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आज महाराणा प्रताप की जयंती पर चलिये कुम्भलगढ़

महाराणा प्रताप (९ मई, १५४०- १९ जनवरी, १५९७) उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे. हिंदू कलेंडर के अनुसार उनका जन्म ज्येष्ठ शुक...

मनाली-[हिमाचल प्रदेश]



भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक राज्य है--'हिमाचल प्रदेश'
-हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ बर्फ़ीले पहाड़ों का प्रांत है. उत्तर में जम्मू कश्मीर, पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में पंजाब, दक्षिण में हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखण्ड तथा पूर्व में तिब्बत से घिरा हुआ है. इस प्रदेश को देव भूमि भी कहते हैं. यहाँ की राजधानी शिमला है.जिसके बारे में हम कभी और आप से पूछेंगे. इस के अलावा यहाँ डलहोसी,स्पीती घाटी[छोटा तिब्बत]'लाहोल घाटी,किन्नौर,धरमशाला,राजगढ़ घाटी,पांगी घाटी,छात्रादी,चैल,काँगड़ा फोर्ट,ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क देखने की जगहें हैं.
दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, से नज़दीक अगर कोई बेहद ही खूबसूरत सुकून भरी छुट्टियाँ बिताने की ठंडी जगह है तो वह बेशक मनाली ही है. दिल्ली से पर्यटक मनाली के लिए अक्सर कुल्लू हो कर आते हैं. कुल्लू घाटी बहुत सुन्दर जगह है.यहाँ का दशहरा बहुत धूमधाम से मनाया जाता है दूर दूर से इसे देखने लोग यहाँ आते हैं.


मनाली के बारे में विस्तार से -

लोकप्रिय हिल स्टेशन मनाली शहर कुल्लू घाटी के उत्तर में है,समुद्र तल से 2050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मनाली व्यास नदी के किनारे बसा है. हर मौसम में ही पर्यटकों की भीड़ देख सकते हैं..सर्दियों शून्य से नीचे तापमान में भी मनाली में पर्यटकों आते रहते हैं.

देवदार के ऊँचे ऊँचे पेड़,सुबह सुबह मंदिरों से आती शंख और घंटों की आवाजें, वातावरण में एक सुकून भरी अनुभूति का अहसास आप को यहाँ हमेशा मिलता रहता है. मुझे यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता ने बहुत लुभाया है. ब्यास नदी के किनारे बैठ उस की लहरों को देखना हमें प्रकृति के और नज़दीक ले आता है. इतनी सुन्दर जगह है कि आप एक बार जाएँगे तो वहीँ बस जाने को जी जरुर करेगा.

पौराणिक गाथा-

पौराणिक ग्रंथों में मनाली को मनु का घर कहा गया है. कहा जाता है कि जब सारा संसार प्रलय में डूब गया था तो एकमात्र मनु ही जीवित बचे थे. उस समय भगवान के आदेशानुसार मनु ऋषि कश्ती में सवार वर्तमान हिमाचल के इस स्थान पर आ पहुंचे थे, फिर मनु ऋषि ने यहां जीवन का बीज बोया, इस कारण से इस जगह का नाम मनु आली पड़ा और धीरे-धीरे यह मनाली हो गया. इसलिए भी मनाली को हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थल भी माना जाता है. यहाँ देवदार के पेड़ों को काटना कानूनी जुर्म है.यहाँ के लोग बहुत ही सीधे सादे और अच्छे हैं. मजेदार बात यह कि ४ साल पहले जब हम वहां गए थे तब यह मालूम हुआ कि इस जगह कहीं कोई सिनेमा घर नहीं है. हाँ, वहां किसी रेस्तरां के ऊपर एक कमरे में डी वी डी पर फिल्में दिखाई जाती थीं.अब क्या स्थिति है..यह तो वहां जा कर पता चलेगा.

कैसे जाएँ-

१-वायु सेवा
भुंतर नजदीकी एयरपोर्ट [50 kilometer दूर]

२-रेलमार्ग

जोगिन्दर नगर नैरो गैज रेलवे स्टेशन मनाली का नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो मनाली से 135 किमी. की दूरी पर है. मनाली से 310 किमी. दूर चंडीगढ़ नजदीकी ब्रॉड गेज रेलवे स्टेशन है.

३-सड़क मार्ग
मनाली हिमाचल और आसपास के शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है.राज्य परिवहन निगम की बसें अनेक शहरों से मनाली जाती हैं.

क्या देखें-
मनाली में निम्न लिखित जगहें दर्शनीय हैं-

१-हिडिम्बा मंदिर-


यह समुद्र तल से 1533 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.यह भीम की पत्नी हिरमा देवी जिससे हम देवी हिडिम्बा के नाम परिचित है, को समर्पित सुंदर मंदिर है जो देवदार के घने-लम्बे वृक्षों के बीच बना है. ऐसी मान्यता है कि देवी हिडिम्बा इस स्थान पर अपने भाई हिडिम्ब दैत्य के साथ रहती थी. हिडिम्बा का प्रण था कि जो भी उनके भाई हिडिम्ब को हरा देगा, वो उससे शादी करेंगी. पाण्डंव अपने वनवास के दौरान यहां आए तो हिडिम्ब और भीम के बीच लड़ाई हो गई जिसमें हिडिम्ब मारा गया.
हिडिम्बा ने अपने प्रण के मुताबिक भीम से शादी कर ली और हिडिम्बा ने घटोत्कच नाम के लड़के को जन्म दिया. घटोत्कच महाभारत के युद्ध में पांडवों की तरफ से लड़ते हुए कर्ण से भिड़ गया. कर्ण के पास इंद्र द्वारा दिया गया एक अमोघ शस्त्र था जो अर्जुन को मारने के लिए बचा के रखा हुआ था. और इसी अमोघ अस्त्र को अर्जुन पर चलाने की याद दिलाने हेतु उस रोज कर्ण का सारथी स्वयम दुर्योधन बना था.

श्री कृष्ण ने ये सारी चालें भांप कर उस दिन के युद्ध मे अंत समय मे फ़ेर बदल करते हुये अर्जुन की जगह घटोत्कच को कर्ण के सम्मुख युद्ध मे खडा कर दिया. घटोत्कच मायावी युद्ध मे प्रवीण था और घटोत्कच ने कौरव सैना को काफी नुकसान पहुंचा दिया था. जब कर्ण और दुर्योधन को जान के लाले पडे तब दुर्योधन ने कर्ण से वह अमोघ अस्त्र घटोत्कच पर चलाने के लिये कहा. कर्ण ने के यह कहने पर कि वो तो अर्जुन को मारने के लिये रखा है? तब दुर्योधन ने कहा कि अर्जुन को तो तब मारेंगे ना, जब आज यह घटोत्कच हमको जिंदा लौटने देगा. आप तो वो शक्ती इस पर जल्दी चलाओ वर्ना हम दोनों आज मारे जायेंगे.

इसी लिए कर्ण ने अमोघ शस्त्र घटोत्कच पर चला दिया और घटोत्कच वीरगति को प्राप्त हो गया. और एक तरह से यहीं पर इसी दिन महाभारत युद्ध की तकदीर तय हो गई थी. इन्ही घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक थे जिन्होने महाभारत युद्ध का निर्णय दिया था और आज कल राजस्थान के सीकर जिले मे खाटू श्याम जी के नाम से पूजे जाते हैं जहां उन पर लाखों लोगों की श्रद्धा और विश्वास कायम है.

मंदिर में उत्कीर् यंकरी लिपि के एक अभिलेख के अनुसार इसका निर्माण सन् 1553 ई. में राजा बहादुर सिहं ने करवाया था. पैगाड़ा शैली में निर्मित मंदिर की ऊँचाई आधार से लगभग 80 फीट है और यह तीनों और से 12 फीट ऊँचाई वाले संकरे बरामदे से घिरा है. इसकी काष्ठ निर्मित छत चार भागों में बनती है, जिसमें ऊपरी भाग गोलाकार है जो कि कांस्य कलश एवं त्रिशुल से सजा है.वर्गाकार गर्भगृह में हिडिम्बा देवी की कांस्य निर्मित सुंदर प्रतिमा देख सकते हैं. इस मंदिर को बनाने में ज्यादातर लकड़ी और पत्थर का इस्तेमाल किया गया है. चतुस्थरीय प्रवेश द्वार विभिन्न देवी-देवताओं तथा बेल-बूटों,घट-पल्लव अभिप्राय,पशु जैसे हाथी,मकर इत्यादि के अकंन से सज्जित है.

प्रवेश द्वार के दांयी ओर महिषासुर मर्दिनी हाथ जोड़े भक्त तथा नंदी पर आसीन उमा महेश्वर और बांई ओर दुर्गा, हाथ जोड़े भक्त तथा गरूड़ पर आसीन लक्ष्मी और नारायण को दर्शाया गया है. ललाट बिम्ब पर गणेश तथा उसके उपर शहतीर पर नवगृहों का अकंन हैं. सबसे ऊपरी भाग में बौद्ध आकृतियां उकेरी गई हैं.

इस मंदिर को देखकर 1553 ई के समय की कला के दर्शन होते हैं. कुल्लू-मनाली में इनको सबसे शक्तिशाली देवी दुर्गा व काली का अवतार मानते हैं. मंदिर में महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति स्थापित है और माता के चरण पादुका भी है जिनकी प्रतिदिन पूजा होती है. इस मंदिर के थोड़ी सी दूरी पर वो वृक्ष भी है जहां घटोत्कच तपस्या करता था और पशुओं की बली देता था.

पूरे भारत में किसी राक्षसी का यह एक मात्र मंदिर है. हिडिम्बा जन्म से राक्षसी थी लेकिन तप, त्याग और पतिव्रत धर्म से देवी मानी गईं है. इसी कारण से कुल्लू -मनाली के प्रसिद्ध धार्मिक मेले दशहरे में हिडिम्बा का शामिल होना जरुरी माना जाता है. हिडिम्बा को शामिल हुए बिना मेला पूर्ण नहीं माना जाता है. कुल्लू के राजा इन्हें दादी मां मानते हैं . दशहरे के समापन में भैंसे सहित अष्टांग बलियां भी दी जाती हैं[?] इस मंदिर के विशिष्ट पुरातात्विक एवं वास्तुशिल्प विशेषताओं और इस के पुरातात्विक महत्व के कारण भारत सरकार ने प्राचीन संस्मारक तथा पुरातात्विक स्थल के रूप में इसे स्वीकार कर लिया है.

2-मनु मंदिर :Manu temple


पुराने मनाली शहर में बड़े बाजार से 3 कि.मी. दूर मनु ऋषि का मंदिर है। यहां आकर उन्होंने ध्यान लगाया था .मंदिर तक पहुंचने का मार्ग दुरूह और रपटीला है. ऐसा माना जाता है कि यह भारत में मनु ऋषि का एकमात्र मंदिर है.

3-अर्जुन गुफा
कहा जाता है महाभारत के अर्जुन ने यहां तपस्या की थी. इसी स्थान पर इन्द्रदेव ने उन्हें पशुपति अस्त्र प्रदान किया था।

4-वशिष्ठ के गर्म जल के झरने और मंदिर/वशिष्ठ कुण्ड-
Vashishth Mandir
मनाली से 3 किमी. दूर प्राचीन पत्थरों से बने मंदिरों का यह जोड़ा एक दूसरे के विपरीत दिशा में है. एक मंदिर भगवान राम को और दूसरा संत वशिष्ठ को समर्पित है. रोहतांग-दर्रा जाते हुए ब्यास नदी के बाएं किनारे पर एक छोटा सा दर्शनीय गांव है, वशिष्ठ। यह अपने गर्मजल के झरनों और मंदिरों के लिए जाना जाता है। गर्मजल के प्राकृतिक सल्फर युक्त झरनों पर पुरुषों और महिलाओं के स्नान के लिए अलग-अलग तालाब बने हैं, जहां सदैव पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। पास में ही तुर्की स्टाइल के फव्वारों से युक्त स्नानघर भी बने हुए हैं। स्नान के लिए झरनों से गर्म जल की व्यवस्था की गई है।

5-क्लब हाउस :

शहर से 2 कि.मी. दूर मनाल्शु नाले के बाएं किनारे पर स्थित क्लब हाउस में इंडोर खेल सुविधाएं मौजूद हैं.

6-तिब्बती मठ :
यहां 3 नवनिर्मित विविध रंगों से सजे मठ हैं, जहां से कारपेट और तिब्बती हस्त शिल्प खरीदे जा सकते हैं। दो मठ शहर में स्थित हैं और एक मठ आलियो, ब्यास नदी के बाएं किनारे स्थित है। यहां का गोधन थेकचोकलिंग मठ काफी प्रसिद्ध है।
1969 में इस मठ को तिब्बती शरणार्थियों ने बनवाया था।

7-माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट :
कुल्लू की ओर जाने वाले मार्ग पर 3 कि.मी. दूर ब्यास नदी के बाएं किनारे पर स्थित है। इस इंस्टीट्यूट में ट्रेकिंग, माउंटेनियरिंग, स्कीइंग और वाटर-स्पोर्ट्स से संबंधित बेसिक और एडवांस प्रशिक्षण पाठ्क्रम आयोजित किए जाते हैं। अग्रिम बुकिंग द्वारा यहां से ट्रेकिंग और स्कीइंग के उपकरण किराये पर लिए जा सकते हैं। पर्यटक यहां का बेहतरीन शो-रूम भी देख सकते हैं।
8-नेहरु कुंड:

लेह की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर 5 कि.मी. की दूरी पर ठंडे पानी का एक प्राकृतिक झरना है, जो पं. जवाहरलाल नेहरु के नाम पर है, अपने मनाली प्रवास के दौरान वे इसी झरने का पानी पिया करते थे। माना जाता है कि यह झरना ऊंचे पहाड़ों में स्थित भृगु झील से अवतरित हुआ है।
9-सोलांग घाटी :13 कि.मी. दूर सोलांग गांव और ब्यास कुंड के बीच यह एक शानदार घाटी है। सोलांग घाटी से ग्लेशशियर और हिमाच्छादित पर्वत और चोटियां दिखाई देती हैं।

10 - कोठी :

रोहतांग-दर्रा जाते हुए, मनाली से 12 कि.मी. दूर कोठी एक सुंदर स्थान है। यहां रिज पर पी.डब्ल्यू.पी. का रेस्ट हाउस बना है, जहां से संकरी होती घाटी और पहाड़ों का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। यहां बड़ी संख्या में फिल्मों की शूटिंग होती है .

11-रहाला जल-प्रपात:रोहतांग-दर्रा जाते हुए, मनाली से 16 कि.मी. दूर है।
12-रोहतांग-दर्रा -
Road to Rohtang Pass

रोहतांग-दर्रा कीलोंग / लेह राजमार्ग पर मनाली से 51 कि.मी. दूर है। यहां से पहाड़ों का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। यह दर्रा प्रति वर्ष जून से अक्तूबर तक खुला रहता है किंतु पर्वतारोही इसे पहले भी पार करते हैं। गर्मियों के दौरान (मध्य जून से अक्तूबर) मनाली-कीलोंग / दारचा, उदयपुर, स्पीति और लेह के बीच बसें चलती हैं।

13-जगतसुख :
जगतसुख मनाली से 6 कि.मी. दूर नग्गर की ओर जाते हुए ब्यास नदी के बाएं किनारे पर स्थित है। यह स्थान शिखर रूप में बने भगवान शिव और संध्या गायत्री के दर्शनीय प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।

14-मणिकरण

यहाँ पहुँचने के लिए टेड़े मेडे से रास्तों से और वह भी काफी ऊँचाई से गुजरते हुए बहुत डर लगता है.

समुद्र तल से 1700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मणिकरण गर्म पानी का झरना है। कहा जाता है शिव की पत्नी पार्वती के कर्णफूल यहां खो गए थे। उसके बाद से इस झरने का जल गर्म हो गया। हजारों लोग यहां के जल में पवित्र डुबकी लगाने दूर-दूर से आते हैं। सच में पानी, ठण्ड के मौसम में भी वाकई गरम होता है.
Manikaran Bridge

15-ओल्ड मनाली
मनाली से 3 किमी. उत्तर पश्चिम में ओल्ड मनाली है जो बगीचों और प्राचीन गेस्ट हाउसों के लिए काफी प्रसिद्ध है। मनालीगढ़ नामक क्षतिग्रस्त किला भी यहां देखा जा सकता है।

References-

Wikipedia,Himachal pradesh official site and others

-Alpana Verma,May,2009

2 comments:

SELECTION - COLLECTION SELECTION & COLLECTION said...

मनाली की जानकारी मिली। वैसे मै शादी के तुरन्त कुलु मनाली की ही यात्रा की थी। रोचक अनुभव आज भी ताजा है। मनाली से दुर शिलाग मे बर्फ मिली थी। और पैर तो हमारे समझो बर्फ मे थे ही नही। बाद मे बुट मे गर्म पानी डाला॥॥॥

आभार
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
SELECTION & COLLECTION

Meenu Khare said...

रोचक जानकारी. पर्यटकों को ज़रूर लाभ देगी.
अच्छा अनुभव , खूबसूरत अभिव्यक्ति .

एक बार इधर भी आयें तो अच्छा लगेगा.
http://meenukhare.blogspot.com/