केवल १ ,९८८ ,६३६ [२००१ की गणना के अनुसार]की जनसंख्या वाले पहाड़ी राज्य जिसकी राजधानी कोहिमा है ,आज चलते हैं उस राज्य की तरफ जिसका नाम है नागालैंड.इसे पूरब का स्विजरलैंड भी कहते हैं.
पूर्व में म्यांमार, उत्तर में अरूणाचल प्रदेश, पश्चिम में असम और दक्षिण में मणिपुर से घिरा हुआ नागालैंड 1 दिसंबर, 1963 को भारतीय संघ का 16 वां राज्य बना था.
इस राज्य में ११ जिले हैं.नागालैंड की प्रमुख जनजातियां है: अंगामी, आओ, चाखेसांग, चांग, खिआमनीउंगन, कुकी, कोन्याक, लोथा, फौम, पोचुरी, रेंग्मा, संगताम, सुमी, यिमसचुंगरू और ज़ेलिआंग.
पूर्व में म्यांमार, उत्तर में अरूणाचल प्रदेश, पश्चिम में असम और दक्षिण में मणिपुर से घिरा हुआ नागालैंड 1 दिसंबर, 1963 को भारतीय संघ का 16 वां राज्य बना था.
इस राज्य में ११ जिले हैं.नागालैंड की प्रमुख जनजातियां है: अंगामी, आओ, चाखेसांग, चांग, खिआमनीउंगन, कुकी, कोन्याक, लोथा, फौम, पोचुरी, रेंग्मा, संगताम, सुमी, यिमसचुंगरू और ज़ेलिआंग.
'नगा 'भाषा एक जनजाति से दूसरी जनजाति और कभी-कभी तो एक गांव से दूसरे गांव में भी अलग हो जाती है इसीलिये इन्हें तिब्बत बर्मा भाषा परिवार में वर्गीकृत किया गया है.नागा लोग भारतीय-मंगोल वर्ग लोगों में से है.मुख्यत १६ जनजाति के लोग हैं .इन लोगों में संगीत का विशेष महत्व है.
बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी में इन लोगों के असम के अहोम लोगों संपर्क होने से भी इन लोगों के रहन-सहन पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा.
उन्नीसवीं शताब्दी में अंग्रेजों के आने पर यह क्षेत्र ब्रिटिश प्रशासन के अधीन आया.आजादी के बाद, 1957 में यह क्षेत्र केंद्रशासित प्रदेश बना .उस समय असम के राज्यपाल इसका प्रशासन देखते थे.यह नागा हिल्स तुएनसांग क्षेत्र कहलाया जाने लगा . लेकिन स्थानीय जनता में जब असंतोष पनपने लगा तब 1961 में इसका नाम बदलकर ‘नागालैंड ’ रखा गया और भारतीय संघ के १६ वें राज्य के रूप में विधिवत उद्घाटन 1 दिसंबर, 1963 को हुआ.
लगभग 70 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर है.यह गौर करने लायक बात है कि १९८१ के सर्वेक्षण के अनुसार यहाँ शत प्रतिशत गावों में बिजली पहंचा दी गयी है और 900 से अधिक गांवों को सड़कों से जोड़ा गया है.
लगभग 70 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर है.यह गौर करने लायक बात है कि १९८१ के सर्वेक्षण के अनुसार यहाँ शत प्रतिशत गावों में बिजली पहंचा दी गयी है और 900 से अधिक गांवों को सड़कों से जोड़ा गया है.
कब जाएँ-पूरे साल आप कभी भी जाएँ.सारा साल मौसम सुहाना रहता है.दिसम्बर में एक खाब होर्निबल पर्व मनाया जाता है,जिस में राज्य कि सभी जनजातियाँ भाग लेती हैं.दूर दूर से इस उत्सव को देखने लोग यहाँ आते हैं.
कैसे जाएँ?-नागालैंड में दीमापुर एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां रेल और विमान सेवाएं उपलब्ध हैं.
ज़रूरी सूचना-[एक बार फिर राज्य के पर्यटन विभाग से निश्चित करें]---इस राज्य में प्रवेश के लिए विदेशियों को आर ऐ पी.[प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट ] /पाप और नागरिकों को -इन्नर लाइन permit-की आवश्यकता होगी. एक छोटा सा शुल्क दे कर भारतियों को यह इन्नर लाइन परमिट कोलकाता, दीमापुर, गौहाटी और दिल्ली से मिल जाता है.
बिना परमिट के जाने पर राज्य के प्रवेश द्वार[चेक पोस्ट] पर चेकिंग के समय ही बस से उतार दिया जाता है.परमिट के अलावा अगर आप के पास कोई ख़ास पहचान पत्र है तब भी आप प्रवेश पा सकते हैं.[यात्रा प्लान करते समय नियमो की जांच अवश्य कर लें].delhi में ऑफिस-
Deputy Resident Commissioner, Nagaland House, New Delhi
Phone No. : +91-11-23012296 / 23793673
बिना परमिट के जाने पर राज्य के प्रवेश द्वार[चेक पोस्ट] पर चेकिंग के समय ही बस से उतार दिया जाता है.परमिट के अलावा अगर आप के पास कोई ख़ास पहचान पत्र है तब भी आप प्रवेश पा सकते हैं.[यात्रा प्लान करते समय नियमो की जांच अवश्य कर लें].delhi में ऑफिस-
Deputy Resident Commissioner, Nagaland House, New Delhi
Phone No. : +91-11-23012296 / 23793673
यह भी सच है कि यहाँ की सुरक्षा स्थित की भी जाने से पहले जांच कर लेनी चाहिये क्योंकि नागालैंड में मैदानी लोग या फिर गैर नागाओं में असुरक्षा की भावना दिखती है वह उनके प्रवास तक बरकरार रहती है.इस का कारण यहाँ भूमिगत संगठनों का सरकार के समांतर सरकार चलाना है.और बेशक ,इस अलगाववादी राजनीति से नागालैंड राज्य को नुक्सान ही हुआ है. सीजफायर के बावजूद आज भी नागालैण्ड में आप को असुरक्षा महसूस हो सकती है,ऐसा वहां से आये पर्यटक कहते हैं.शाम पांच बजे तक बाज़ार बंद हो जाते हैं.
-बाज़ार की बात याद आते ही मुझे यहाँ के बाज़ारों की कुछ ख़ास बातें बताना जरुरी लग रहा है..जो मैदानी इलाकों से आये लोगों के लिए [ख़ासकर मेरे जैसे शाकाहारियों के लिए अनोखी सी लगे.कोहिमा के सब्जी बाज़ार में आप को रंग बिरंगे कीडे मकोडे ,घोंघा आदि बिकते मिल जायेंगे..और तो और पानी की थैलियों में भरे जिंदा मेंढक बिकते दिखेंगे.
कुत्ते का मांस बड़े शोक से यहाँ के लोग खाते हैं.इस के अलावा सुअर, गाय, मुर्गा, बकरा, मछली भी इन्हें बहुत प्रिय है.सब्जियों में साग, पत्ते, नागा बैगन, बीन, पत्ता गोभी आदि खाते हैं.
पेयजल की बहुत दिक्कत है.पीने का पानी सरकार देती तो है मगर फिर भी कमी ही है.यहाँ तक कि ये लोग बरसात में chhat से टपकने वाले पानी तक को एकत्र कर के रखते हैं.
पान और कच्ची सुपारी यहाँ के लोग बड़े शौक से खाते हैं वह चाहे महिला हो या पुरुष .हाँ..एक और ज़रूरी बात...नागालैंड dry area है!मतलब यहाँ मद्यपान निषेध है.
हिंदी यहाँ के लोग समझ लेते हैं..थोडी बहुत बोल भी लेते हैं इस लिए भाषा की दिक्कत नहीं आएगी.
कुत्ते का मांस बड़े शोक से यहाँ के लोग खाते हैं.इस के अलावा सुअर, गाय, मुर्गा, बकरा, मछली भी इन्हें बहुत प्रिय है.सब्जियों में साग, पत्ते, नागा बैगन, बीन, पत्ता गोभी आदि खाते हैं.
पेयजल की बहुत दिक्कत है.पीने का पानी सरकार देती तो है मगर फिर भी कमी ही है.यहाँ तक कि ये लोग बरसात में chhat से टपकने वाले पानी तक को एकत्र कर के रखते हैं.
पान और कच्ची सुपारी यहाँ के लोग बड़े शौक से खाते हैं वह चाहे महिला हो या पुरुष .हाँ..एक और ज़रूरी बात...नागालैंड dry area है!मतलब यहाँ मद्यपान निषेध है.
हिंदी यहाँ के लोग समझ लेते हैं..थोडी बहुत बोल भी लेते हैं इस लिए भाषा की दिक्कत नहीं आएगी.
दीमापुर, राज्य का एक मात्र शहर है जो रेल, सड़क और हवाई मार्ग से देश के अन्य क्षेत्रों से जुड़ा है, इस कारण इसे राज्य का द्वार भी कहते हैं.
देखने की जगहें-
१-दीमापुर २-किफिरे ३-कोहिमा ४-लोंग्लेंग ५-मोकोकचुंग ६-मों 7-परें ८-फेक
९-तुएंसंग १०-वोखा ११-जुन्हेबोतो
अगर नागालैंड की वास्तविक संस्कृति देखनी हो तो ''टूरिस्ट विलेज`` में zarur जाना चाहिये
१-दीमापुर २-किफिरे ३-कोहिमा ४-लोंग्लेंग ५-मोकोकचुंग ६-मों 7-परें ८-फेक
९-तुएंसंग १०-वोखा ११-जुन्हेबोतो
अगर नागालैंड की वास्तविक संस्कृति देखनी हो तो ''टूरिस्ट विलेज`` में zarur जाना चाहिये
'कोहिमा वार सिमेटरी'
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यह कोहिमा शहर में है.कोहिमा एक बहुत ही खूबसूरत hil station है.यहीं सब से unchee गर्रिसन पहाड़ी पर द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापानी सेना से युद्ध के दौरान शहीद हुए देशी और विदेशी अफसरों और जवानों की याद में कोहिमा में''वार सिमेटरी`` बना है .यह एक विश्व प्रसिद्द जगह है.
1944 में चार अप्रैल से 22 जून तक हुए युद्ध में जहां चार हजार भारतीय और ब्रिटिश सैनिक मारे गए थे, वहीं सात हजार से ज्यादा जापानियों की जानें गई थी. बाद में अर्ल माउंटबेटन ने इस युद्ध को इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध और बर्मा अभियान के लिए निर्णायक क्षण कहा था.यह युद्ध 64 दिनों तक चला था और इसमें जिला आयुक्त के बंगले के टेनिस मैदान में भी हिंसक संघर्ष हुआ था। कोहिमा का युद्ध दो चरणों में हुआ था. पहले चरण में चार अप्रैल से 16 अप्रैल तक जापान ने कोहिमा पर्वतशिखर पर कब्जा करने का प्रयास किया गया , दूसरे चरण में 18 अप्रैल से 22 जून तक ब्रिटिश और भारतीयों ने जापानियों के कब्जे को समाप्त करने के लिए जवाबी हमले किए, युद्ध 22 जून को समाप्त हुआ.
बहुत ही सुन्दर तरीके बनाया गया यह क्षेत्र और यहाँ हर कब्र पर शहीद सैनिक के बारे में जानकारी अंकित है.यहाँ pravesh करते ही 'दूसरे ब्रिटिश divison ' के एक अफसर की कब्र पर लिखा है '
बहुत ही सुन्दर तरीके बनाया गया यह क्षेत्र और यहाँ हर कब्र पर शहीद सैनिक के बारे में जानकारी अंकित है.यहाँ pravesh करते ही 'दूसरे ब्रिटिश divison ' के एक अफसर की कब्र पर लिखा है '
“ When You Go Home, Tell Them Of Us And Say,
For Their Tomorrow, We Gave Our Today ”
कुल १४२० शहीदों की कब्रें /यादगार पत्थर इस सेमेट्री में लगे हैं.९१७ हिन्दू और सिखों को उनके रीती के अनुसार डाह संस्कार करने के बाद उनकी याद में भी पत्थर लगाये हुए हैं.
सब से कम उम्र का किशोर शहीद सैनिक पंजाब का 'गुलाब' था जिसकी उम्र मरते समय मात्र १६ साल थी!
किसी ने सच कहा है..किसी भी राष्ट्र को उसके शहीदों को कभी नहीं भूलना चाहिये.उन सभी अमर जवानों को श्रधांजलि के साथ विदा लेती हूँ..अगली बार एक नयी जगह की जानकारी के साथ फिर मिलेंगे.
For Their Tomorrow, We Gave Our Today ”
कुल १४२० शहीदों की कब्रें /यादगार पत्थर इस सेमेट्री में लगे हैं.९१७ हिन्दू और सिखों को उनके रीती के अनुसार डाह संस्कार करने के बाद उनकी याद में भी पत्थर लगाये हुए हैं.
सब से कम उम्र का किशोर शहीद सैनिक पंजाब का 'गुलाब' था जिसकी उम्र मरते समय मात्र १६ साल थी!
किसी ने सच कहा है..किसी भी राष्ट्र को उसके शहीदों को कभी नहीं भूलना चाहिये.उन सभी अमर जवानों को श्रधांजलि के साथ विदा लेती हूँ..अगली बार एक नयी जगह की जानकारी के साथ फिर मिलेंगे.
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