दिनांक : 2 जून ,2024 कैंची धाम की आध्यात्मिक यात्रा
दिल्ली से उत्तराखंड के अल्मोड़ा शहर की तरफ सुबह लगभग 9 बजे रवाना हुए।
लगभग पाँच घंटे में नैनीताल स्थित कैंची धाम पहुँचे । जहाँ दर्शनार्थियों की बहुत लंबी लाइन थी परंतु कुशल व्यवस्था के चलते हमको दर्शन अच्छे हो गए। इस जगह नीब करौरी बाबा साधना किया करते थे।
नीब करोरी बाबा और उनकी धर्मपत्नी
बहुत -से श्रद्धालु उन्हें हनुमान जी का अवतार भी कहते हैं। इनका पूर्व का नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था। वे स्वयं हनुमान भक्त थे। राम नाम का जाप किया करते थे।
कैंची धाम पर हर मनौती(मन की कामना ) पूर्ण होती है ,ऐसी मान्यता है।
'15 जून ' कैंची धाम के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है ।इस दिन यहाँ बड़ा मेला लगता है।
नीब करौरी बाबा या लोग इन्हें नीम करौली भी कहते हैं उन्होंने 10 सितंबर 1973 को महासमाधि ली थी।
1974 में स्टीव जॉब्स बाबा नीम करोली के दरबार में आए लेकिन बाबा से मुलाकात नहीं हुई।
{वृंदावन में बाबा की समाधि है ।जहाँ उनका कंबल सुरक्षित रखा हुआ है। }
कैंची धाम में साधना स्थल है।यहाँ लोग कंबल चढ़ाते हैं। परंतु यह आवश्यक नहीं है। काले चने का प्रसाद हमें मंदिर से निकलते हुए मिला था।
मंदिर परिसर में एक स्थान सुरक्षित है जहाँ भक्त बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं।
प्रवेश द्वार के बाहर दुकाने हैं जिनसे प्रसाद या खाने-पीने की चीज़ें ले सकते हैं।
यहाँ निशुल्क टॉइलेट सुविधा भी है।
उलटी बहने वाली नदी :उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी कैंची धाम आश्रम से होकर गुजरती है। भवाली से होकर बहने वाली शिप्रा नदी दक्षिण से उत्तर की तरफ बहती है। इस कारण से इस नदी को उत्तरवाहिनी कहा जाता है।
यह बेहद रमणीक स्थल है। अद्भुत शांति है।
धाम के आसपास बहुत -से होम स्टे और निर्माणाधीन होटल हैं।दिन ब दिन बढ़ती भीड़ को देखते हुए यहाँ तेज़ी से होटल बन रहे हैं ।
कैसे जाएँ :-
सड़क मार्ग से भी आसानी से जा सकते हैं ,अब सड़कें बहुत अच्छी बन गई हैं।
नजदीकी रेलवे स्टेशन : काठगोदाम
काठगोदाम से कैंची धाम के लिए सीधी बस सेवा है।
हवाई अड्डा : 71 किमी दूर पंतनगर हवाई अड्डा है।
यहाँ फोटोग्राफी बिल्कुल मना है बस बाहर के चित्र ले सकते हैं।
चित्र देखें -
शिप्रा नदी पर बना पुल और दूर दिखता मंदिर
कैंची धाम का प्रवेश द्वार |
क्षेत्र कैंची धाम |
भवाली यह धाम से 9 किलोमीटर दूर है |
आगरा के रहने वाले प्रमोद जी की कलम से -
कैंची धाम से संबंधित 15 जून संबंधित एक प्रसंग।
प्यारी अम्मा....
श्री गुरु मां....
संत श्री नीब करौरी महाराज जी की धर्मपत्नी श्रीमती रामबेटी शर्मा जी...!!
94 वर्ष की उम्र का लंबा सफर तय करने के बाद अंतिम समय में चेहरे पर दिव्य मुस्कान लिए बुदबुदा रहीं है......."देखो अब मुझे जाना ही होगा......वो देखो.....वो सामने.... वे बुला रहे हैं.....देखा तुमने.... वे सामने खड़े है....."
भरे पूरे शोक संतप्त परिवार के बीच....गंगाजल से तृप्त हो....श्री महाराज की मनमोहक छवि को एकटक देखते देखते....उनके मुखारविंद पर असीम शांति के भाव आ गए.......और अम्मा सदा के लिए अपने परमेश्वर के श्री चरणों में स्थान पा गई....!!!
14 जून 1996
संध्या के 6 बजे का समय.....
स्थान 28/58 गोकुलपुरा आगरा
अगली सुबह....
15 जून 1996
जहां एक ओर..... श्री महाराज जी के आश्रम में हजारों श्रद्धालु महाभोज के अमृतमय प्रसाद से तृप्त हो रहे थे....वहीं दूसरी ओर कछला घाट (सोरों )अम्मा (श्री महाराज जी की धर्मपत्नी श्रीमती रामबेटी देवी जी)के अंतिम संस्कार पर आए हुए हजारों श्रद्धालुओं ने संस्कार के बाद प्रसाद ग्रहण कर रहें हैं।
15 जून की तारीख फिर जैसे एक बार स्मृतियों में कुछ नया इतिहास जोड़ गई।
एक ओर 15 जून का दिन श्री महाराज के प्रिय भक्तों के लिए आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है..........वहीं 15 जून के दिन श्री अकबरपुर धाम, श्री वृन्दावन धाम में गृहस्थ जीवन का प्रतीकात्मक भंडारा ,जो श्री गुरु मां को समर्पित किया जाता है,वह दूसरे पहलू को उजागर करता है।
तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा। जानत प्रिया एकु मनु मोरा॥
गृहस्थ जीवन और आध्यात्मिकता की डोर को कितनी सहजता से एक साथ अपने कर्तव्यों में बांधे परम संत महाप्रभु श्री महाराज जी रूपी सारथी ने अपने विराट अस्तित्व और उच्च कोटि की साधनाओं के द्वारा विश्व भर में ग्रहस्थ और आध्यत्मिक जगत का जो स्वर्णिम इतिहास रचा है, वह मन, बुद्धि और वाणी से परे है...!!
जय श्री महाप्रभु महाराज जी।
हर हर गंगे 🙏🏻
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