'नव वर्ष की शुभकामनाएँ'
राष्ट्रपति भवन
दिल्ली -
भारत का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र.१४८३ वर्ग किलोमीटर (५७२ वर्ग मील) में फैली दिल्ली भारत का दूसरा तथा दुनिया का आठवां सबसे बड़ा महानगर है.
अतिप्राचीन नगर...महाभारत काल से ही दिल्ली[इन्द्रप्रस्थ] का विशेष उल्लेख रहा है.
18वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 19वीं सदी के पूर्वार्द्ध में दिल्ली में अंग्रेजी शासन की स्थापना हुई.
1911 में कोलकाता से राजधानी दिल्ली स्थानांतरित होने पर यह शहर सभी तरह की गतिविधियों का केंद्र बन गया. 1956 में इसे केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त हुआ.राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कुल नौ ज़िलों में बँटा हुआ है.
इस की रोजाना की देखभाल के लिए दो हज़ार कर्मचारियोंकी ज़रूरत होती है.
बहुत ही संक्षेप में दिल्ली के बारे में जानने के बाद आईए जाने यहाँ स्थित राष्ट्रपति भवन के बारे में -:
ब्रिटिश वास्तुकार सर एड्विन लैंडसियर लूट्यन्स को, जो कि नगर योजना के प्रमुख सदस्य थे, इस इमारत स्थल की अभिकल्पना का कार्यभार सौंपा gayaa tha. इसे एडविन लैंडसीर ल्यूटियन ने hi डिजाइन किया था..राष्ट्रपति भवन भारत सरकार के राष्ट्रपति का सरकारी आवास hai .yah नई दिल्ली में राजपथ के पश्चिमी सिरे पर स्थित एक प्रभावशाली भवन है, जिसका दूसरा सिरा इंडिया गेट पर है.
यह भवन भारत में ब्रिटिश राज के स्थायित्व की पुष्टि करने के लिए निर्मित किया गया था .इसे और इसके आस पास के इलाके को ''पत्थर के प्रासाद'' के रूप में तैयार किया गया था.इसे पूरा करने में 17 वर्ष लगे![और सत्रह वर्ष ही ब्रिटिश राज्य में रह पाया!!]अपने निर्माण पूर्ण होने के अठ्ठारहवें वर्ष ही,भारत स्वतंत्र हो गया था! १९४७ में, भारतीय स्वतंत्रता के बाद, तत्कालीन भारत के गवर्नर जनरल वहां रहते रहे.
सन १९५० तक इसे वाइसरॉय हाउस बोला जाता था.भारतीय गणतंत्रता[१९५०] के बाद से यहां भारतीय गणतंत्र के राष्ट्रपति रहने लगे, और इसका नाम बदल कर राष्ट्रपति भवन हो गया.
*भारत का राष्ट्रपति भवन, विश्व के किसी भी राष्ट्रपति आवास से कहीं बड़ा है.
*इस भवन के निर्माण में लोहे का नगण्य प्रयोग हुआ है.
*इस भवन में 4 तल और ३४० कक्ष हैं.
*सतही क्षेत्र-200,000 वर्ग फीट.
*इसे बनाने में 700 मिलियन ईंटों तथा 3 मिलियन घन फीट पत्थरों का इस्तेमाल हुआ!
*यह भवन mukhyth दो रंगों के पत्थरों से निर्मित है.
लाल पत्थर और सफेद पत्थर धोलपुर से सफेद पत्थर संगमरमर जोधपुर से, काला संगमरमर पटियाला से पीला संगमरमर जैसलमेर से ,चाकलेटी संगमरमर विदेश से और हरा संगमरमर बड़ौदा से मंगवाया था.
*फर्नीचर के लिए सागोन, शीशम, चंदन और देवदार आदि लकडिय़ां भी kashmir तथा देश के अन्य भागों से मंगवाई थी.
*मुगल तथा क्लासिकल यूरोपीय शैली की वास्तुकला दिखाई देती है.
*दूर से ही दिखाई देने वाला गुंबद सांची के महान स्तूप के पैटर्न पर बनाया गया है.
*खम्भों की लंबी कतार इस भवन की खूबसूरती में चार चाँद लगा देती है.
**दरबार हॉल, अशोक हॉल, मार्बल हॉल, उत्तरी अतिथि कक्ष, नालंदा suit की भव्यता देखते ही बनती है.
*बाग में बने नाग,स्तंभों पर बने सजे धजे हाथी,और छोटे खम्भों पर लगे हुए बैठे हुएसिंह भारतीय शैली के नमूने हैं .
*यह भवन मुख्यतः १९२९ में, बाकी नई दिल्ली के साथ ही, पूर्ण हो गया था, और इसका आधिकारिक उद्घाटन सन १९३१ में हुआ था!इस भवन पर उन दिनों तक एक करोड़ 45 लाख रुपए खर्च हुए थे!
*भवन के ठीक सामने से एक मार्ग नारंगी बदरपुर बजरी से ढंका हुआ सीधा लोहे के मुख्य द्वार रूपी फाटक तक जाता है, जो कि उस फाटक से होता हुआ, दोनो सचिवालयों, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के बीच से हो कर लाल दीवारों के बीच से नीचे उतरता है, और विजय चौक से होता हुआ, राजपथ कहलाता है. यह मार्ग इंडिया गेट तक जाता है.
जयपुर स्तंभ**भवन के सामने ही जयपुर स्तंभ खड़ा है, जिसके शिखर पर तत्कालीन जयपुर के महाराजा द्वारा भारत सरकार को शुभकामना स्वरूप भेजा हुआ कमल पर सितारा लगा है.
**भवन में एक विभाग घोड़ों का भी है.जिससे अनेक प्रकार के घोड़े है.
**राष्ट्रपति निवास के अंदर एक शानदार मुगल गार्डन है.
आईए देखें राष्ट्रपति भवन की यह वीडियो-:
http://www.youtube.com/watch?v=CD-gE73xiy8
*****मुख्य आकर्षण है -:मुगल गार्डन [राष्ट्रपति भवन,नई दिल्ली]
यह मुगल गार्डन लगभग 13 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला है और यह ब्रिटिश गार्डन की डिजाइन के साथ औपचारिक मुगल शैली का एक मिश्रण बताया जाता है.
''पीस द रजिस्टेंस'' मुगल गार्डन के सबसे बड़े हिस्से को कहते हैं.२०० मीटर लंबे और १७० मीटर जुड़े इस बाग में उत्तर और दक्षिण में टेरिस गार्डन हैं ,पश्चिम में टेनिस कोर्ट तथा लॉन्ग गार्डन हैं.
इसके अलावा भी यहां कई छोटे-बड़े बगीचे हैं जैसे पर्ल (मोती) गार्डन, बटरफ्लाय (तितली) गार्डन और सकरुलर (वृताकार) गार्डन. बटरफ्लाय गार्डन में फूलों के पौधों की बहुत सी पंक्तियां लगी हुई हैं.यह माना जाता है कि तितलियों को देखने के लिए यह जगह सर्वोत्तम है.
मुगल गार्डन में अनेक प्रकार के फूल देखे जा सकते हैं जिसमें गुलाब, गेंदा, स्वीट विलियम आदि शामिल हैं.इस बाग में फूलों के साथ-साथ जड़ी-बूटियां और औषधियां भी उगाई जाती हैं.
उत्तर से दक्षिण से दो नहरें और दो नहरें पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं जैसा की आप ने पहेली के मुख्य चित्र में तस्वीर देखी थी. इस तरह यह नहरें इस उद्यान को चौकोर हिस्सों में बांटती हैं. इन नहरों के मिलन बिंदु पर कमल के आकार के ६ फव्वारे बने हुए हैं जिनसे पार्क की सुंदरता में चार चाँद लग जाते हैं.
१२ फीट तक उठ कर गिरने वाले इन फव्वारों के पास ही लकड़ी के फटटे से हैं जिनपर चिड़ियों के लिए दाना डाला जाता है. बहुत ही सुंदर नज़ारा होता है नहरों की धीमी गति और फवारों का उठना -गिरना ..साथ ही पक्षियों का कलरव!
विश्वभर के रंग-बिरंगे फूलों की छटा देखते ही बनती है. कहते हैं की सिर्फ़ मैसूर का वृंदावन गार्डेन ही इसके मुक़ाबले का एक मात्र बाग़ है. लेडी हार्डिंग ने श्रीनगर में निशात और शालीमार बाग देखे थे, जो उन्हें बहुत भाये बस उसी को ध्यान मे रख कर उन्होने इस बाग की परिकल्पना की थी.
भारत के अब तक जितने भी राष्ट्रपति इस भवन में निवास करते आए हैं, उनके मुताबिक इसमें कुछ न कुछ बदलाव जरूर हुए हैं.
प्रथम राष्ट्रपति, डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद ने इस में कोई बदलाव नहीं कराया लेकिन उन्होंने इस बाग को जनता के लिए खोलने की बात की, उन्हीं की वजह से प्रति वर्ष मध्य-फरवरी से मध्य-मार्च तक यह बाग़ आम जनता के लिए खोला जाता है.
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कब जाएँ-
हर वर्ष फरवरी - मार्च के महीने में यहां सोमवार के अलावा सभी दिनों पर सुबह 9.30 बजे से दोपहर 2.30 बजे तक दर्शक आ सकते हैं.
यहां प्रवेश की जानकारी जनता को विभिन्न प्रचार माध्यमों से दी जाती है. इस उद्यान में आने और जाने के रास्तों को राष्ट्रपति आवास के गेट नंबर 35 से विनियमित किया जाता है, जो चर्च रोड के पश्चिमी सिरे पर नॉर्थ एवेन्यू के पास स्थित है.
यहाँ फोटोग्राफी करना मना है.
[कृपया जाने से पहले समय आदि की जानकारी एक बार और पुष्ट कर लें]
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चलते चलते-
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम गुलाब के फूलों को बहुत चाहते हैं . जब वे राष्ट्रपति भवन आये ही थे, तब उनके विशेष कार्यकारी अधिकारी श्री ब्रह्म सिंह ने उन्हें मुगल मार्डन में खिले एक खूबसूरत गुलाब की जानकारी दी , डॉ. कलाम ने उत्सुकता से उस बेहद सुंदर गुलाब को देखने तुरंत चल दिये.
उस गुलाब के पास पहुँचने पर श्री ब्रह्म सिंह उसकी विशेषताओं से अवगत कराते रहे . कलाम साहब फूल की ओर झुके और उसे सूंघ कर कुछ निराश से हुए और बोले, इतना खूबसूरत नहीं है. खुशबू के बिना गुलाब खूबसूरत कैसा? देखो ब्रह्मा हमें बाहरी सुंदरता पर मोहित नहीं होना चाहिए . हमें भीतरी खूबसूरती पर ध्यान देना चाहिए और खुशबू आंतरिक सुंदरता है.
श्री ब्रह्म सिंह बताते हैं कि डॉ. कलाम साहब के राष्ट्रपति भवन आने के बाद पहली बार मुगल गार्डन में महकते गुलाबों की बगिया लगी . जब २५ जुलाई को वे विदा हुए तब ५९ किस्म के गुलाब राष्ट्रपति भवन को महका रहे थे . इसके अलावा उन्होंने मुगल गार्डन में औषधीय और आध्यात्मिक पौधों की बगिया भी लगवाई.
राष्ट्रपति भवन के एक कर्मचारी के अनुसार राष्ट्रपति भवन परिसर में १६० तरह के पेड़ लगे हैं और कहा जाता है कि कलाम साहब हर पेड़ से परिचित हैं ।
वहाँ लगे एक विशाल बरगद के पेड़ से वे काफी प्रभावित हैं . उन्होंने उस पर एक कविता भी लिखी है, जिसमें उन्होंने वर्णन किया है कि यह विशाल बरगद कितने मानवों, पशुओं और पक्षियों को सांत्वना देता है.
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राष्ट्रपति भवन
दिल्ली -
भारत का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र.१४८३ वर्ग किलोमीटर (५७२ वर्ग मील) में फैली दिल्ली भारत का दूसरा तथा दुनिया का आठवां सबसे बड़ा महानगर है.
अतिप्राचीन नगर...महाभारत काल से ही दिल्ली[इन्द्रप्रस्थ] का विशेष उल्लेख रहा है.
18वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 19वीं सदी के पूर्वार्द्ध में दिल्ली में अंग्रेजी शासन की स्थापना हुई.
1911 में कोलकाता से राजधानी दिल्ली स्थानांतरित होने पर यह शहर सभी तरह की गतिविधियों का केंद्र बन गया. 1956 में इसे केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त हुआ.राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कुल नौ ज़िलों में बँटा हुआ है.
इस की रोजाना की देखभाल के लिए दो हज़ार कर्मचारियोंकी ज़रूरत होती है.
बहुत ही संक्षेप में दिल्ली के बारे में जानने के बाद आईए जाने यहाँ स्थित राष्ट्रपति भवन के बारे में -:
ब्रिटिश वास्तुकार सर एड्विन लैंडसियर लूट्यन्स को, जो कि नगर योजना के प्रमुख सदस्य थे, इस इमारत स्थल की अभिकल्पना का कार्यभार सौंपा gayaa tha. इसे एडविन लैंडसीर ल्यूटियन ने hi डिजाइन किया था..राष्ट्रपति भवन भारत सरकार के राष्ट्रपति का सरकारी आवास hai .yah नई दिल्ली में राजपथ के पश्चिमी सिरे पर स्थित एक प्रभावशाली भवन है, जिसका दूसरा सिरा इंडिया गेट पर है.
यह भवन भारत में ब्रिटिश राज के स्थायित्व की पुष्टि करने के लिए निर्मित किया गया था .इसे और इसके आस पास के इलाके को ''पत्थर के प्रासाद'' के रूप में तैयार किया गया था.इसे पूरा करने में 17 वर्ष लगे![और सत्रह वर्ष ही ब्रिटिश राज्य में रह पाया!!]अपने निर्माण पूर्ण होने के अठ्ठारहवें वर्ष ही,भारत स्वतंत्र हो गया था! १९४७ में, भारतीय स्वतंत्रता के बाद, तत्कालीन भारत के गवर्नर जनरल वहां रहते रहे.
सन १९५० तक इसे वाइसरॉय हाउस बोला जाता था.भारतीय गणतंत्रता[१९५०] के बाद से यहां भारतीय गणतंत्र के राष्ट्रपति रहने लगे, और इसका नाम बदल कर राष्ट्रपति भवन हो गया.
*भारत का राष्ट्रपति भवन, विश्व के किसी भी राष्ट्रपति आवास से कहीं बड़ा है.
*इस भवन के निर्माण में लोहे का नगण्य प्रयोग हुआ है.
*इस भवन में 4 तल और ३४० कक्ष हैं.
*सतही क्षेत्र-200,000 वर्ग फीट.
*इसे बनाने में 700 मिलियन ईंटों तथा 3 मिलियन घन फीट पत्थरों का इस्तेमाल हुआ!
*यह भवन mukhyth दो रंगों के पत्थरों से निर्मित है.
लाल पत्थर और सफेद पत्थर धोलपुर से सफेद पत्थर संगमरमर जोधपुर से, काला संगमरमर पटियाला से पीला संगमरमर जैसलमेर से ,चाकलेटी संगमरमर विदेश से और हरा संगमरमर बड़ौदा से मंगवाया था.
*फर्नीचर के लिए सागोन, शीशम, चंदन और देवदार आदि लकडिय़ां भी kashmir तथा देश के अन्य भागों से मंगवाई थी.
*मुगल तथा क्लासिकल यूरोपीय शैली की वास्तुकला दिखाई देती है.
*दूर से ही दिखाई देने वाला गुंबद सांची के महान स्तूप के पैटर्न पर बनाया गया है.
*खम्भों की लंबी कतार इस भवन की खूबसूरती में चार चाँद लगा देती है.
**दरबार हॉल, अशोक हॉल, मार्बल हॉल, उत्तरी अतिथि कक्ष, नालंदा suit की भव्यता देखते ही बनती है.
*बाग में बने नाग,स्तंभों पर बने सजे धजे हाथी,और छोटे खम्भों पर लगे हुए बैठे हुएसिंह भारतीय शैली के नमूने हैं .
*यह भवन मुख्यतः १९२९ में, बाकी नई दिल्ली के साथ ही, पूर्ण हो गया था, और इसका आधिकारिक उद्घाटन सन १९३१ में हुआ था!इस भवन पर उन दिनों तक एक करोड़ 45 लाख रुपए खर्च हुए थे!
*भवन के ठीक सामने से एक मार्ग नारंगी बदरपुर बजरी से ढंका हुआ सीधा लोहे के मुख्य द्वार रूपी फाटक तक जाता है, जो कि उस फाटक से होता हुआ, दोनो सचिवालयों, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के बीच से हो कर लाल दीवारों के बीच से नीचे उतरता है, और विजय चौक से होता हुआ, राजपथ कहलाता है. यह मार्ग इंडिया गेट तक जाता है.
जयपुर स्तंभ**भवन के सामने ही जयपुर स्तंभ खड़ा है, जिसके शिखर पर तत्कालीन जयपुर के महाराजा द्वारा भारत सरकार को शुभकामना स्वरूप भेजा हुआ कमल पर सितारा लगा है.
**भवन में एक विभाग घोड़ों का भी है.जिससे अनेक प्रकार के घोड़े है.
**राष्ट्रपति निवास के अंदर एक शानदार मुगल गार्डन है.
आईए देखें राष्ट्रपति भवन की यह वीडियो-:
http://www.youtube.com/watch?v=CD-gE73xiy8
*****मुख्य आकर्षण है -:मुगल गार्डन [राष्ट्रपति भवन,नई दिल्ली]
यह मुगल गार्डन लगभग 13 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला है और यह ब्रिटिश गार्डन की डिजाइन के साथ औपचारिक मुगल शैली का एक मिश्रण बताया जाता है.
''पीस द रजिस्टेंस'' मुगल गार्डन के सबसे बड़े हिस्से को कहते हैं.२०० मीटर लंबे और १७० मीटर जुड़े इस बाग में उत्तर और दक्षिण में टेरिस गार्डन हैं ,पश्चिम में टेनिस कोर्ट तथा लॉन्ग गार्डन हैं.
इसके अलावा भी यहां कई छोटे-बड़े बगीचे हैं जैसे पर्ल (मोती) गार्डन, बटरफ्लाय (तितली) गार्डन और सकरुलर (वृताकार) गार्डन. बटरफ्लाय गार्डन में फूलों के पौधों की बहुत सी पंक्तियां लगी हुई हैं.यह माना जाता है कि तितलियों को देखने के लिए यह जगह सर्वोत्तम है.
मुगल गार्डन में अनेक प्रकार के फूल देखे जा सकते हैं जिसमें गुलाब, गेंदा, स्वीट विलियम आदि शामिल हैं.इस बाग में फूलों के साथ-साथ जड़ी-बूटियां और औषधियां भी उगाई जाती हैं.
उत्तर से दक्षिण से दो नहरें और दो नहरें पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं जैसा की आप ने पहेली के मुख्य चित्र में तस्वीर देखी थी. इस तरह यह नहरें इस उद्यान को चौकोर हिस्सों में बांटती हैं. इन नहरों के मिलन बिंदु पर कमल के आकार के ६ फव्वारे बने हुए हैं जिनसे पार्क की सुंदरता में चार चाँद लग जाते हैं.
१२ फीट तक उठ कर गिरने वाले इन फव्वारों के पास ही लकड़ी के फटटे से हैं जिनपर चिड़ियों के लिए दाना डाला जाता है. बहुत ही सुंदर नज़ारा होता है नहरों की धीमी गति और फवारों का उठना -गिरना ..साथ ही पक्षियों का कलरव!
विश्वभर के रंग-बिरंगे फूलों की छटा देखते ही बनती है. कहते हैं की सिर्फ़ मैसूर का वृंदावन गार्डेन ही इसके मुक़ाबले का एक मात्र बाग़ है. लेडी हार्डिंग ने श्रीनगर में निशात और शालीमार बाग देखे थे, जो उन्हें बहुत भाये बस उसी को ध्यान मे रख कर उन्होने इस बाग की परिकल्पना की थी.
भारत के अब तक जितने भी राष्ट्रपति इस भवन में निवास करते आए हैं, उनके मुताबिक इसमें कुछ न कुछ बदलाव जरूर हुए हैं.
प्रथम राष्ट्रपति, डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद ने इस में कोई बदलाव नहीं कराया लेकिन उन्होंने इस बाग को जनता के लिए खोलने की बात की, उन्हीं की वजह से प्रति वर्ष मध्य-फरवरी से मध्य-मार्च तक यह बाग़ आम जनता के लिए खोला जाता है.
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कब जाएँ-
हर वर्ष फरवरी - मार्च के महीने में यहां सोमवार के अलावा सभी दिनों पर सुबह 9.30 बजे से दोपहर 2.30 बजे तक दर्शक आ सकते हैं.
यहां प्रवेश की जानकारी जनता को विभिन्न प्रचार माध्यमों से दी जाती है. इस उद्यान में आने और जाने के रास्तों को राष्ट्रपति आवास के गेट नंबर 35 से विनियमित किया जाता है, जो चर्च रोड के पश्चिमी सिरे पर नॉर्थ एवेन्यू के पास स्थित है.
यहाँ फोटोग्राफी करना मना है.
[कृपया जाने से पहले समय आदि की जानकारी एक बार और पुष्ट कर लें]
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चलते चलते-
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम गुलाब के फूलों को बहुत चाहते हैं . जब वे राष्ट्रपति भवन आये ही थे, तब उनके विशेष कार्यकारी अधिकारी श्री ब्रह्म सिंह ने उन्हें मुगल मार्डन में खिले एक खूबसूरत गुलाब की जानकारी दी , डॉ. कलाम ने उत्सुकता से उस बेहद सुंदर गुलाब को देखने तुरंत चल दिये.
उस गुलाब के पास पहुँचने पर श्री ब्रह्म सिंह उसकी विशेषताओं से अवगत कराते रहे . कलाम साहब फूल की ओर झुके और उसे सूंघ कर कुछ निराश से हुए और बोले, इतना खूबसूरत नहीं है. खुशबू के बिना गुलाब खूबसूरत कैसा? देखो ब्रह्मा हमें बाहरी सुंदरता पर मोहित नहीं होना चाहिए . हमें भीतरी खूबसूरती पर ध्यान देना चाहिए और खुशबू आंतरिक सुंदरता है.
श्री ब्रह्म सिंह बताते हैं कि डॉ. कलाम साहब के राष्ट्रपति भवन आने के बाद पहली बार मुगल गार्डन में महकते गुलाबों की बगिया लगी . जब २५ जुलाई को वे विदा हुए तब ५९ किस्म के गुलाब राष्ट्रपति भवन को महका रहे थे . इसके अलावा उन्होंने मुगल गार्डन में औषधीय और आध्यात्मिक पौधों की बगिया भी लगवाई.
राष्ट्रपति भवन के एक कर्मचारी के अनुसार राष्ट्रपति भवन परिसर में १६० तरह के पेड़ लगे हैं और कहा जाता है कि कलाम साहब हर पेड़ से परिचित हैं ।
वहाँ लगे एक विशाल बरगद के पेड़ से वे काफी प्रभावित हैं . उन्होंने उस पर एक कविता भी लिखी है, जिसमें उन्होंने वर्णन किया है कि यह विशाल बरगद कितने मानवों, पशुओं और पक्षियों को सांत्वना देता है.
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6 comments:
भव्य.... अद्भुत..... विहंगम और जानकारीपरक -आभार !
सुंदर जानकारी.
वाह वाह इतना सुन्द र भव्य और बडा? धन्यवाद इस जानकारी के लिये
राष्ट्रपति भवन के बारे में इतनी अच्छी जानकारी देने का शुक्रिया !!
बेहद प्रभावशाली व स्मरणीय प्रस्तुति, बधाई !!!!
ऐसे मौके पर जब भारत के एक नए राष्ट्रपति भी चुने गए हैं -कितना सामयिक! मगर यह भव्य प्रासाद तो अमरता लिए है
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