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आज महाराणा प्रताप की जयंती पर चलिये कुम्भलगढ़

महाराणा प्रताप (९ मई, १५४०- १९ जनवरी, १५९७) उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे. हिंदू कलेंडर के अनुसार उनका जन्म ज्येष्ठ शुक...

कोलकाता के कुछ दर्शनीय स्थल

भारत की ऐतिहासिक महानगरी और पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता .

इसे पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार कहा जाता है . इस शहर को सिटी ऑफ़ जॉय के नाम से भी जाना जाता है.यहाँ रोमन स्थापत्य कला से बने बड़े-बड़े घर और बिल्डिंगे और सड़को पर चलती ट्रामें कॉलोनियल समय की याद दिलाते है.पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है.

देखने के लिए यहाँ कई जगहें हैं जैसे --मैदान और फोर्ट विलियम, हुगली नदी के समीप भारत के सबसे बड़े पार्कों में से एक है.फोर्ट विलियम को अब भारतीय सेना के लिए उपयोग में लाया जाता है.नाखोदा मस्जिद ,सेंट पॉल कैथेड्रल चर्च ,पारसनाथ जैन मंदिर ,मदर टेरेसा होम्स [गरीबों में से भी गरीब लोगों ],बॉटनिकल गार्डन्सआदि.

यह शहर रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है.
यहाँ पयर्टकों के ठहरने के लिए कोलकाता में बहुत से होटल और पर्याप्त धर्मशालाएं भी हैं.

अब संक्षेप में बताती हूँ यहाँ स्थित कुछ धार्मिक स्थलों के बारे में -;

जैस आप सब जानते ही हैं कि ५१ शक्तिपीठों में से कोलकाता में भी एक शक्तिपीठ है. यहां सतीदेह के दाहिने पैर की चार अंगुलियां (अंगूठे को छोड़कर) गिरी थीं.इसलिए भी देवी भक्तों के लिए यह स्थान धार्मिक महत्व का है.

कलकत्ता में सर्वमंगला, तारासुंदरी, श्रीसत्यनारायणजी, नवीन श्रीराम मंदिर, भूतेश्वर महादेव, श्री दाऊजी, श्री सांवलियाजी आदि मंदिर तो बहुत से हैं, किंतु जिन्हें तीर्थस्थलों में गिना जा सके, ऐसे प्रधान चार ही स्थान हैं -
१. आदिकाली, २. काली, ३. दक्षिणेश्वर और ४. बेलूर मठ.

१-श्री सिद्धेश्वरी काली बाड़ी.
यह भी कोलकाता में एक प्राचीन स्थान है.

२-कालीघाट का काली मंदिर -

यह मंदिर अत्यंत प्रख्यात है. कुछ लोग काली मंदिर को ही शक्तिपीठ मानते हैं.
देवी मंदिर के समीप ही नकुलेश्वर शिव मंदिर है.






३-बेलूर मठ -

दक्षिणेश्वर के पास से गंगा पार होकर हावडा की ओर आने पर कुछ दूर पर गंगा किनारे बेलूर मठ है.
इस मठ की स्थापना स्वामी विवेकानंदजी ने की थी.श्रीरामकृष्ण मिशन का यहीं प्रधान कार्यालय है.यहां १938 में बना मंदिर हिंदू , मुस्लिम और इसाई शैलियों का मिश्रण है. यहां अत्यंत भव्य श्रीरामकृष्ण मंदिर है. यहीं स्वामी विवेकानंदजी की समाधि भी है.

४-जैन मंदिर -

यहां का प्रसिद्ध श्री पार्श्वनाथजी का जैन मंदिर बहुत ही सुंदर और दर्शनीय है.
प्रसिद्ध महर्षि देवेंद्रनाथ ठाकुर, श्री केशवचंद्र सेन, स्वामी विवेकानंद, कवींद्र श्री रवींद्रनाथ ठाकुर तथा श्री चित्तरंजनदास आदि की जन्मभूमि कोलकाता ही है.
यहां का हावड़ा पुल जग-प्रसिद्ध है.



५-विक्टोरिया मेमोरियल -

रानी विक्टोरिया की याद में बनाया गया यह विक्टोरिया मेमोरियल यहाँ का ख़ास आकर्षण है। यूरोपियन वास्तुकला और मुगल काल की शिल्पकलाओं का सुन्दर मिश्रण देख सकते हैं.
सर विलियम एमर्सन ने इसका निर्माण करवाया था। सफेद संगमरमर से बनी इस इमारत का निर्माण कार्य १९०६ से १९२१ तक चला था.
अब यह इमारत संग्रहालय है।

6-दक्षिणेश्वर काली मंदिर -

कोलकाता के उत्तर में विवेकानंद पुल के पास गंगा नदी [जिसे कोलकाता में हुगली नदी भी कहते हैं.] के किनारे जान बाजार की महारानी रासमणि ने सन 1847 में माँ काली का यह अत्यंत भव्य मंदिर बनवाया था. सन 1855 में मंदिर का निर्माण पूरा हुआ था.यह बी बी डी बाग से 20 किलोमीटर दूर है. स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट नमूना यह मंदिर विशाल इमारत के रूप में चबूतरे पर स्थित है.
25 एकड़ क्षेत्र में स्थित 46 फुट चौड़ा तथा 100 फुट ऊँचा , नवरत्न की तरह निर्मित 12 गुंबद वाले इस मंदिर के चारों ओर भगवान शिव के बारह मंदिर स्थापित किए गए हैं.
भीतरी भाग में चाँदी से बनाए गए कमल के फूल जिसकी हजार पंखुड़ियाँ हैं, पर माँ काली शस्त्रों सहित खड़ी हुई हैं. ऊपर की दो मंजिलों पर नौ गुंबद समान रूप से फैले हुए हैं। गुंबदों की छत पर सुन्दर आकृतियाँ बनाई गई हैं.



श्री रामकृष्ण देव परमहंस -:
मां काली के आराधक, मानवता के पुजारी ,महान संत एवं विचारक स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को बंगाल के कामारपुकुर नामक गाँव में हुआ था। उन्हें इस मंदिर का प्रधान पुजारी बनाया गया था.

श्रीरामकृष्ण देव परमहंस ने यहीं महाकाली की आराधना की थी .कहते हैं उन्हें माँ काली ने यहीं दर्शन दिए थे.मंदिर से लगा हुआ परमहंस देव का कमरा है, जिसमें उनका पलंग तथा दूसरे स्मृतिचिह्न सुरक्षित हैं.मंदिर के बाहर परमहंस की पूर्वाश्रम की धर्मपत्नी श्री शारदा माता तथा रानी रासमणि का समाधि मंदिर है और वह वट वृक्ष भी है, जिसके नीचे परमहंस देव ध्यान किया करते थे। स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी का अधिकांश जीवन प्राय: समाधि की स्थिति में ही व्यतीत हुआ. वे सेवा पथ को ईश्वरीय, प्रशस्त मानकर अनेकता में एकता का दर्शन करते थे.
स्वामी विवेकानन्द श्री रामकृष्ण देव के परमप्रिय शिष्य थे.
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13 comments:

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि बुलेटिन वोट और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

कलकत्‍ता दो एक बार जाना हुआ पर घूमना नहीं हुआ

राजीव कुमार झा said...

बहुत सुंदर जानकारी.अधिकतर जगह देख चूका हूँ.एक वर्ष कोलकाता में बीता है.
नई पोस्ट : दहकते शोलों पर जिंदगी

शारदा अरोरा said...

अच्छी जानकारी , ज्यादातर हमें कलकत्ता के इतने मंदिरों के बारे पता नहीं चल पाता.यहां साइंस सिटी भी दृश्नीय स्थल है ...

Harihar (विकेश कुमार बडोला) said...

अत्‍यन्‍त उपयोगी जानकारी है। मंदिर, स्‍थापत्‍य कलाओं, रामकृष्‍ण परमहंस, स्‍वामी विवेकानन्‍द के बारे में आपके आलेख से जो नवस्‍मृति जागी है, उससे कुछ जीवनात्‍मक ऊर्जा अवश्‍य मिलेगी।

Himkar Shyam said...

कोलकाता ऐसा शहर है जहां आधुनिकता और सांस्कृतिक धरोहर साथ-साथ दिखाई देती है. बहुत ही सुंदर और सचित्र विवरण इस शहर का. बहुत-बहुत आभार इस उपयोगी पोस्ट के लिए.

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Informative....

प्रतिभा सक्सेना said...

अच्छी जानकारी.

विकास गुप्ता said...

अच्छी जानकारी

Asha Joglekar said...

अपने शादी सुदा जिंदगी के शुरुआती आठ वर्ष कलकत्ा में बिताये हैं वहां की बहुत सारी यादें हैं जहन में आपके लेक ने यादों को फिर से हरा कर दिया। धन्यवाद। चित्र बहुत सुंदर।

Himkar Shyam said...

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ...

विकास गुप्ता said...

सुन्दर चित्र। आपके वीडियो चित्र जो अन्य पोस्ट में है हमें पसंद है।

Alpana Verma अल्पना वर्मा said...

Aap sabhi ka aabhar!