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‘फ्रांसीसी संस्‍कृति की खिड़की- पुडुचेरी 'और 'ओरोविला'

'पुडुचेरी 'और 'ओरोविला'


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पुडुचेरी जिसे हम सभी पाँडिचेरी के नाम से जानते थे .पुडुचेरी इस राज्य का नया नाम है।

भारत का यह केन्द्र शाषित प्रदेश पिछले लम्बे काल से फ्रेंच कालोनी के रूप में चर्चित रहा है.इसका इतिहास १६७३से तब प्रारंभ होता है जब चेन्नइ्रर् के पास सेंट होम के किलेबंद नगर में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी के एजेन्टमार्टिन को डचों ने हरा दिया था। मार्टिन हार कर फ्रंास नहीं लौटा. पांडिचेरी में आकर रहने लगा. कहते हैं उससमय यह छोटा सा गांव था, इस गांव को उसने जिंजी के राजा से खरीद लिया और धीरे-धीरे इसे एक समृद्ध नगरका रूप दिया.1954 में भारत व फ्रांस के मध्य एक समझौते के बाद पाँडिचेरी का प्रशासन भारत सरकार केअन्तर्गत है.अंतिम रूप से १ नवम्बर १९५६ को यह भारत संघ का अंग बन गया।

केंद्र
शाषित इस प्रदेश में चार क्षेत्र हैं-पुडुचेरी [यह राजधानी भी है],कराई कल ,माहे तथा यनाम
इसके पूर्व में बंगाल की खाड़ी और शेष तीन तरफ तमिलनाडु है, और लगभग 150 किलोमीटर दक्षिण में पूर्वी तटपर कराईकल है , माहे पश्चिम मे केरल से घिरे पश्चिमी घाटों के मालाबार तट पर स्थित है.यनाम आंध्र प्रदेश केपूर्वी गोदावरी जिले से सटा हुआ है और विशाखापत्तनम से 200 कि.मी. की दूरी पर है.


तमिल, तेलुगू, मलयालम व फ्रेंच भाषा सरकारी कामकाज के लिये स्वीकृत है।
इस तरह कराईकल(तमिलनाडु), माहे (केरल), यनाम (आंध्र प्रदेश), को भी मिलाकर पुडुचेरी केंद्रशासित प्रदेश बना है।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पांडिचेरी को ‘
फ्रांसीसी संस्‍कृति की खिड़की’ कहा था।यह नगर फ्रांसीसी-तमिल वास्तुकला का संगम तो है ही इसे फ्रांस के 18 वीं सदी के किलेबंद समुद्रतटीयशहर ‘बास्टाइड के नमूने पर बना भी बताया जाता है.
पूर्व तथा पश्चिम संस्कृति से प्रभावित पांडिचेरी में हस्तशिल्प से तैयार चमड़े की वस्तुएं, मिट्टी के बरतन, हाथ सेतैयार कागज, धूप तथा पुराना औपनिवेशिक फर्नीचर आदि खूबसूरत और लुभावनी वस्तुएं मिलती हैं.
धान यहाँ की मुख्य फसल है।
वर्तमान में पुडुचेरी के लेफ्टिनेंट गवर्नर श्री इकबाल सिंह हैं और मुख्य मंत्री श्री विथिलिंगम हैं.
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निकटतम
हवाई अड्डा-माहे से 70 किलोमीटर दूर कालीकट[केरल] हवाई अड्डा है।
देखने के लिए प्रमुख स्थल हैं-पांडेचेरी संग्राहलय ,समुद्र तट [बीच],मास्सी मगन फेस्टिवल,औरोबिन्दो आश्रम
arbindo-ashram/chunamber beach
महर्षि अरविन्द घोष
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सीरती पर महान संत, कवि तथा भारतीय आध्यात्मिकता के महान प्रवर्त्तक श्री अरविंद अपने जीवन के अंततक अपनी दृष्टि तथा विचारों का प्रसार करते रहे थे आईये जानते हैं उनके बारे में -:
महर्षि अरविन्द घोष का जन्म 15 august ,१८७२ कोलकता में हुआ .
वह एक महान योगी एवं दार्शनिक थे.बाल्यावस्था में कुछ समय दार्जिलिंग में शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह सात साल की उम्र में अपने भाइयों के साथ शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गये थे.1892 में भारत वापस लौट आये.
1905 के बंगाल विभाजन के बाद हुए क्रांतिकारी आंदोलन और 1908-09 में अलीपुर बम कांड मुकदमा चला. जेल में कई आध्यात्मिक अनुभव के बाद वे अंतत: सक्रिय राजनीति से अलविदा कह तत्कालीन फ्रांसीसी शासन वाले पांडिचेरी चले गए. पांडिचेरी में उन्होंने आध्यात्मिक साधनाएँ की और मृत्यु पर्यन्त [५ दिसम्बर १९५० को]तक वहीं रहे.पांडिचेरी में रहते हुए अरविन्द ने अपने महाकाव्य सावित्री और सबसे चर्चित पुस्तक ‘डिवाइन लाइफ( हिन्दी में दिव्य जीवन के नाम से अनूदित) की रचना की थी.




ओरोविला'-:
यहाँ महर्षि अरविन्द के नाम से 'ओरोविला'एक अन्तर्राष्ट्रीय नगर बसाया गया है. महर्षि अरविन्द आश्रम अन्तर्राष्ट्रीय योग शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र के रूप में भी विख्यात है.
रूद्रेलाल मैरीन पर अरबिंदो ने फ्रांसीसी महिला मीरा अलफास्सा की सहायता से इस आश्रम की स्थापना की थी.हाँ का मुख्य सूत्र मानव एकता है.

गोल गुंबद के आकार मे बना मातृमंदिर ओरोविला [उषा नगरी] से १० किलों मीटर दूर है.
मंदिर के अंदर बने ध्यानकक्ष में रखा बडा क्रिस्टल बाल सूर्य की रोशनी में खूबसूरत आभा बिखेरता है.
यहीं एक बड़ा बरगद का पेड़ भी है जिसकी उम्र बहुत अधिक नहीं केवल १०० बरस बताई जाती है.
यह मंदिर फ्रांसीसी महिला द मदर द्वारा स्थापित हुआ था.श्री अरविंद जी ने उन्हें ही आश्रम का संचालन सोन्पा हुआ था.उन्हें श्रीमाता के नाम से भी जानाजाता है.
यह स्थान युनेसको द्वारा संरक्षित है.
रेफेरेंस-
Official web sites-
http://www.pon.nic.in/
http://tourism।puducherry.gov.in/

औरोविल के बारे में अधिक जानकारी के लिए -:

www.auroville.org

or-visit-:

La Boutique d’ Auroville,

38 J.Nehru Street,

Puducherry

Phone: 0413 – 2337264

5 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत मेहनत कर रहीं हैं ,बेहतरीन जानकारी,,धन्यवाद.

अनिल कान्त said...

आप बहुत अच्छी जानकारी देती हैं. यह सब बहुत मेहनत का काम है. आप यूँ ही आयेज भी हमें जानकारी देती रहें इसी आशा के साथ...

Asha Joglekar said...

पुडुचेरी के बारे में इस सुंदर जानकारी का धन्यवाद । आगे की प्रस्तुति का इंतज़ार है ।

Alka Ray said...

first time yahan ke bare men malum chala. arvind ghosh ji ke bare men padhkar bahut khushi huyi. hamare india men kitni sari cheejen hain jinko janana chahiye. ham to kahin nahi gaye. isliye aapki post se sab kuch samajhne ka mauka mil jata hai. ham itne se hi khush ho jate hain.
thank to you didi

Human said...

Very good 👍