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आज महाराणा प्रताप की जयंती पर चलिये कुम्भलगढ़

महाराणा प्रताप (९ मई, १५४०- १९ जनवरी, १५९७) उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे. हिंदू कलेंडर के अनुसार उनका जन्म ज्येष्ठ शुक...

चेतक स्मारक या चेटक स्मारक ??

आज फेसबुक पर टहलते हुए एक तस्वीर पर निगाह पड़ी ...
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जिसे मैं वहाँ से यहाँ जस का तस पोस्ट कर रही हूँ ,अगर किसी को आपत्ति हो तो कृपया सूचित करें .सामग्री हटा दी जायेगी 
कृपया बताएँ कि क्या चेतक को स्थानीय भाषा में 'चेटक'  कहा जाता है?
या यह  उनके नाम की वर्तनी- त्रुटि है?
 अगर यह त्रुटि है तो सम्बंधित अधिकारी  कृपया इस पर ध्यान दें और अपेक्षित सुधार करें.
यह स्थल राजस्थान राज्य के उदयपुर शहर के हल्दी घाटी में  स्थित है.



महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोड़ा 'चेतक' था। हल्दीघाटी के युद्ध में बिना किसी सहायक के प्रताप अपने पराक्रमी चेतक पर सवार हो पहाड़ की ओर चल पडे‌। उसके पीछे दो मुग़ल सैनिक लगे हुए थे, परन्तु चेतक ने प्रताप को बचा लिया। रास्ते में एक पहाड़ी नाला बह रहा था। घायल चेतक फुर्ती से उसे लाँघ गया, परन्तु मुग़ल उसे पार न कर पाये।चेतक, नाला तो लाँघ गया, पर अब उसकी गति धीरे-धीरे कम होती गई और पीछे से मुग़लों के घोड़ों की टापें भी सुनाई पड़ीं। उसी समय प्रताप को अपनी मातृभाषा में आवाज़ सुनाई पड़ी, "हो, नीला घोड़ा रा असवार।" प्रताप ने पीछे मुड़कर देखा तो उसे एक ही अश्वारोही दिखाई पड़ा और वह था, उसका भाई शक्तिसिंह। 

प्रताप के साथ व्यक्तिगत विरोध ने उसे देशद्रोही बनाकर अकबर का सेवक बना दिया था और युद्धस्थल पर वह मुग़ल पक्ष की तरफ़ से लड़ रहा था। 
जब उसने नीले घोड़े को बिना किसी सेवक के पहाड़ की तरफ़ जाते हुए देखा तो वह भी चुपचाप उसके पीछे चल पड़ा, परन्तु केवल दोनों मुग़लों को यमलोक पहुँचाने के लिए। जीवन में पहली बार दोनों भाई प्रेम के साथ गले मिले।
 इस बीच चेतक ज़मीन पर गिर पड़ा और जब प्रताप उसकी काठी को खोलकर अपने भाई द्वारा प्रस्तुत घोड़े पर रख रहा था, चेतक ने प्राण त्याग दिए। 
बाद में उस स्थान पर एक चबूतरा खड़ा किया गया, जो आज तक उस स्थान को इंगित करता है, जहाँ पर चेतक मरा था।
फेसबुक के पेज का लिंक यह है -https://www.facebook.com/pages/Maharana-Pratap-The-Warrior/123427621072943

Maharana Prataap on Chetak[Horse]


10 comments:

Harihar (विकेश कुमार बडोला) said...

बहुत दिनों बाद वापसी हुई। अच्‍छा लगा। पोस्‍ट पढ़कर दोबारा टिप्‍पणी करुंगा।

Harihar (विकेश कुमार बडोला) said...

ज्ञान बढ़ानेवाली सुन्‍दर प्र‍स्‍तुति। आशा है चेटक को चेतक कर दिया जाएगा।

Alpana Verma said...

जी विकेश जी,आशा तो है.
आभार .

ताऊ रामपुरिया said...

शायद गलत ही लिखा गया है आज पहली बार चेटक शब्द सुना. आशा है संबंधित जन इस और ध्यान देंगे.

रामराम.

Alpana Verma said...

जी SIr,हमें भी चेतक ही सुना है लेकिन जब चेतक की अपनी भूमि पर उनका नाम गलत लिखा देखा तो बेहद बुरा लगा.
फिर सोचा शायद कहीं उनके नाम का ऐसा उच्चारण होता होगा ..विवरण में भी पधीयेगा तो चेटक ही लिखा हुआ है.साईन बोर्ड /होर्डिंग्स पर हिंदी लिकने में त्रुटियाँ देखी जाती हैं और अनदेखी भी की जाती हैं परन्तु ऐतिहासिक स्थल पर इस प्रकार की त्रुटियाँ कतई नहीं होनी चाहिए.ऐसा मेरा मानना है.

पूरण खण्डेलवाल said...

राजस्थान की स्थानीय भाषा में भी चेटक नहीं बल्कि चेतक ही सही शब्द है वो शायद किसी नें गलती से लिख दिया होगा !

Alpana Verma said...

पूरण जी ,बहुत -बहुत धन्यवाद इस जानकारी के लिए.
उम्मीद है कोई न कोई इस की वर्तनी ठीक करने हेतु प्रयास करेगा.

ज्योति सिंह said...

alpana tum bilkul sahi ho ,video clip bahut hi khoobsurat hai ,chidiyon ki aawaz bilkul clear sunai de rahi thi ,badhai ke liye shukriyaan bahut ,

Unknown said...

aap ek acha kam kar rahi he muze boht acha laga ke aaj bhi log is mai ruchi dikha te hai dhanyavad

Alpana Verma अल्पना वर्मा said...

Somnaath ji,Utsaah badhaane ke liye Bahut -bahut dhnywaad.
Ek prayaas hai hindi mei in jaankaariyon ko sankalit kar ke sanjo kar rakhne kee.Aap jaise acche padhne walon kii badualat likhne ka kram jaari rahta hai.Abhaar.-Alpana