'मुर्शिदाबाद 'पश्चिम बंगाल का एक ऐसा शहर है जिसने ऐतिहासिक और प्राकृतिक पर्यटक स्थलों के लिए पूरे विश्व में पहचान बनाई है.
'हज़ारद्वारी महल' कोलकाता से 219 किलोमीटर की दूरी पर बना मुर्शिदाबाद का प्रमुख पर्यटक स्थल है.
भागीरथी नदी के किनारे बने इस तीन मज़िले भवन में ,११४ कमरे और ९०० वास्तविक दरवाज़े हैं और बाकि आभासी[हूबहू दिखते मगर पत्थर के बने हैं ] .इसलिए इसे १००० द्वारी कहा जाता है.प्रसिद्ध वास्तुकार मैकलिओड डंकन द्वारा ग्रीक (डोरिक) शैली का अनुसरण करते हुए मीर जाफर के उत्तराधिकारी नवाब नाज़िम हुमायूँ जहाँ (1829-1837 ई.) के शासन काल में इसका निर्माण हुआ.यह लगभग 41 एकड़ में फैला हुआ एक खूबसूरत महल है.नवाब यहाँ अपना दरबार लगाते थे.और अंग्रेजों के शासन काल में यहाँ प्रशासकीय कार्य किये जाते थे.यह महल कभी भी आवास के लिए नहीं इस्तमाल किया गया.
यहाँ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का सबसे बड़ा स्थल संग्रहालय भी है इसलिए इसे हजारद्वारी महल संग्रहालय भी कहा जाता है.
1985 में इस महल के बेहतर परिरक्षण के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को सौंप दिया गया. यह संग्रहालय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का सबसे बड़ा स्थल संग्रहालय माना जाता है और इसमें बीस दीर्घाएं प्रदर्शित हैं जिनमें 4742 पुरावस्तुएं मौजूद हैं जिनमें से जनता के लिए 1034 पुरावस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं।
पुरावस्तुओें के संग्रह में विभिन्न प्रकार के हथियार, डच, फ्रांसिसी और इतालवी कलाकारों द्वारा बनाए गए तैल चित्र, संगमरमर की मूर्तियॉं, धातु की वस्तुएं, चीनी मिट्टी और गचकारी की मूर्तियॉं, फरमान, विरल पुस्तकें, पुराने मानचित्र, पाण्डुलिपियाँ, भू-राजस्व के रिकार्ड, पालकी शामिल हैं जिनमें से अधिकतर 18वीं और 19वीं शताब्दियों से सम्बंधित हैं.इस संग्राहलय में पर्यटक 2700 से अधिक हथियारों को देख सकते हैं। इन हथियारों में नवाब अलीवर्दी खान, सिराजुद्दौला और उनके दादाजी की तलवारें प्रमुख हैं। यहां घूमने के बाद पर्यटक विन्टेज कारों का अदभूत संग्रह भी देख सकते हैं। इन कारों का प्रयोग शाही घराने के सदस्य किया करते थे। संग्राहलय और पैलेस देखने के बाद पर्यटक यहां पर बने पुस्तकालय में भी घूमने जा सकते हैं। पुस्तकालय में घूमने के लिए पर्यटकों को पहले विशेष अनुमति लेनी पड़ती है।अकबरनामा की मूल प्रति भी यहीं रखी हुई है.
घडी घर और इमामबाडा |
इस प्रासाद के परिसर में घडी घर ,मदीना मस्जिद ,इमामबाड़ा और बच्चावाली तोप भी देखी जा सकती हैं . १२-१४ शताब्दी में बनी इस १६ फीट की तोप में लगभग १८ किलो बारूद इस्तमाल किया जा सकता था.कहते हैं कि इसे सिर्फ एक ही बार इस्तमाल किया गया है..और उस समय धमाका इतना बड़ा और तीव्र हुआ था कि कई गर्भवती महिलाओं ने समय से पूर्व बच्चे जन्म दिए थे.इसलिए इसे बच्चावाली तोप कहते हैं.
इस महल को देखने के लिए प्रवेश शुल्क निर्धारित है.शुक्रवार को यह बंद रहता है.
सबसे अच्छा समय घूमने के लिए सितम्बर से मार्च तक है.
कैसे पहुंचे -
मुर्शिदाबाद का शहर बेरहामपुर कोलकता से कोई १९५ किलोमीटर पर स्थित है.
१-सड़क मार्ग -
कोलकता से बेरहामपुर के लिए नियमित बसे सेवा है.
२-रेल द्वारा-
बेरहामपुर का मुख्य स्टेशन कोलकता के सीयाल्दा स्टेशन से जुड़ता है.
३-वायु मार्ग द्वारा-
बेरहामपुर से नजदीकी वायु अड्डा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है.
[यह जानकारी भारतीय पुरातत्व संरक्षण विभाग की अधिकारिक साईट , विकिपीडिया और ; अंतर्जाल पर अन्य स्त्रोतों से ली और मेरे द्वारा अनुवादित की गयी है.यहाँ लगाई हुई 'बच्चावाली तोप और सूचना बोर्ड की तस्वीरों के लिए श्री अनिल जी . का आभार.]
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4 comments:
मुर्शिदाबाद के बारे में बहुत ही अच्छी और रोचक जानकारी के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
सादर
alpana didi ham is jagah ke baare me jaante hain. lucknow ke nawab wajid ali shah ko yahin laya gaya tha
am i right ?
nice information
thank
सुन्दर जानकारी,धन्यवाद.
हजारद्वारी पैलेस एवं संग्रहालय की जानकारी के साथ मुशिर्दाबाद का इतिहास भी ज्ञात हुआ.
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