मथुरा शहर में जन्मे थे भगवान कृष्ण और भगवान राम" का प्राचीन राज्य कौशल इसी क्षेत्र में था.संसार के प्राचीनतम शहरों में एक माना जाने वाला वाराणसी शहर भी यहीं है.
इस के उत्तर में हिमालय का क्षेत्र -मध्य में गंगा का मैदानी भाग -दक्षिण का विन्ध्याचल क्षेत्र है.यह सबसे अधिक '७१' जिलों वाला प्रदेश है.एशिया का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय इलाहाबाद में है.सोनभद्र जिला, देश का एक मात्र ऐसा जिला है जिसकी सीमाएँ सर्व चार प्रदेशों को छूती हैं.
वाराणसी-
Ganga Aarti
गंगा नदी किनारे बसा वाराणसी भारत देश का प्राचीनतम बसा हुआ शहर है .इसका पुराना नाम काशी है.दो नदियों वरुणा और असि के मध्य बसा होने के कारण इसका नाम वरुणा+असि=वाराणसी पडा ।
विश्व के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में काशी का उल्लेख मिलता है-काशिरित्ते.. आप इवकाशिनासंगृभीता:।पुराणों के अनुसार यह आद्य वैष्णव स्थान है।.पहले यह भगवान विष्णु (माधव) की पुरी थी.वाराणसी में स दशाश्वमेध, केदार, हरिश्चंद्र, मणिकर्णिका आदि प्रमुख घाट हैं. ऐसा मानते हैं कि काशी में मरने वालों को मोक्ष प्राप्त होता है.
यहाँ पर स्थित बी एच यू यानी बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी भारत के पुराने एवं विख्यात विश्वविद्यालयों में से एक है. संस्कृत पढने प्राचीन काल से ही लोग वाराणसी आया करते थे.
काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थापना-
वाराणसी का पहला विश्वनाथ मंदिर ईसा से १९४० वर्ष पूर्व बना था, पिछले दो हजार वर्षों में इसके स्थल में कई बार परिवर्तन हुए.महंतों का कहना है कि शिवलिंग वही पुराना है.
इंदौर की रानी अहिल्या बाई होलकर भगवान शिव की भक्त थीं और उन्होंने 1777 में उसी शिवलिंग के ऊपर कीमती लाल पत्थरों से ५१ फुट ऊँचा भव्य मंदिर बनवाया और इसके बाद ही सन् १८३९ ई. में सिख जाति के मुकुटमणि पंजाब केशरी स्वर्गीय महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के ऊपरी हिस्से को स्वर्ण मण्डित ( लगभग ८७५ सेर शुद्ध सोना ) कराके मंदिर की शोभा बढ़ा दी.इस कारण इस मंदिर का एक अन्य नाम स्वर्ण मंदिर भी पड़ा.
सम्राट जार्ज पंचम से लेकर प्रत्येक वायसराय ने विश्वनाथ का दर्शन किया था.लार्ड इरविन ने भी चाँदी के पूजापात्र भेंट किये थे.मुख्य सड़क पर उत्तर दिशा में 13वीं शताब्दी में बनी रजिया की मस्जिद है जो पूर्व विश्वनाथ मंदिर के भग्नावशेषों के साथ खड़ी है .
काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भद्वार के भीतर चाँदी के ठोस हौदे के बीच सोने की गोरी पीठ पर ज्योतिर्मय काशी विश्वेश्वर लिंग का भव्य दर्शन मिलता है.
[सन् १९३५ में रामेश्वर प्रेस काशी से छपी पुस्तक'श्री विश्वनाथ मंदिर' के श्री विश्वनाथ संस्था खण्ड के पृष्ठ ९- १० पर उल्लिखित है--'जिस सोने की जलहरी पर बाबा विश्वनाथ सदा विराजमान रहते हैं,उसके निर्माणार्थ श्री पुरुषोत्तम दास गोपाल मल खत्री ने वर्ष १९२८ में लगभग ५ किलो ८५० ग्राम सोना दिया था। श्री साधुराम तुलाराम गोयनका, कलकत्ता निवासी ने लगभग एक किलो १५० ग्राम सोना दिया था. श्रीयुग स्वामी वामदेव जी महाराज, निवासी त्रिचना पल्ली ने लगभग ४ किलो ८५० ग्राम सोना अर्पित किया था.]
प्रतिवर्ष श्री विश्वनाथ का भव्य श्रृंगार रंगभरी एकादशी, दीवाली के बाद अन्नकूट तथा महा शिवरात्रि पर होता है.फाल्गुन शुक्ल-एकादशी को काशी में रंगभरी एकादशी कहा जाता है.इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार होता है और काशी में होली का पर्वकाल प्रारंभ हो जाता है.
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर है.
कहते हैं इस मंदिर में दर्शन करने के लिए 'आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद, तुलसीदास सभी का आगमन हुआ था.
देखीए कुछ तस्वीरें ,पहली चार तस्वीरें पुराने विश्वनाथ मंदिर की हैं और वहीं स्थित प्राचीन ज्योतिर्लिंग की भी.
आख़िर की तस्वीरों में तीन तस्वीरें नये विश्वनाथ मंदिर की हैं जो पुराने मंदिर की प्रतिकृति
ही है..जिसे बिरला मंदिर भी कहते हैं यह बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के कॉंप्लेक्स में है.और एक तस्वीर बनारस के घाट की है.
References and for more information-:
www.shrikashivishwanath.org
http://varanasi.nic.in/temple/KASHI.html
6 comments:
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
Bahut sundar chitramay prastuti. Man ko bahut achha laga.Aapka deshprem saaf jhalkata hai....
Aapko bahut shubhkamnayen...
तबियत खुश हो जा रही है,बाबा के विविध रूपों का क्रमशः दर्शन करा रही हैं आप ,बहुत धन्यवाद.
thik hi kaha kisi ne tabiyat khush ho jaati hai yahan aakar .sundar bahut hi .apne bharat par garv hota hai ye sabhi dekh .
यूँ ही बना रहे बनारस
सूरज की हर किरणों से जगमगाए सुबह-ए-बनारस
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बहोत ही सुन्दर जानकारी आभार
Jai ho BABA KASHI Vishwanath Varanashi
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