राजगीर बिहार में एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है,प्रकृति की सुन्दरता यहाँ देखते बनती है पांच तरफ से पहाड़ियों से घिरे इस क्षेत्र से बानगंगा बहती है .
कभी यहाँ वैभवशाली महानगर हुआ करता था आज वहां एक छोटा गाँव भर है.राजगीर अपनी गुफाओं,किलों,बोद्ध और जैन मंदिरों के लिए जाना जाता है.वेणु विहार एक बहुत ही खूबसूरत स्थल है जिसे भगवान बुद्ध को उस समय के राजा बिम्बीसार ने भेंट में दिया था.यहीं जापानी बुद्ध संघ ने विश्व शान्ति स्तूप भी बनवाया हुआ है.
हाल ही में उत्तर प्रदेश में स्वर्ण भण्डार के होने की चर्चाएँ खूब हुईं थीं खुदाए भी हुई और अब भी दावा किया जा रहा है की किसी अन्य स्थान पर भी भंडार हो सकता है,मैं नहीं जानित कितनी सच्चाई उन बातों में है लेकिन एक ऐसे खजाने के बारे में आज बताने जा रही हूँ जो बिहार की एक गुफा में आज तक बंद है.यह स्थान नालंदा से कोई १२-१३ किलोमीटर दूर है.
सोन भण्डार गुफा किसी समय यह भिक्षुओं के रहने का उत्कृष्ट और भव्य स्थान हुआ करता था.
इस गुफा का ऐतिहासिक और पुरातत्व महत्व है.यह बिहार आने वाले पर्यटकों में लोकप्रिय है.
निर्माण काल [तीसरी या चौथी सदी?] निश्चित नहीं है.
सोन भण्डार गुफा ,राजगीर [बिहार]
बिहार राज्य के बारे में विस्तार से आप पहले की पोस्ट में पढ़ चुके हैं.आज इसी राज्य के राजगीर लिए चलते हैं.यह क्षेत्र नालंदा जिले में स्थित है और इस का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी है.यहाँ भगवान् बुद्ध ने कई साल बिताए थे.
यह मगध की राजधानी थी और उस समय इस का नाम राजगृह था. यहीं पर भीम ने जरासंध का वध किया था.यहाँ के मकर और मलमास मेले भी बहुत प्रसिद्ध हैं.
अग्नि पुराण एवं वायु पुराण आदि के अनुसार इस मलमास अवधि में सभी देवी देवता यहां आकर वास करते हैं.
वैभर गिरी पहाड़ी के दक्षिण में बनी इस गुफा में दो कमरे हैं,एक मत अनुसार ये दो गुफाएं हैं.हम इन्हें एक गुफा के दो कमरे समझते हुए विवरण दे रहे हैं.ये दोनों कमरे पत्थर की एक चट्टान से बंद हैं.
पहला कमरा सुरक्षा कर्मियों /गार्ड का कमरा माना जाता है.दूसरे कमरे में स्वर्ण भडार है जो की कुछ लोगों द्वारा राजा बिम्बिसार का खजाना बताया जाता है.
अजातशत्रु के पिता बिम्बिसार की जेल के अवशेष पास ही मिले हैं जिससे इस मत को अधिक पुष्टि मिली है. जबकि कुछ अन्य लोगों का विश्वास है कि यह खजाना जरासंध का है.
इस खजाने का दरवाजा आज तक कोई खोल नहीं पाया है ,गुफा की एक दीवार पर 'शंख लिपि में लिखा सीक्रेट कोड इस का पासवर्ड है.
खजाने के रहस्यमयी दरवाजे के ऊपर काला निशान दिखाई देगा जो कि तोप के गोले का है ,यह ब्रितानी हुकूमत में अंग्रेजी सरकार द्वारा इसे तोड़ने के प्रयास का एक प्रमाण है.
पूर्वी गुफा कुछ नष्ट हो चुकी है.आगे का हिस्सा टूट चुका है.दक्षिणी दीवार पर ६ जैन तीर्थंकरों के चित्र भी खुदे हुए हैं.जो गुफा पूरी निर्मित होने के बाद अंकित किये गए माने जाते हैं.
राजगीर बौद्ध धर्म का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है. हिन्दू और जैन धर्म के कई मंदिर भी हैं.ज्ञात हो कि राजगीर के आस-पास की पहाडियों पर 26 जैन मंदिर बने हुए हैं.जहाँ पहुंचना आसान नहीं है.
सोन गुफा के अतिरिक्त आप राजगीर में गृद्धकूट पहाड़ी, अजातशत्रु का किला-,पिप्पल गुफा[इसी गुफा में बौद्ध गुरु महाकश्यप कई बार ठहरे थे], वेणुवन, जीवककरम मठ, तपोधर्म, सप्तपर्णी गुफा, जरासंध का अखाड़ा, बिंबिसार का जेल, शांतिस्तूप,वैभव पहाड़ी के किनारे गर्म पानी का झरना आदि देख सकते हैं..
19 comments:
ऐतिहासिक घटनाक्रम को जानने के लिए उपर्युक्त प्रतीक बड़े सहायक हैं। इन के आधार पर पूर्व में किए गए शोध और अध्ययन के अलावा भी रोज ही इनकी सहायता से पुरातन समय के नए-नए शोधपत्र और जर्नल तैयार हो रहे हैं। आपने राजा बिंबिंसार, राजागृह आदि का जो जिक्र किया उसे पढ़ कर मुझे अपने बुद्ध पर लिखे गए आलेख की याद हो आई। अत्यन्त महत्वपूर्ण पुरातन-तथ्य संजोए हैं आपने इस रचना में।
यह जानकारी किस खजाने से कम है! जरासंध के काल से यानि बहुत प्राचीन!
आभार विकेश जी इस सराहना के लिए.
भगवान बुद्ध पर लिखे लेख का लिंक दिजीयेगा.
मैं इसमें और भी बहुत सी तस्वीरें जोड़ना चाहती थी जैसे बिम्बिसार द्वारा बनाया गया मार्ग ,आम्र वन होने के सबूत वे अवशेष ,जरासंघ का अखाड़ा ,गर्म पानी का कुंड आदि.वर्तमान मुख्यमंत्री ने राजगिरी के लिए विशेष पैकेज रखा है देखें कब तक इस स्थान का और विकास हो पाता है.
http://chandkhem.blogspot.in/2013/03/blog-post_24.html
आपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन बलिदान दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है।कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
pratham bauddh sangiti ka aayojan yahi huwa tha . hamare itihas ki amuly dharohar hai.
बहुत ही खूब संय़ोजन किया है आपने भूतकाल के स्वर्णिम काल का,
हमारे पास के ही शहर बरोडा में कमाटी बाग़ है
और यहाँ का म्यूज़ियम जो सयाजी राव गाएक्वाड जी
महाराज का अपना कलेक्शन था जो आपने जनता
के लाभार्थ दान किया है। कमाटी बाग़ जाना मुझे
बार-बार अच्छा लगा है। पर खास तो यहाँ का म्यूज़ियम
अदभुत है और यहां संग्रहीत वास्तुशास्त्र या स्थापत्य
कला में मुझे जो ज़्यादा आकृष्ट करे वह है बौद्ध और जैन
काल की वास्तुकला…करुणा मूर्ति बुद्ध की कितनी ही
मूर्तियों को उनके विभिन्न मुखोभाव मुखमंडल मैं देखना
निरंतर मुझे आत्मबोध सा कराए । महावीर भगवान की
मूर्तियां भी बेजोड़ और अति सुंदर है।
यहाँ आपके वर्णन भी प्राचीन समय की एक नई ताज़गी
लिए से लगे जहाँ तथागत का जीवन यापन भी मिले । सुगढ़
शैली में माहिती तत्कालीन स्वर्ण युगीन अतीत की जो मन
को छुए…
आपकी इस लेखन विधा में भावपूर्ण जानकारी सुखद है।
बहुत ही महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक जानकारी देती पोस्ट ।
बहुत-बहुत आभार आपका.
धन्यवाद विकास.
बहुत-बहुत आभार दिलीप जी आपका.
बहुत-बहुत आभार संध्या जी आपका.
आभार मेरी पोस्ट को बुलेटिन में शामिल करने के लिए.
शुक्रिया अरविन्द जी.अपने इतिहास को करीब से जानना बहुत रोमांचक होता है.
Song of the film "Johny Mera Naam" O mere raja,,,,, was picturised at ruins of Nalanda University and rope way of Rajgir......congrats for giving a lot of information about this lovely historical site Alpana ji
बहुत अच्छी ऐतिहासिक जानकारी प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
Very nice information
Jankari dene ke liye dhanyawad 🌍👏👏lipi bhasa kisi akshr se jarurt likha jata hoga
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