केरल राज्य जिसे ईश्वर का अपना देश भी कहा जाता है.इस हरे भरे राज्य के बारे में विस्तार से हम आप को अपनी पुरानी पोस्ट में बता चुके हैं पिछले ही पोस्ट में हमने कोच्ची के बारे में भी जाना.
आज चलते हैं इस राज्य के कासरगोड जिले में जो केरल के उत्तर में स्थित है अरब सागर के तट को छूता हुआ बेहद रमणीक स्थल है.
इसके पूर्व में पश्चिमी घाट, पश्चिम में अरब सागर, उत्तर में कर्नाटक और दक्षिण में कन्नूर जिला है.यहाँ के हेंडलूम की लुंगी और साड़ियाँ बहुत प्रसिद्द हैं.
पर्यटकों के लिए यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं:-
1. चन्द्रगिरी किला,[http://enchantingkerala.org/kerala-monuments/chandragiri-fort.php]
2. कोट्टनचेरी हिल्स,
3. मलिक दीनार मस्जिद,
4. मदियां कूलम मंदिर[अजानूर],
5. मधुर सिद्धिविनायक मंदिर,
6. ट्रैकिंग के लिए रानीपुरम घाटी [इसे केरल का ऊटी भी कहते हैं],
7. कपिल बीच
8. बेकल किला.
[Find more details at http://kasargod.nic.in/tourism/tourspots.htm ]
इनमें से आज एक के बारे में जानिए-:
बेकल दुर्ग ,कासरगोड[ केरल ]-:
दक्षिणी-पूर्व कासरगोड से 16 किमी. दूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर, अरब सागर के किनारे केरल राज्य का ३०० साल पुराना और सबसे बड़ा दुर्ग 'बेकल दुर्ग ' है.
यहाँ आप को आस पास आबादी बहुत कम दिखाई देगी और किले के आस पास 'बीच रेसोर्ट' ज़रूर देखने को मिल जायेंगे.
समुद्र से ३०० फीट की ऊँचाई पर यह किला ,राज्य क्षेत्र की सुरक्षा के लिए बनवाया गया था.इसे आवास हेतु प्रयोग नहीं किया जाता था.
इसके प्रवेश द्वार के समीप ही हनुमान जी का मंदिर बना है और बाहर टीपू सुल्तान की बनवाई विशाल मस्जिद भी है.
यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता को देखने साल भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है.
जुलाई ,अगस्त , सितम्बर में बारिशें बहुत होती हैं,उस समय न जाएँ तो बेहतर है.
एक मत के अनुसार इस किले का निर्माण सन् १६५० में इक्केरी वंश के सिवाप्पा नायका ने करवाया था,परन्तु बहुत से इतिहासकार इसे विजयनगर के कोलाथिरी शासकों द्वारा बनवाया गया मानते हैं.विजयनगर और कोलाथिरी के पतन के बाद यह क्षेत्र नायका शासकों के अधीन आ गया था और उन्होंने इस का पुनर्निर्माण कराया .
१७६३ इसवी में यह किला हैदर अली के हाथों में आ गया.टीपू सुल्तान की मृत्यु के बाद १७९९ इसवी में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इस पर कब्ज़ा कर लिया था.किला लगभग ४० एकड़ में फैला हुआ है ,इसकी दीवारें १२ मेटर ऊँची हैं ,किले के अन्दर टेड़े मेड़े रास्ते हैं और कई भूमिगत सुरंगें भी हैं.
यहाँ का observation tower इस किले की मुख्य पहचान है. इस टावर से आप सागर और आस पास का ३६० डिग्री नज़ारा ले सकते हैं .
किले की दीवारों में बने छेद गवाही देते हैं कि वहाँ से छुप कर गोलीबारी करने की सुविधा थी.टावर की दीवार पर तीन तरह के छोटे छोटे छेद हैं जिन में से बन्दूक द्वारा दुश्मन की किले से दूरी के हिसाब से हमला करने की सुविधा थी.जैसे किले से दुश्मन की अधिकतम दूरी होने पर सबसे ऊपर बने छेद से फायर करना है .दुर्ग के चारों ओर जहाँ भूमि है वहाँ सुरक्षा हेतु पानी भरी खाई है.
पुरातत्व विभाग द्वारा किये गए उत्खनन में मिले कुछ सिक्के इक्केरी वंश के नायका शासकों के काल के और टीपू सुल्तान के शासन काल के प्रमाणित हुए हैं.
इसके अतिरिक्त एक दरबार हाल , एक मंदिर और टीपू सुल्तान के शासन काल का ताम्बे का सिक्का उत्खनन की मुख्य उपलब्धि है.
यह किला भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है .१५ वर्ष से बड़े पर्यटकों को यहाँ प्रवेश के लिए टिकट लेना होता है. पर्यटकों के रुकने और रहने के लिए होटल ,रेसोर्ट ,ट्री हाउस और डोरमिटरी जैसी सुविधाएँ हैं.तट के पास ही 7000 वर्ग मी. विस्तार में[शुल्क सहित] पार्किंग स्थान है.
यहीं पल्लिकर समुद्री तट [बीच] भारत के श्रेष्ठ समुद्री तटों में से एक है.सैलानियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएँ यहाँ मौजूद हैं.
पास बना बच्चों का पार्क भी विशेष आकर्षण है और किले के उत्तर में कुछ दूरी पर एक्व्वा पार्क [वाटर पार्क] बना हुआ है.जो अपनी तरह का पूरे उत्तरी मालाबार में एक ही है.
[जानकारी स्त्रोत-भारतीय पुरातत्व विभाग और केरल की अधिकारिक साईट से अनुवादित ]
इसी किले की विडियो देखें-:
अगर आप ने मनी रत्नम निर्देशित फिल्म बोम्बे का गीत 'तू ही रे 'देखा होगा तो आप को यह किला भी तुरंत याद आ जायेगा अगर नहीं देखा है तो यहाँ देखीये.
मनोरंजन के साथ साथ बेकल किला और अरब सागर की खूबसूरती भी देखें-
यह वही किला है जहाँ इस गीत की शूटिंग हुई थी और यह कहना ग़लत न होगा कि इसी गीत ने हिंदी दर्शकों में ' बेकल दुर्ग और इस के समुद्र तट की'पहचान और लोकप्रियता को बढ़ा दी थी.
आज चलते हैं इस राज्य के कासरगोड जिले में जो केरल के उत्तर में स्थित है अरब सागर के तट को छूता हुआ बेहद रमणीक स्थल है.
इसके पूर्व में पश्चिमी घाट, पश्चिम में अरब सागर, उत्तर में कर्नाटक और दक्षिण में कन्नूर जिला है.यहाँ के हेंडलूम की लुंगी और साड़ियाँ बहुत प्रसिद्द हैं.
पर्यटकों के लिए यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं:-
1. चन्द्रगिरी किला,[http://enchantingkerala.org/kerala-monuments/chandragiri-fort.php]
2. कोट्टनचेरी हिल्स,
3. मलिक दीनार मस्जिद,
4. मदियां कूलम मंदिर[अजानूर],
5. मधुर सिद्धिविनायक मंदिर,
6. ट्रैकिंग के लिए रानीपुरम घाटी [इसे केरल का ऊटी भी कहते हैं],
7. कपिल बीच
8. बेकल किला.
[Find more details at http://kasargod.nic.in/tourism/tourspots.htm ]
इनमें से आज एक के बारे में जानिए-:
बेकल दुर्ग ,कासरगोड[ केरल ]-:
दक्षिणी-पूर्व कासरगोड से 16 किमी. दूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर, अरब सागर के किनारे केरल राज्य का ३०० साल पुराना और सबसे बड़ा दुर्ग 'बेकल दुर्ग ' है.
यहाँ आप को आस पास आबादी बहुत कम दिखाई देगी और किले के आस पास 'बीच रेसोर्ट' ज़रूर देखने को मिल जायेंगे.
समुद्र से ३०० फीट की ऊँचाई पर यह किला ,राज्य क्षेत्र की सुरक्षा के लिए बनवाया गया था.इसे आवास हेतु प्रयोग नहीं किया जाता था.
इसके प्रवेश द्वार के समीप ही हनुमान जी का मंदिर बना है और बाहर टीपू सुल्तान की बनवाई विशाल मस्जिद भी है.
यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता को देखने साल भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है.
जुलाई ,अगस्त , सितम्बर में बारिशें बहुत होती हैं,उस समय न जाएँ तो बेहतर है.
एक मत के अनुसार इस किले का निर्माण सन् १६५० में इक्केरी वंश के सिवाप्पा नायका ने करवाया था,परन्तु बहुत से इतिहासकार इसे विजयनगर के कोलाथिरी शासकों द्वारा बनवाया गया मानते हैं.विजयनगर और कोलाथिरी के पतन के बाद यह क्षेत्र नायका शासकों के अधीन आ गया था और उन्होंने इस का पुनर्निर्माण कराया .
१७६३ इसवी में यह किला हैदर अली के हाथों में आ गया.टीपू सुल्तान की मृत्यु के बाद १७९९ इसवी में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इस पर कब्ज़ा कर लिया था.किला लगभग ४० एकड़ में फैला हुआ है ,इसकी दीवारें १२ मेटर ऊँची हैं ,किले के अन्दर टेड़े मेड़े रास्ते हैं और कई भूमिगत सुरंगें भी हैं.
यहाँ का observation tower इस किले की मुख्य पहचान है. इस टावर से आप सागर और आस पास का ३६० डिग्री नज़ारा ले सकते हैं .
किले की दीवारों में बने छेद गवाही देते हैं कि वहाँ से छुप कर गोलीबारी करने की सुविधा थी.टावर की दीवार पर तीन तरह के छोटे छोटे छेद हैं जिन में से बन्दूक द्वारा दुश्मन की किले से दूरी के हिसाब से हमला करने की सुविधा थी.जैसे किले से दुश्मन की अधिकतम दूरी होने पर सबसे ऊपर बने छेद से फायर करना है .दुर्ग के चारों ओर जहाँ भूमि है वहाँ सुरक्षा हेतु पानी भरी खाई है.
पुरातत्व विभाग द्वारा किये गए उत्खनन में मिले कुछ सिक्के इक्केरी वंश के नायका शासकों के काल के और टीपू सुल्तान के शासन काल के प्रमाणित हुए हैं.
इसके अतिरिक्त एक दरबार हाल , एक मंदिर और टीपू सुल्तान के शासन काल का ताम्बे का सिक्का उत्खनन की मुख्य उपलब्धि है.
यह किला भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है .१५ वर्ष से बड़े पर्यटकों को यहाँ प्रवेश के लिए टिकट लेना होता है. पर्यटकों के रुकने और रहने के लिए होटल ,रेसोर्ट ,ट्री हाउस और डोरमिटरी जैसी सुविधाएँ हैं.तट के पास ही 7000 वर्ग मी. विस्तार में[शुल्क सहित] पार्किंग स्थान है.
यहीं पल्लिकर समुद्री तट [बीच] भारत के श्रेष्ठ समुद्री तटों में से एक है.सैलानियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएँ यहाँ मौजूद हैं.
पास बना बच्चों का पार्क भी विशेष आकर्षण है और किले के उत्तर में कुछ दूरी पर एक्व्वा पार्क [वाटर पार्क] बना हुआ है.जो अपनी तरह का पूरे उत्तरी मालाबार में एक ही है.
- नजदीकी रेलवे स्टेशन-कासरगोड
- हवाई सेवा-मंगलूर, 50 कि. मी. , करिप्पूर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, 200 कि. मी. पर है.
[जानकारी स्त्रोत-भारतीय पुरातत्व विभाग और केरल की अधिकारिक साईट से अनुवादित ]
इसी किले की विडियो देखें-:
अगर आप ने मनी रत्नम निर्देशित फिल्म बोम्बे का गीत 'तू ही रे 'देखा होगा तो आप को यह किला भी तुरंत याद आ जायेगा अगर नहीं देखा है तो यहाँ देखीये.
मनोरंजन के साथ साथ बेकल किला और अरब सागर की खूबसूरती भी देखें-
यह वही किला है जहाँ इस गीत की शूटिंग हुई थी और यह कहना ग़लत न होगा कि इसी गीत ने हिंदी दर्शकों में ' बेकल दुर्ग और इस के समुद्र तट की'पहचान और लोकप्रियता को बढ़ा दी थी.
5 comments:
वाह आज तो मजा आ गया रोचक जानकारी के साथ अपना पसंदीदा गाना देख कर.
सादर
बहुत धन्यवाद, इस अच्छी जानकारी के लिए.
कितनी अच्छी फोटोज और जानकारी भरी पोस्ट ..... थैंक यू
बहोत ही अच्छी जानकारी दी आपने
धन्यवाद
alpna didi bahut achi jankari di aapne. bahut hi sundar
video bhi bahut sundar laga.
film bombay hamne dekhi thi tab ye baat nahi pata thi yahin ke scene hain.
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