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आज महाराणा प्रताप की जयंती पर चलिये कुम्भलगढ़

महाराणा प्रताप (९ मई, १५४०- १९ जनवरी, १५९७) उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे. हिंदू कलेंडर के अनुसार उनका जन्म ज्येष्ठ शुक...

नैनीताल-[उत्तराखंड ]


एक गीत सुना है -'तालों में ताल 'नैनीताल 'बाकि सब तलैय्या!' नैनीताल के प्रसिद्द कवि श्री बल्ली सिंह चीमा के शब्दों में- यहां पल में वहां कब किस पे बरसें क्या खबर , बदलियां भी हैं फरेबी यार नैनीताल की ताल तल्ली हो कि मल्ली चहकती है हर जगह, मुस्कराती और लजाती शाम नैनीताल की है '
भारत के उत्तराखंड राज्य में नैनीताल जिला है. यह 'छखाता' /षष्टिखात' परगने में आता है। 'षष्टिखात' का अर्थ है कि इस क्षेत्र में ६० ताल हुआ करते थे.नैनीताल को 'झीलों का शहर' भी कहा जाता है.ऊँचे पहाड़ों की तलहटी में नैनीताल समुद्रतल से १९३८ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।


नैनीताल से सम्बंधित पुराणिक कथाएँ-

१-पिछली पोस्ट में शिव-पार्वती की पौराणिक कहानी मैंने बताई थी..[शक्ति पीठों की स्थापना के विषय में ] .उसी कहानी के अनुसार देवी के नैन जहाँ गिरे थे, वहीं पर नैनादेवी के रुप नन्दा देवी का भव्य स्थान नैनीताल कहलाया. उन नयनो की अश्रु धार ने नैनी -ताल का रुप ले लिया. पुरातन काल से यहाँ लगातार शिवपत्नी नन्दा (पार्वती) की पूजा नैनादेवी के रुप में होती है.[ यह समस्त गढ़वाल - कुमाऊँ की एकमात्र इष्ट देवी 'नन्दा' ही हैं ].

२- एक और पौराणिक कथा प्रचलित है। 'स्कन्द पुराण' के मानस खण्ड में एक समय अत्रि, पुस्त्य और पुलह नाम के ॠषि गर्गाचल की ओर जा रहे थे. मार्ग में उन्हे यह स्थान मिला. इस स्थान की रमणीयता मे वे मुग्ध हो गये परन्तु पानी के अभाव से उनका वहाँ रुकना कठीन हो गया तब तीनों ऋषियों ने अपने - अपने त्रिशुलों से खोद कर इस मानसरोवर का निर्माण किया इस लिए कुछ विद्वान इस ताल को 'त्रिॠषि सरोवर' के नाम से पुकारते हैं. [मगर ,कुछ लोगों यह भी कहते हैं कि इन तीन ॠषियों ने तीन स्थानों पर अलग - अलग तालों का निर्माण किया था। नैनीताल, खुरपाताल और चाफी का मालवा ताल ही वे तीन ताल थे जिन्हे 'त्रिॠषि सरोवर' होने का गौरव प्राप्त है.] गढ़वाल और कुमाऊँ में प्रतिवर्ष नन्दा अष्टमी के दिन नंदापार्वती की ख़ास पूजा होती है.नन्दा के मायके से ससुराल भेजने के लिए भी 'नन्दा जात' का आयोजन गढ़वाल - कुमाऊँ में किया जाता है. नन्दापार्वती की पूजा - अर्चना के रुप में इस स्थान का महत्व युग - युगों से आंका गया है. यहाँ के लोग इसी रुप में नन्दा के 'नैनीताल' की परिक्रमा करते आ रहे हैं.
इतिहास se- सन् १७९० से १८१५ तक गोरखाओं ने यहाँ राज्य किया. सन् १८१५ ई से ब्रिटिश शासन स्थापित हो गया.नैनीताल इलाके के थोकदार सन् १८३९ ई. में ठाकुर नूरसिंह (नरसिंह) थे.सन् १८३९ ई. में एक अंग्रेज व्यापारी पी. बैरन था जिस ने अपनी नैनीताल यात्रा और नैनी झील की खोज की खबर सन् १८४१ की २४ नवम्बर को, कलकत्ता के 'इंगलिश मैन' नामक अखबार में छपी थी. जब ठाकुर नूर सिंह ने यह इलाका बैरन को बेचने से मना कर दिया तब बेरन ने उन्हें ताल में डुबो देने की धमकी दे कर यह ज़मीन अपने नाम करवा ली.और नया नैनीताल शहर बसाया.सन् १८४२ ई. के बाद से ही नैनीताल एक ऐसा नगर बना कि सम्पूर्ण देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इस के खूब चर्चे हुए.

कब जायें -------यहाँ दो सीज़न मुख्य हैं-

१-अप्रैल से जून- : इस मौसम में टेनिस, पोलो, हॉकी, फुटबाल, गॉल्फ, मछली मारने और नौका दौड़ाने के खेलों की प्रतियोगिता और तरह तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं.

२- सितम्बर से दिसम्बर -: आसमान साफ़ रहता है पर.ठण्ड जरुर होती है. जनवरी और फरवरी में गिरती बर्फ देखने का आनंद ले सकते हैं.

कैसे जाएं -

1-नैनीताल देश के प्रमुख नगरों से रेल व बस सेवा द्वारा जुड़ा है। यह दिल्ली से 310 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। काठगोदाम को 'द गेटवे ऑफ कुमाऊं हिल्स' के नाम से भी जाना जाता है। यह नैनीताल से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह नैनीताल से सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन है। ट्रेन से पहुंचने के बाद उससे आगे का सफर टैक्सी या बस से तय किया जा सकता है।

2-नैनीताल से दिल्ली, लखनऊ, कानपुर जैसे तमाम बड़े शहरों के लिए सीधी बस सेवा है। ३-वायु मार्ग -नैनीताल पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट नई दिल्ली पालम में स्थित है. यहां नैनीताल से 310 किलोमीटर की दूरी पर है.

क्या देखें--
१-नैनी झील/नैनी-ताल -नैनीताल के जल की विशेषता यह है कि इस ताल में सम्पूर्ण पर्वतमाला और वृक्षों की छाया स्पष्ट दिखाई देती है,झील का आकार भी आंख के जैसा ही है. .शहर मुख्य रुप से झील के उत्तर और दक्षिण के किनारे पर बसा हैं.उत्तरी हिस्से को मल्लीताल और दक्षिणी हिस्से को तल्लीताल कहते हैं.मल्लीताल में ही नैना देवी का मंदिर है.

२-तिब्बती बाजार-इसे भोटिया बाज़ार भी कहते हैं.मल्लीताल के पास के मैदान [फ्लैट]में लगता है . यहाँ खरीदारी करने के लिए आप को मोल-भाव करना आना चाहिये.

३-यहीं फ्लैट पर ही एक स्केटिंग रिंग बना है जहां स्केटिंग सीखी जा सकती है.

४-रोप वे भी मल्लीताल पर है- इस रोप वे से स्नो व्यू तक जाया जा सकता है।ये लगभग २२०० मीटर उंची चोटी है.

५-स्नो व्यू से नैनीताल का पूरा नजारा देख सकते हैं.अगर मौसम साफ़ है तो स्नो व्यू से ही हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियाँ देख सकते हैं.स्नो व्यू शहर से २.५ किलोमीटर दूर है आप चाहें तो पैदल भी ३०-४० मिनट चल कर पहुँच सकते हैं.

६-नैना पीक और चाइना पीक -यह शहर की सबसे ऊंची पहाड़ी ' नैना पीक '2611 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.दूरबीन से चारों ओर की सुन्दरता को निहार सकते हैं. इस चोटी पर चार कमरे का लकड़ी का एक केबिन है जिसमें एक रेस्तरा भी है.

७-लड़ियाकाँटा २४८१ मीटर की ऊँचाई पर यह पर्वत श्रेणी ,नैनीताल से लगभग साढ़े पाँच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

८-गर्नी हाउस आयरपत्ता पहाड़ी पर यह एक म्यूजियम है, जिसमें जिम कॉर्बेट की तमाम चीजों को बहुत सहेजकर रखा गया है.

९-सेंट जॉन चर्च 1844 में स्थापित यह चर्च नैनी देवी मंदिर से करीब आधा मील की दूरी पर है.

१०-टिफिन टॉप और डोरथी सीट - २२९० मीटर की ऊँचाई पर यह चोटी आयरपत्ता जिले में स्थित है.टिफिन टॉप से आप हिमालय का खूबसूरत व्यू देखने के साथ ही आस-पास की खूबसूरत जगहों को भी देख सकते हैं.

११- किलवरी -२५२८ मीटर की ऊँचाई पर दूसरी पर्वत - चोटी है.यह पिकनिक मनाने का सुन्दर स्थान है. यहाँ पर वन विभाग का एक विश्रामगृह भी है.इसका आरक्षण डी. एफ. ओ. नैनीताल के द्वारा होता है.

१२-देवपाटा और केमल्सबौग-यह दोनों चोटियाँ साथ - साथ हैं. जिनकी ऊँचाई क्रमशः २४३५ मीटर और २३३३ मीटर है.यहाँ से प्राकृतिक नजारे निहारीये.

१३-रानीखेत - यह नैनीताल से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चीड़ के पेड़ों से घिरा एक हिल स्टेशन है। कहा जाता है कि रानी पद्मिनी को यह जगह बेहद भा गई थी और तभी से इसे रानीखेत के नाम से जाना जाता है। इसका मतलब है 'क्वीन फील्ड'। यह समुद्री तट से 1829 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

१४-.मुक्तेश्वर -फलों के बगीचों और घने जंगलों से घिरा मुक्तेश्वर अपने कुदरती सौंदर्य से भरपूर नजारों के लिए जाना जाता है-1893 में ब्रिटिशर्स ने यहां पर रिसर्च व एजुकेशन इंस्टीट्यूट (आईवीआरआई) की स्थापना की थी.यहीं भगवान शिव का मंदिर भी आकर्षण का केंद्र है.

इनके अतिरिक्त नैनीताल मैं और इस के आस पास आप वहां देख सकते हैं- चिडियाघर, खुरपा ताल ,Observational Sciences की आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट, राज भवन,जिम कोर्बोर्ट नेशनल पार्क,सुखा ताल के पास केव्स गार्डन,land's end, शीतला माता का मंदिर, आदि.

चोटियों पर जाने के लिए घोडे की सवारी करें ,mountaineering,ट्रेक्किंग करें ,बोट लेकर झील में घूमें या यूँ ही पैदल निकल जाएँ...माल रोड पर घूमने का अपना अलग ही आनंद है.

-ठंडी सड़क जाने के रास्ते में पाषाण देवी का मंदिर है.किराए पर घोडे की सवारी करके भी इस मंदिर तक जा सकते हैं.

-१९५१ मीटर की ऊँचाई पर नैनीताल से ३.५ किलोमीटर दूर हनुमान गढ़ी से सूर्य अस्त का द्रश्य .मनोरम दिखता है.यहाँ हनुमान मंदिर भी है

References-
1-Wikipedia
2-Refविस्तृत जानकारी आपको इस लिंक पर मिल सकती है.
http://www.merapahad.com/forum/tourism-places-of-uttarakhand/queen-of-hill-station/



-अल्पना वर्मा[april,2009]

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