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आज महाराणा प्रताप की जयंती पर चलिये कुम्भलगढ़

महाराणा प्रताप (९ मई, १५४०- १९ जनवरी, १५९७) उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे. हिंदू कलेंडर के अनुसार उनका जन्म ज्येष्ठ शुक...

वृन्दावन

वृन्दावन
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उत्तर प्रदेश में वृन्दावन है जो कि मथुरा से १२ किलोमीटर दूर है.
राधा -कृष्ण का ऐसा कौन सा भक्त होगा जो वृन्दावन  को न जानता हो.वहाँ ढ़ेरों मंदिर हैं.लेकिन मैं बांके बिहारी जी और इसकोन मंदिर ही जा सकी,
अब यह कहूँ कि बांके बिहारी जी ने दर्शन देने थे सो सुबह सुबह मंदिर के पट  खुलते ही पहुँच सके  ,और बहुत ही अच्छे दर्शन भी हुए.
सब कुछ अच्छा परन्तु उत्तर प्रदेश में पर्यटन से इतना अधिक राजस्व आता है परन्तु फिर भी इन  स्थलों में व्यवस्था बिलकुल भी अच्छी नहीं है.बांके बिहारी जी के मंदिर तक पहुँचने में ही कठिनाइयां होती हैं ,उस गली के उस संकरे रास्ते को क्यों नहीं सही किया जाता ?
पूरे वृन्दावन में साफ़ सफाई पर ध्यान देने की घोर आवश्यकता है,गलियों में कई जगह नालियाँ खुली हैं जिनसे गुजरते हुए , बदबू आती है ,मुख्य सड़क के दोनों और मंदिर बनते जा रहे हैं जिनकी भव्यता देखते ही बनती है परन्तु क्या ये नए नए मंदिर बनाने वाले शहर की व्यवस्था  नहीं सुधार सकते ?त्यौहार पर सुबह ११ के बाद मुख्य सड़क पर इतनी भीड़ हो जाती है कि पुलिस भी बेबस सी दिखती है.
खैर प्रशासन को सुध लेनी चाहिये कि शहर में मंदिरों के आसपास की जगहें भी साफ़ सुथरी रहें और एक के बाद एक नए खुलते मंदिर ,मंदिर रहें दूकान न बनें!
वृन्दावन राधा रानी की नगरी है ,मिटटी के गिलास में मलाई वाली लस्सी और लौकी की मिठाई मुझे बहुत अच्छी लगी.
वहाँ   स्थित प्रसिद्द वन 'निधिवन'के बारे में अगली पोस्ट्स में..
कुछ तस्वीरें जमा की हैं जिन्हें इस विडियो में डाला है ,आप भी देखें -

==========राधे -राधे ============================
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2 comments:

Rajendra kumar said...

बेहतरीन प्रस्तुति, आभार आपका।

विकास गुप्ता said...

बेहतरीन विश्लेषण हमारे अधिकतर तीर्थ स्थलों का यहीं हाल है शायद ये स्थान भी पूँजीवाद के चपेटे में आ गए हैं।