखों के दसमें और अंतिम गुरु गोविन्द सिंह की जन्मस्थली है],अगम कुआँ [सम्राट अशोक के काल का एक कुआँ],
कुम्रहार [भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित ],
बेगू हज्जाम की मस्जिद,-
शेरशाह की मस्जिद,
पादरी की हवेली,
ख़ुदाबख़्श लाईब्रेरी[यहाँ कुछ अतिदुर्लभ मुगल कालीन पांडुलपियां हैं],
-क़िला हाउस [जालान हाउस ],
संजय गांधी जैविक उद्यान,दरभंगा हाउस ,
पटना संग्रहालय[ ३० करोड़ वर्ष पुराने पेड़ के तने का फॉसिल यहाँ है]
राजेंद्र प्रसाद स्मृति संग्रहालय सदाक़त आश्रम - [देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद की कर्मभूमि ],
ताराघर संग्रहालय के पास बना तारामंडल देश में वृहत्तम है] आदि.
यहीं है दुनिया का सबसे लंबा सड़क पुल जो कि पटना से हाजीपुर को जोड़ने को लिये गंगा नदी पर उत्तर-दक्षिण की दिशा में बना है इसे 'महात्मा गांधी सेतु' कहते हैं.
अधिक जानकारी यहाँ से भी ले सकते हैं -
http://en.wikipedia.org/wiki/Category:Visitor_attractions_in_Patna
Golghar in 1888 |
Golghar today [यह तस्वीर गूगल से साभार ] |
गोलघर -:
यह गोलाकार इमारत अपनी खास आकृति के लिए प्रसिद्ध है.
पटना के पश्चिमी किनारे पर स्थित इस 'गोलघर 'का निर्माण 1770 में आई भयंकर सूखे के दौरान कैप्टने जॉन गार्स्टिन ने ब्रिटिश फौज के लिए अनाज भंडारण के लिए करवाया था.
इसका निर्माण कार्य ब्रिटिश राज में 20 जुलाई 1786 को संपन्न हुआ था.
यह 96 फीट ऊंचा है ,इसकी दीवार आधार में 12 फीट मोटी है , आधार 125 मीटर है और इस में कहीं भी कोई स्तंभ नही है.इसमें एक साथ 140000 टन अनाज़ रखा जा सकता है.
ऊपर चढ़ने के लिए सर्पिलाकार की १४५ सीढियाँ हैं.कहते हैं मजदूर एक तरफ से अनाज के बोरे लेकर चढ़ते थे और ऊपर से खाली जगह से नीचे बोरे गिरा कर दूसरी तरफ से उतर जाते थे.
इस के ऊपर से एक तरफ जहाँ गंगा नदी को देखना बहुत ही मनमोहक है तो दूसरी तरफ से शहर का नज़ारा भी उतना ही लुभावना है.
गोलघर परिसर में बरगद का एक पेड़ और दर्शनीय गौरीशंकर मंदिर भी है.
चलते चलते -
बिहार सरकार ने इस स्थान को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल का रूप देने के लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया है जिस से पर्यटकों को इस स्थल की तरफ आकर्षित किया जा सके.
इस प्रोजेक्ट के अनुसार गोलघर के भीतरी भाग को भी दर्शकों के लिए खोल दिया जाएगा. गोलघर को भीतर से मजबूत बनाने के साथ-साथ सैलानियों को उसकी भीतरी बनावट भी दिखायी जायेगी.
यहां आकर पर्यटक शोध कर सकेंगे कि गोलघर का गुंबद बिना किसी स्तम्भ के कैसे खड़ा है.
इसके अलावा गुंबद के अंदर कला संस्कृति विभाग को विकसित करना,गोलघर परिसर में एम्फी थियेटर और सात-आठ दुकानें बनाना , पुराने कैफेटेरिया को आकर्षण रूप देना भी इसे प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं.
कैसे जाएँ?
सड़क,रेल,और वायु मार्ग से पटना सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है.
-पटना के बारे में और अधिक और ताज़ा जानकारी इस साईट पर उपलब्ध है -
http://rss.bih.nic.in/
http://www.patnadaily.com/
अधिक तस्वीरें यहाँ है -
10 comments:
bahut achchhi jankari se yukt post prastuti ke liye hardik shubhkamnayen
आपने हमको बढिया जानकारी दी, आपका आभार,
पटना के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी आपने.
मैं गोल घर घूमा हुआ हूँ.
वैसे वहाँ का तारामंडल,म्यूजियम और संजय गांधी वानस्पतिक उद्यान भी देखने और घूमने लायक है.
सादर
तहलका पत्रिका के जून के प्रथम अंक में आपके ब्लॉग की चर्चा हुई है। बढिया जानकारी।
पटना के बारे में अच्छी जानकारी दी आपने !!
@नीरज जाटShukriya Neeraj .aap ne bataya anytha mujhe maluum nahin tha.KYa mujhe us paper kee cutting mil sakti hai?
@यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur)Main un sthano ke links bhi post mei add kar dungee...shukriya yashwant.
हरमिंदर साहब के सामने से टेम्पो से निकल गए ,देखा नहीं.वैसे कई बार गए है -देखने लायक जगहों का वर्णन आपने अच्छा किया है.
सभी जगहें देखी हुई हैं। यादें ताज़ा हुईं।
अच्छी जानकारी...सुंदर फोटोस
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