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बोर्रा गुफाएँ--[आन्ध्र प्रदेश]



आन्ध्र प्रदेश ,भारत देश के पूर्वी तट पर स्थित राज्य है. यह क्षेत्र से भारत का सबसे बड़ा चौथा राज्य और जनसंख्या द्वारा पांचवां सबसे बड़ा राज्य है.इस की राजधानी हैदराबाद है.२३ जिलों वाले इस राज्य में बहुत सी ऐसे जगहें हैं जिनका ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है.आज हम आप को इसी प्रदेश की एक ऐसी ही प्राचीन और महत्वपूर्ण जगह पर ले चलेंगे.यह जगह है 'बुर्रा या बोर्रा गुफाएं '.


बुर्रा या बोर्रा गुफाएं-

तेलुगु में बुर्रा का अर्थ है-'मस्तिष्क'. इसी शब्द का एक अर्थ यह भी है कि ज़मीन में गहरा खुदा हुआ.

अराकू घाटी से २९ किलो मीटर दूर यह गुफाएं जिला विशाखापत्तनम में पड़ती हैं. भारत के पूर्वी तट पर 'अनन्तगिरि' पहाडियों में बनी ये गुफाएं देश की सब से बड़ी गुफाएं भी हैं. गोस्थानी नदी इन्हीं गुफाओं से निकलती है..यह कहिये - इस नदी के सालों से बहते हुए उस के दवाब से चूना पत्थरों में दरारें पड गयी और गुफाएं बन गयीं!
गोस्थानी अर्थात गो+स्थानी=गाय के थन ,यह गुफाएं गाय के थन की आकृति की कही जाती हैं. यहीं से निकलने के कारन इस नदी का यह नाम पड़ा.
Gosthani river

इन गुफाओं में विभिन्न आकार के speleothems,स्टेलेक्टाईट और स्टेलेक्माईट मिल जाते हैं.

स्टेलेक्टाईट-

चूनापत्थर (लाईम स्टोन) पानी के साथ क्रिया करने के बाद गुफा की दरारों से रिस रिस कर स्टेलेक्टाईट अथवा आश्चुताश्म बनाते हैं. (दीवार से नीचे की ओर लटकी चूना पत्थर की रचना: छत से रिसता हुवा जल धीरे-धीरे टपकता रहता हैं। इस जल में अनेक पदार्थ घुले रहते हैं। अधिक ताप के कारण वाष्पीकरण होने पर जल सूखने लगता हैं तथा गुफा की छत पर पदार्थों जमा होने लगता हैं । इस निक्षेप की आकृति कुछ कुछ स्तंभ की तरह होती हैं जो छत से नीचे फर्श की ओर विकसित होते हैं)
[चित्र में देखीये]


स्टेलेक्टाईट
स्टेलेक्टाईट अथवा आश्चुताश्म


स्टेलेक्माईट अथवा निश्चुताश्म कैसे बनता है-(जमीन से दीवार की ओर उठी चूना पत्थर की संरचना: छत से टपकता हुवा जल फर्श पर धीरे-धीरे एकत्रित होता रहता हैं । इससे फर्श पर भी स्तंभ जैसी आकृति बनने लगती हैं। यह विकसित होकर छत की ओर बढ़ने लगती हैं और स्तंभ जैसी (जब स्टेलेक्टाईट और स्टेलेक्माईट मिल जाते हैं) संरचनायें बन जाती हैं.


इन गुफाओं में आप इन अद्भुत संरचनाओ को देख सकते हैं आंध्र पर्यटन विभाग ने गुफा के अन्दर इन्हें देखने के लिए रौशनी की भरपूर व्यवस्था की है.सोडियम बल्बों की रौशनी में इन संरचनाओं को देखना अद्भुत है.

इतिहास - गुफा के बाहर लगे बोर्ड पर लिखे विवरण के अनुसार-

यह गुफाएं १५० मिलीयन सालों पुरानी बताई जाती हैं.इन्हें विलियम किंग जोर्जे नमक एक अंग्रेज ने सन् १८०७ में खोज निकला था.इन गुफा के आस पास रहने वाले ग्रामवासी बताते हैं कि एक बार सालों पहले एक गाय चरते चरते ज़मीन के एक छेद से ६० मीटर नीचे गड्ढे में गिर पड़ी. चरवाहे ने जब नीचे जा कर देखा तो शिवलिंग जैसी आकृति वहां देखी. गाय को सुरक्षित देख कर सब ने इसे शिवलिंग का चमत्कार माना और गुफा के बाहर एक शिव मंदिर बना दिया गया.
गुफा की गहराई में शिवलिंग

एक दूसरी कहानी के अनुसार,गुफा की गहराई में बना यह शिवलिंग भगवान् शिव का प्रतीक है और इस के ऊपर बनी गाय , कामधेनु की आकृति है जिस के थनों से 'गोस्थानी नदी 'का उद्गम हुआ है. यह नदी यहाँ से निकल कर उडीसा राज्य से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है. पूरे विशाखापत्तनम को पानी पिलाने वाली भी यही गोस्थानी नदी है.

गुफा के बारे में कुछ और बातें--

चूँकि यह नदी इन गुफाओं से निकली है, स्टेलेक्टाईट और स्टेलेक्माईटमें से गुजरते हुए यहाँ कई तरह की आकृतियाँ सी बन गयी हैं जिन्हें कल्पना के अनुसार शिव-पारवती, मानव मस्तिष्क, माँ-शिशु, ऋषि की दाढ़ी , मशरूम आदि जैसे नाम भी दे दिए गए हैं. यह गुफाएं बहुत ही गहरी हैं बाहर से इनमें रौशनी न के बराबर ही आ पाती है. यूँ तो गुफा देखने हेतु अन्दर तक लगभग ३५० स्टेप की सीढियां पर्यटन विभाग ने बनवाई हैं. नमी के कारन फिसलन हो सकती है. इसलिये ध्यान से कदम रखें और वज़न ले कर न आयें. बहुत गहरे में न जाएँ क्योंकि वहां हवा की कमी और oxygen की कमी हो सकती है.


अन्दर बहुत गहराई तक जाने के लिए रेंग कर भी जाना पड़ता है. अन्दर का तापमान लगभग १६ डिग्री होता है. गुफाओं में कहीं कहीं सल्फर के सोते भी बहते हैं. मूल रूप से यह गुफा चूना पत्थर की ही है. इन गुफाओं के खनन में कीमती पत्थर रूबी के पाए जाने की संभावनाएं हैं. पुरात्तव विभाग ने इन गुफाओं की खुदाई में ३०,००० से ५०,००० साल पहले के बने पत्थर के ओजार यहाँ से पाए हैं जिनसे उस समय यहाँ इंसानी सभ्यता का होना प्रमाणित किया जाता है.


वैज्ञानिकों और पुरातत्व विशेषज्ञों के लिए यह स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है .
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कब जाएँ--वर्ष पर्यंत लेकिन सब से अनुकूल समय नवम्बर और दिसम्बर महीने हैं.
गुफाएं खुलने का समय-सुबह १० से शाम ५:३० बजे तक.
टिकिट-२५ रूपये प्रति विजिटर [जांच लें]

कैसे जाएँ-

यह स्थान विशाखापत्तनम में शहर से ९० किलोमीटर दूर है.
विशाखापत्तनम वायु, रेल और सड़क मार्ग से प्रमुख भारतीय शहरों और राज्य की राजधानी हैदराबाद के साथ जुड़ा हुआ है. इंडियन एयरलाइंस की दैनिक उडाने विजाग के लिए दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद और चेन्नई से संचालित होती हैं.

रेल-यात्रा --:


इन गुफाओं से निकटतम 'बुर्रा गुहालू' रेलवे स्टेशन है.
अगर आप ट्रेन से जा रहे हैं तो यह ट्रेन ८४ पुलों और ५२ सुरंगों से होती हुई ,अराकू घाटी की सुन्दरता , कोफी के बाग़, पहाडियां, आदि दिखाती हुई जायेगी. [जैसा पहेली के एक क्लू के चित्र में आप ने देखा है.]


रेल में सीटें विशाखापत्तनम रेलवे स्टेशन से बुक की जा सकती हैं.रेल से बोर्रा तक पहुँचने का समय ५ से ६ घंटे का है. समय सारणी से समय जांच लें.

आंध्र पर्यटन विभाग के पैकेज बहुत अच्छे हैं जिनमें अराकू घाटी और बुर्रा गुफाओं की सैर के लिए जाते हुए रेल और आते हुए सड़क मार्ग [बस ] से कई और पर्यटक स्थल दिखाते हुए वापसी होती है .

सड़क मार्ग-

अगर आप सड़क मार्ग से कार या जीप में जा रहे हैं तो ३ घंटे में आप गुफाओं तक पहुँच सकते हैं.

विशाखापतनम या विजाग में अराकू और बुर्रा गुफाओं के अलवा और भी बहुत सी सुन्दर जगहें देखना न भूलें--जैसे-
१-कैलाश गिरी,
२-ऋषि कोंडा.
३-राम-कृष्ण बीच.
४-सिंह anchalam मंदिर.
५-इंदिरा गाँधी जूलोजिकल पार्क.
६-भीमुनिपतनम.
७-वुडा पार्क
८-डोल्फिन की नाक [एक चट्टान].
९-सबमरीन म्यूज़ियम
१०-बुद्धिस्ट हरीटेज
११-लाल-रेत की पहाडियां.

Reference-official website of Andhra Pradesh and other sources
post written - by [Alpana-]

7 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

बोरा गुफाओं के बारे में बहुत ही विस्तार से जान कर अच्छा लगा.

सादर

नीरज मुसाफ़िर said...

एक बार आंध्र प्रदेश पर्यटन विभाग के उस पैकेज के खर्च के बारे में भी बता दीजिये। मेरी औकात से ज्यादा हुआ तो अपने खर्चे से ही चला जाऊंगा।
बहुत बढिया जानकारी।

Alpana Verma said...

@Neeraj ,
Andhra mein ghumna mahanga nahin hai ,aisa meri telugu friend kahti hai jo khud Andhra se hain.

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Andhra kee official web site par dekhna.wahan diye numbers se maluum karo ...
koi aur specific jaankari chaheeye to email karna..main apni friend se poochh kar bata dungee.

Sunil Kumar said...

mai haiderabad men 11 sal se rah raha hun magar itni jankari nahi thi . dhanyvad achhi jankari he liye

vijai Rajbali Mathur said...

घर बैठे ऐतिहासिक और भौगोलिक जानकारी मिली ,धन्यवाद.वस्तुतः प्रादेशिक सरकारों को आपका एहसानमंद होना चाहिए,उनका कार्य आप सुगम का रही हैं.

आशीष मिश्रा said...

बोरा की गुफाओं के बारे में जानकार बहोत ही अच्छा लगा
बहोत बहोत धन्यवाद
..............

Alka Ray said...

alpana didi aapne bahut acha likha. aap jab khub sara likh len tab ek book men sab publish kariye. bahut useful hogi ye sari information.
pure india ke bare me itni anokhi information ek sath hindi men kahin nahi hogi. hai na didi ?
thank