माता वैष्णो देवी धाम यात्रा
माँ वैष्णो देवी के बारे में बहुत सुना करती थी परंतु कभी जाना हुआ नहीं । इस यात्रा से खुद पर विश्वास बढ़ गया कि मैं 12 घंटे में 25 किलोमीटर ,इतना चढ़ाई-उतराई कर सकी !
पहली बार सितंबर 2022 में जब देवी माँ का बुलावा आया तो वन्दे भारत ट्रेन से जाना तय हुआ जो दिल्ली से सीधा कटरा जाती है।
कुछ यूट्यूब विडिओ देखीं जिससे उस स्थान के विषय में अधिक जान सकूँ। ट्रेन में सीट भी संयोगवश ही अचानक जाने के दिन से पहले की शाम को कन्फर्म हो गईं।ऑनलाइन हेलिकाप्टर की बुकिंग नहीं मिली थी ।
वन्दे भारत की यात्रा बहुत अच्छी रही ।हम सात तारीख सुबह 5 30 बजे स्टेशन पहुँचे , ट्रेन में breakfast और लंच दोनों ही मिले ।
कटरा दोपहर को पहुँच गए । वहीं स्टेशन से यात्रा का पहचान कार्ड बनवाया ।इस कार्ड के लिए कोई शुल्क नहीं लगता। ये आपको दर्शन के बाद वहीं धाम से निकलने के बाद तय बॉक्स में जमा करने होते हैं। इसे पूरी यात्रा में साथ रखना है ।
हेलिकाप्टर के लिए वहीं बाहर से बुकिंग हुई पर मेरी इच्छा पैदल जाने की थी। शेष सभी हेलिकाप्टर से जाना चाहते थे।
कटरा में पहले से ही एक होटल बुक किया हुआ था जहाँ पहुँचकर सामान रखा ,नहा धोकर दर्शन के लिए शाम को ही निकल गए। आकाश में बादल के कारण हेलिकाप्टर राइड कैन्सल हो गईं थीं। अब हम सभी शाम 5 बजे से पैदल ही चढ़ाई शुरू कर चुके थे।
अर्धकुंवारी तक पहुँचकर हालात पस्त हो गई । गुफा के दर्शन के लिए सोच कर गए थे पर वहाँ के हालात(भीड़) देख कर गुफा के लिए नंबर लेने का विचार त्याग दिया।
जितना आगे जाएँ रास्ता उतना लंबा होता दीख रहा था । शाम 5 बजे से चलते चलते रात के 11 बज गए। रास्ते में सिर्फ कॉफी के काउन्टर बने थे जहाँ sandwich भी मिल रहे थे । मैंने दर्शन तक कुछ भी न खाने पीने का सोचा हुआ था । चलते-चलते कैसे न कैसे ऊपर लाकर तक पहुँचे ,जहाँ अपना समान लाकर में रखा । इसका कोई शुल्क नहीं है। लाकर बहुत बड़े होते हैं हम सब का समान आ गया उसकी चाबी मैंने अपने गले में लटका ली। प्रसाद के काउन्टर सब बंद थे इसलिए कुछ खरीद नहीं सके। अच्छा ही हुआ क्योंकि सारा चढ़ावा दर्शन की लाइन में लगने से पहले ही एक बड़े बॉक्स में डलवा दिया जाता है सिर्फ पैसे आप हाथ में रख सकते हैं ।
अंततः माता रानी के दर्शन हुए और बहुत अच्छे से पुजारी ने सभी पिंडियों के बारे में बताया। वहाँ से निकल कर बाहर खजाने का प्रसाद लिया(मांगना पड़ता है । सभी कुछ पैक होता है, छोटे पैक में प्रसाद। पैसे दान देना हो तो काउन्टर पर देकर रसीद ले सकते हैं। वहाँ भी वे प्रसाद देते हैं।
भैरव जी के मदिर की चढ़ाई की हिम्मत नहीं थी (बाद में कटरा के एक भैरव मंदिर में उनके दर्शन कर लिए थे ।)
अब वापसी की उतराई थी ,नया रास्ता था साफ और पूरा कवर । अगर बारिश भी होगी तो बचे रहेंगे। हम सब के चढ़ने -उतरने की स्पीड अलग थी । रास्ते में बेंच बने हैं, थक जाएँ तो बैठ सकते हैं। washroom और साफ पानी की व्यवस्था भी रास्ते में जगह-जगह है।
हम रुके नहीं ,उतरते रहे ।
सुबह होने लगी थी और दुकानों तक पहुँचते -पहुँचते पाँच बज गए । एक जगह पाँव मसाज की मशीन थी 30 रुपये में। वहीं बैठकर foot massage कराई और मैं तो सीट पर ही बैठते सो गई !
वहाँ से बाहर निकलते यात्रा कार्ड जमा कराया और ऑटो लेकर अपने होटल पहुँचे । सुबह के नौ बज चुके थे। नहाकर होटल में नाश्ता किया और कमरे में जाकर सो गए । शाम को कटरा में शॉपिंग की और दूसरे दिन के लिए पटनीटॉप जाने के लिए गाड़ी बुक की।
9 सितंबर की सुबह 5 बजे बारिश होने लगी थी जिसे देखने मैं होटल से बाहर निकली तो देखा कटरा में लोगों की आवाजाही चल रही है। यह धाम कभी सोता नहीं है
। सारी रात श्रद्धालु आते -जाते रहते हैं। बरसात में बाहर चाय पीने का आनंद ही अलग है।
वहीं पंजाब से आए बहुत- से (10-12)बच्चे मिले जो अपने ताया जी के साथ अभी पहुँचे थे।
उसी दिन सुबह की कुछ तस्वीरें कटरा चौक की लीं । जहाँ तक पैदल जा सकती थी वहाँ तक जाकर वापस लौट आई।
अगला पड़ाव पटनीटॉप , नत्था टॉप और सनासर था ।
अब पहले की तरह यात्रा नहीं बनती बल्कि एक कार्ड जारी किया जाता है जो कटरा से ही बनता है या तो बस स्टैन्ड के पास पर्यटन केंद्र पर या रैलवे स्टेशन पर । परिवार में किसी एक का पहचान पत्र original साथ रखिए। वहाँ लगे बोर्ड पर भी निर्देश है -जिसमें कार्ड बनाने के लिए पहचान पत्र की आवश्यकता लिखी है -
=====================================
No comments:
Post a Comment