गोरखपुर
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उत्तर प्रदेश राज्य पूर्वांचल में गोरखपुर जिले को बाबा गोरखनाथ का धाम कहा जाता है .
मुंशी प्रेमचन्द की कर्मस्थली व फिराक गोरखपुरी की जन्मस्थली के रुप मे भी प्रसिद्धि प्राप्त है.अनेकानेक पुरातात्विक, अध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों की धरती को अमर शहीद पं0 राम प्रसाद बिस्मिल, बन्धु सिंह व चौरीचौरा आन्दोलन के शहीदों की शहादत स्थली के रूप में भी याद किया जाता है.
वैदिक काल में यह स्थान भगवान राम के कौशल राज्य का एक हिस्सा बताया गया है.बारहवीं शताब्दी में मोहम्मद गौरी के राज में प्रसिद्ध तांत्रिक और तपस्वी बाबा गोरखनाथ हुए थे, उन के नाथ सम्प्रदाय का प्रभाव हिन्दू धर्म के सभी वर्गो में दिखाई पड़ता है.उनकी समाधी देखने भी बहुत से पर्यटक आते हैं. ' मगहर ' यहाँ से लगभग २० किलोमीटर पर है जहाँ संत कबीर की समाधी स्थल है.
‘टैराकोटा’ के लिए प्रसिद्ध व आधुनिक गोरखपुर का वर्तमान स्वरुप बेशक पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है .
अधिक जानकारी अधिकारिक साईट से लें-
http://gorakhpur.nic.in/
आज का कुशीनगर ,प्राचीनकाल के सोलह महाजनपदों में से एक ‘कुशीनारा’ है .
रामायण काल में भगवान राम के पुत्र कुश की राजधानी 'कुशावती 'को 483 ईसा पूर्व बुद्ध ने अपने अंतिम विश्राम के लिए चुना था.लुंबनी, बोधगया और सारनाथ के साथ ही कुशीनगर का भी बौद्ध अनुयायियों के लिए बहुत महत्व है.
इस कुशीनगर का महत्व यहाँ स्थित महानिर्वाण मंदिर के कारण अधिक है.
महापरिनिर्वाण मंदिर -
इस का स्थापत्य अजंता की गुफाओं से प्रेरित बताया जाता है.मंदिर के आसपास अशोक काल के कई विहार और चैत्य भग्नावशेष मौजूद हैं
इस मंदिर में भगवान बुद्ध की लेटी हुई (भू-स्पर्श मुद्रा) 6 मीटर लंबी मूर्ति है, जो की एक ही पत्थर[लाल बलुई] से बनी है.सम्राट अशोक ने बनवाया था.इसे करीब 2500 वर्ष पुरानी बताया गया है.
यह मूर्ति अजंता के भगवान बुद्ध की महापरिनिवार्ण मूर्ति की प्रतिकृति है.जहाँ से यह मूर्ति निकाली गई थी उसी स्थान पर यह मंदिर बनाया गया है.
जिस स्थान पर भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार किया गया था वह स्तूप इसी मंदिर के पूर्व में बना है.
महापरिनिर्वाण मंदिर से पहले बीच तालाब में बना भगवान बुद्ध का मंदिर और इसके सामने बना विशाल पैगोडा है.जल मंदिर तक जाने के लिए तालाब के ऊपर पुल बना है.
चित्र देखें –-
–[सभी चित्र गूगल से साभार] -
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इस के अतिरिक्त यहाँ मुख्य पर्यटक स्थल-
माथा कुँवर मंदिर,रामाभार स्तूप,जापानी मंदिर और संग्रहालय ,वाट थाई मंदिर[ मंदिर के शीर्ष पर सोने की परत विशेष आकर्षण है], चीनी मंदिर,भगवान शिव को समर्पित बिरला मंदिर आदि .
कैसे जाएँ-
कुशीनगर में अंतर्राष्ट्रीय विमान पत्तन बनाए की योजना है.
१-नजदीकी रेलवे स्टेशन गोरखपुर रेलवे स्टेशन.
२-वायु सेवा-गोरखपुर से दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के लिए सुविधाहै.
३-सड़क मार्ग-गोरखपुर से टेक्सी और बसें कुशीनगर के लिए नियमित चलती हैं.
ठहरने के लिए उत्तरप्रदेश पर्यटन विकास निगम की ओर से पथिक निवास,प्राइवेट होटल ,बिरला धर्मशाला , बुद्ध धर्मशाला एवम अन्य धर्मशालाएं भी हैं.
अधिकारिक साईट-http://kushinagar.nic.in/
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उत्तर प्रदेश राज्य पूर्वांचल में गोरखपुर जिले को बाबा गोरखनाथ का धाम कहा जाता है .
मुंशी प्रेमचन्द की कर्मस्थली व फिराक गोरखपुरी की जन्मस्थली के रुप मे भी प्रसिद्धि प्राप्त है.अनेकानेक पुरातात्विक, अध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों की धरती को अमर शहीद पं0 राम प्रसाद बिस्मिल, बन्धु सिंह व चौरीचौरा आन्दोलन के शहीदों की शहादत स्थली के रूप में भी याद किया जाता है.
वैदिक काल में यह स्थान भगवान राम के कौशल राज्य का एक हिस्सा बताया गया है.बारहवीं शताब्दी में मोहम्मद गौरी के राज में प्रसिद्ध तांत्रिक और तपस्वी बाबा गोरखनाथ हुए थे, उन के नाथ सम्प्रदाय का प्रभाव हिन्दू धर्म के सभी वर्गो में दिखाई पड़ता है.उनकी समाधी देखने भी बहुत से पर्यटक आते हैं. ' मगहर ' यहाँ से लगभग २० किलोमीटर पर है जहाँ संत कबीर की समाधी स्थल है.
‘टैराकोटा’ के लिए प्रसिद्ध व आधुनिक गोरखपुर का वर्तमान स्वरुप बेशक पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है .
अधिक जानकारी अधिकारिक साईट से लें-
http://gorakhpur.nic.in/
आज का कुशीनगर ,प्राचीनकाल के सोलह महाजनपदों में से एक ‘कुशीनारा’ है .
रामायण काल में भगवान राम के पुत्र कुश की राजधानी 'कुशावती 'को 483 ईसा पूर्व बुद्ध ने अपने अंतिम विश्राम के लिए चुना था.लुंबनी, बोधगया और सारनाथ के साथ ही कुशीनगर का भी बौद्ध अनुयायियों के लिए बहुत महत्व है.
इस कुशीनगर का महत्व यहाँ स्थित महानिर्वाण मंदिर के कारण अधिक है.
महापरिनिर्वाण मंदिर -
इस का स्थापत्य अजंता की गुफाओं से प्रेरित बताया जाता है.मंदिर के आसपास अशोक काल के कई विहार और चैत्य भग्नावशेष मौजूद हैं
इस मंदिर में भगवान बुद्ध की लेटी हुई (भू-स्पर्श मुद्रा) 6 मीटर लंबी मूर्ति है, जो की एक ही पत्थर[लाल बलुई] से बनी है.सम्राट अशोक ने बनवाया था.इसे करीब 2500 वर्ष पुरानी बताया गया है.
यह मूर्ति अजंता के भगवान बुद्ध की महापरिनिवार्ण मूर्ति की प्रतिकृति है.जहाँ से यह मूर्ति निकाली गई थी उसी स्थान पर यह मंदिर बनाया गया है.
जिस स्थान पर भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार किया गया था वह स्तूप इसी मंदिर के पूर्व में बना है.
महापरिनिर्वाण मंदिर से पहले बीच तालाब में बना भगवान बुद्ध का मंदिर और इसके सामने बना विशाल पैगोडा है.जल मंदिर तक जाने के लिए तालाब के ऊपर पुल बना है.
चित्र देखें –-
–[सभी चित्र गूगल से साभार] -
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इस के अतिरिक्त यहाँ मुख्य पर्यटक स्थल-
माथा कुँवर मंदिर,रामाभार स्तूप,जापानी मंदिर और संग्रहालय ,वाट थाई मंदिर[ मंदिर के शीर्ष पर सोने की परत विशेष आकर्षण है], चीनी मंदिर,भगवान शिव को समर्पित बिरला मंदिर आदि .
कैसे जाएँ-
कुशीनगर में अंतर्राष्ट्रीय विमान पत्तन बनाए की योजना है.
१-नजदीकी रेलवे स्टेशन गोरखपुर रेलवे स्टेशन.
२-वायु सेवा-गोरखपुर से दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के लिए सुविधाहै.
३-सड़क मार्ग-गोरखपुर से टेक्सी और बसें कुशीनगर के लिए नियमित चलती हैं.
ठहरने के लिए उत्तरप्रदेश पर्यटन विकास निगम की ओर से पथिक निवास,प्राइवेट होटल ,बिरला धर्मशाला , बुद्ध धर्मशाला एवम अन्य धर्मशालाएं भी हैं.
अधिकारिक साईट-http://kushinagar.nic.in/
4 comments:
ज्ञानपरक सामग्री से भरपूर रोचक पोस्ट।
वाह... बहुत बढिया जानकारियां.
ऐतिहासिक जानकारी पूर्ण सुन्दर रचना !
नई पोस्ट वो दूल्हा....
बौद्ध धर्म व कुशीनगर पर इतनी सारी जानकारियां चित्रों सहित पहली बार एक ही जगह मिली, बहुत ही उपयोगी आलेख. शुभकामनाएं.
रामराम.
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