जम्मू और कश्मीर राज्य का एक जिला 'लद्धाख 'सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण स्थल है.
उत्तर में चीन तथा पूर्व में तिब्बत की सीमाएँ हैं.
यह देश के सबसे विरल जनसंख्या वाले भागों में से एक है.कारण साफ है यहाँ की अत्यंत शुष्क एवं कठोरजलवायु !
वार्षिक वृष्टि 3.2 इंच तथा वार्षिक औसत ताप ५ डिग्री सें. है.मुख्य नदी सिंधु है.
कुछ समय पूर्व यहाँ पर्यटन विभाग ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 'सिंधु दर्शन' उत्सव प्रारंभ किया है.
जिले की राजधानी एवं प्रमुख नगर लेह है, जिसके उत्तर में कराकोरम पर्वत तथा दर्रा है.
ऐसा कहा जाता है कि अगर लेह से 70 किलोमीटर के अर्द्धव्यास का एक गोला बनाया जाए तो लद्दाख के सभी महत्वपूर्ण मठ व महल इसमें आ जाते हैं !
बौद्धो के प्रार्थना स्थल को गोम्फा [Gompa ] कहा जाता है.
लद्धाख में देखने के लिए कई स्थल हैं जैसे स्तोक पैलेस [ लेह का राजमहल जिस का एक हिस्सा जनता दर्शन केलिए खोल दिया गया है] ,
शान्ति स्तूप [दलाई लामा ने इसका उद्घाटन किया था],स्पितुक गोम्फा ,थिकसे गोम्फा,लिकिर" गोम्फा,अलीची गोम्फा
[कहा जाता है कि अलिचि के विहार चीनी सैलानी ह्वैन साँग के समय के हैं] और हेमिसऔर शै गोम्फा भी हैं और हेमिस गोम्भा सब से शक्तिशाली बताया जाता है.
बौद्ध बहुल इस क्षेत्र की प्रादेशिक राजनीति में इस गोम्फा के लामाओं की काफी भूमिका रहती है
बोद्ध मठों के अतिरिक्त लद्धाख में दुनिया की सब से ऊँची astronomical observatory है.
[चित्र - Henle observatory ]
[for more info refer to govt site--http://www.iiap.res.in/centers/iao]
लेह से निम्मू घाटी मार्ग पर एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा 'पत्थर साहेब' है.
सेना इसका संचालन करती है. यहाँ गुरु नानकदेवजी को नानकलामा के नाम से जाना जाता है.
लेह से १२६ किलोमीटर दूर स्थित लामायुरा से आप कारगिल देख सकते हैं. लामायुर गोम्फा के बारे में किंवदंति हैकि यहाँ पहले केवल पानी था, किसी लामा के वरदान के कारण जल में से पहाड़ी उभर कर आई और इस गोम्फा का निर्माण हुआ
लामायुरा के मन्दिर के भित्ती चित्रों के अलावा जो सब से अधिक आकर्षित करता है वह है मक्खन जी हाँ मक्खनसे बनी आकृतियाँ !मदिर के भीतर ही आप देख सकते हैं मक्खन से बने गुड्डे गुड़ियाँ मुखोटे आदि.
ऐसा सुना है कि लामायुरा में जो गुफाएं हैं वहाँ लामागुरु तपस्या करते हैं.
नुब्रा घाटी में बर्फीले पहाड़ और खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य देखने हों तो परमिट की ज़रूरत होती है.
खरदुंगा ला 18380 फीट की ऊँचाई पर स्थित है .दिस्तिक बाकी लद्दाख से काफी अलग काफी हरा भरा स्थान है
थिकसे गोम्फा -
थिकसे का अर्थ है पीला.
लेह में १२ हज़ार फीट पर पहाड़ी के ऊपर बनी हुई यह गोम्फा तिब्बती वास्तुकला का खूबसूरत उदाहरण है.
१५ वि शताब्दी में इसे शेर्ब जंगपो के भतीजे पल्दन शेराब ने बनवाया था.
12 मंजिल ऊँची इस गुम्फा में कई भवन हैं भगवान बुद्ध की मूर्तियाँ है.
रास्ते में सीढ़ियों के दोनो खूबसूरत गुलाब के फूलों की क्यारियां लगी हुई हैं. भवन में अन्दर कई मन्दिर हैं .
प्रमुख मन्दिर में बुद्ध [ भविष्य का बुद्ध]की १५ मीटर ऊँची काँसे की मूर्ति इस गुम्फा का विशेष आकर्षण है.इस भव्य मूर्ति का तीनो मंजिलों से किसी भी मंजिल से दर्शन किया जा सकता है.
दीवारों पर बनी चित्रकारी अद्भुत है और बुद्ध भगवान का मुकुट बेहद अनूठा!
यह मोनास्ट्री लगभग १० छोटे मठों का प्रबंधन करती है.
चित्र में देखीये मुकुट में कई भगवानों के भव्य चित्र !
कैसे जाएँ-
सड़क मार्ग से लेह देश के सभी मुख्य शहरों से जुडा है.
लेह में एअरपोर्ट भी है जो दिल्ली ,चंडीगढ़ ,जम्मू आदि से हवाई सेवाएं देता है.
रेलवे स्टेशन - निकटतम जम्मू है.
उत्तर में चीन तथा पूर्व में तिब्बत की सीमाएँ हैं.
यह देश के सबसे विरल जनसंख्या वाले भागों में से एक है.कारण साफ है यहाँ की अत्यंत शुष्क एवं कठोरजलवायु !
वार्षिक वृष्टि 3.2 इंच तथा वार्षिक औसत ताप ५ डिग्री सें. है.मुख्य नदी सिंधु है.
कुछ समय पूर्व यहाँ पर्यटन विभाग ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 'सिंधु दर्शन' उत्सव प्रारंभ किया है.
जिले की राजधानी एवं प्रमुख नगर लेह है, जिसके उत्तर में कराकोरम पर्वत तथा दर्रा है.
ऐसा कहा जाता है कि अगर लेह से 70 किलोमीटर के अर्द्धव्यास का एक गोला बनाया जाए तो लद्दाख के सभी महत्वपूर्ण मठ व महल इसमें आ जाते हैं !
बौद्धो के प्रार्थना स्थल को गोम्फा [Gompa ] कहा जाता है.
लद्धाख में देखने के लिए कई स्थल हैं जैसे स्तोक पैलेस [ लेह का राजमहल जिस का एक हिस्सा जनता दर्शन केलिए खोल दिया गया है] ,
शान्ति स्तूप [दलाई लामा ने इसका उद्घाटन किया था],स्पितुक गोम्फा ,थिकसे गोम्फा,लिकिर" गोम्फा,अलीची गोम्फा
[कहा जाता है कि अलिचि के विहार चीनी सैलानी ह्वैन साँग के समय के हैं] और हेमिसऔर शै गोम्फा भी हैं और हेमिस गोम्भा सब से शक्तिशाली बताया जाता है.
बौद्ध बहुल इस क्षेत्र की प्रादेशिक राजनीति में इस गोम्फा के लामाओं की काफी भूमिका रहती है
बोद्ध मठों के अतिरिक्त लद्धाख में दुनिया की सब से ऊँची astronomical observatory है.
[for more info refer to govt site--http://www.iiap.res.in/centers/iao]
लेह से निम्मू घाटी मार्ग पर एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा 'पत्थर साहेब' है.
सेना इसका संचालन करती है. यहाँ गुरु नानकदेवजी को नानकलामा के नाम से जाना जाता है.
लेह से १२६ किलोमीटर दूर स्थित लामायुरा से आप कारगिल देख सकते हैं. लामायुर गोम्फा के बारे में किंवदंति हैकि यहाँ पहले केवल पानी था, किसी लामा के वरदान के कारण जल में से पहाड़ी उभर कर आई और इस गोम्फा का निर्माण हुआ
लामायुरा के मन्दिर के भित्ती चित्रों के अलावा जो सब से अधिक आकर्षित करता है वह है मक्खन जी हाँ मक्खनसे बनी आकृतियाँ !मदिर के भीतर ही आप देख सकते हैं मक्खन से बने गुड्डे गुड़ियाँ मुखोटे आदि.
ऐसा सुना है कि लामायुरा में जो गुफाएं हैं वहाँ लामागुरु तपस्या करते हैं.
नुब्रा घाटी में बर्फीले पहाड़ और खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य देखने हों तो परमिट की ज़रूरत होती है.
खरदुंगा ला 18380 फीट की ऊँचाई पर स्थित है .दिस्तिक बाकी लद्दाख से काफी अलग काफी हरा भरा स्थान है
थिकसे गोम्फा -
थिकसे का अर्थ है पीला.
लेह में १२ हज़ार फीट पर पहाड़ी के ऊपर बनी हुई यह गोम्फा तिब्बती वास्तुकला का खूबसूरत उदाहरण है.
१५ वि शताब्दी में इसे शेर्ब जंगपो के भतीजे पल्दन शेराब ने बनवाया था.
12 मंजिल ऊँची इस गुम्फा में कई भवन हैं भगवान बुद्ध की मूर्तियाँ है.
रास्ते में सीढ़ियों के दोनो खूबसूरत गुलाब के फूलों की क्यारियां लगी हुई हैं. भवन में अन्दर कई मन्दिर हैं .
प्रमुख मन्दिर में बुद्ध [ भविष्य का बुद्ध]की १५ मीटर ऊँची काँसे की मूर्ति इस गुम्फा का विशेष आकर्षण है.इस भव्य मूर्ति का तीनो मंजिलों से किसी भी मंजिल से दर्शन किया जा सकता है.
दीवारों पर बनी चित्रकारी अद्भुत है और बुद्ध भगवान का मुकुट बेहद अनूठा!
यह मोनास्ट्री लगभग १० छोटे मठों का प्रबंधन करती है.
Maitrya Buddha |
कैसे जाएँ-
सड़क मार्ग से लेह देश के सभी मुख्य शहरों से जुडा है.
लेह में एअरपोर्ट भी है जो दिल्ली ,चंडीगढ़ ,जम्मू आदि से हवाई सेवाएं देता है.
रेलवे स्टेशन - निकटतम जम्मू है.
13 comments:
बहुत ही सुंदर फोटोस और जानकारी.....थैंक यू
लेह के बारे में अच्छी जानकारी,बैठे-बैठे सचित्र सैर हो गयी ,बहुत धन्यवाद.
बहुत ही रोचक जानकारी.
सादर
सचित्र लेह -विवरण बहुत अच्छा है.१९८१ और ८२ में मैं दो बार कारगिल में रहा परन्तु लेह नहीं गया था.अब घर बैठे आपने सैर करा दी.
आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
सादर
May God gift you all the colors of life, colors of joy, colors of happiness, colors of friendship, colors of love and all other colors you want to paint in your life.
HAPPY HOLI
thanks Alka and Yashwant..aap ko bhi holi saprivaar bahut bahut mubarak ho...
.होली पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ...
बहोत ही अच्छी जानकारी दी आपने लेह के बारे में
बहोत बहोत धन्यवाद
आपका ब्लाग देखा तो अपनी यादे जो अभी चल रही है एक बार फ़िर से याद आ गयी है।
अल्पना जी!
राजभाषा विकास परिषद के ब्लॉग में शामिल होने के लिए धन्यवाद।
वतन से दूर रहकर वतन की याद बनाए रखना और वतन का गुण गान करना सच्चे भारतवासी का परिचायक है। फिर भी -
अब वतन से दूरी कहाँ, इस हस्तामलक कंप्यूटर युग में,
स्वास भरें, उच्छ्वास छोड़ें, एक क्षण में अपने वतन में।
Plz also have a blog on mata Vaishno Devi, Jammu & Kashmir.
jee pravash kumar ji,zarur likhungee.
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