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आज महाराणा प्रताप की जयंती पर चलिये कुम्भलगढ़

महाराणा प्रताप (९ मई, १५४०- १९ जनवरी, १५९७) उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे. हिंदू कलेंडर के अनुसार उनका जन्म ज्येष्ठ शुक...

जल्द आ रही है एक नयी शृंखला ....

इंसान ने चाहे जितनी भी तरक्की कर ली हो मगर ढ़ेरों ऐसे रहस्य हैं जिनपर से पर्दा उठाना अभी बाकी है.
ऐसी ही कुछ जगहें  हैं जिनके बारे में हम बहुत कुछ सुनते हैं...
प्रमाणों के अभाव में उन बातों को साबित नहीं कर पाते तो कभी कुछ प्रमाण होते हुए भी सहज विश्वास नहीं कर पाते !
विज्ञान की स्नातक हूँ ,अंधविश्वासी कतई नहीं हूँ ...आस्तिक हूँ केवल इतनी कि कोई बहुत बड़ी शक्ति है जो हम सब को नियंत्रित करती है....विज्ञान ,इतिहास से अलग मेरी  रूचि का एक और क्षेत्र  रहा है वह है  'परा मनोवैज्ञानिक' विषय ...
बचपन में एक विशेषांक पढ़ा था ..शायद नव वर्ष पर नवभारत टाइम्स अखबार ने निकला था जिसमें मैडम क्युरी[?] की क्रिस्टल बॉल और ढ़ेरों भविष्यवाणियों का ज़िक्र था ..उस में अलौकिक शक्तियों के विषय में तस्वीरों सहित कुछ किस्से -लेख पढ़े थे तब से इस विषय में खासकर ऐसी जगहों के बारे में जानने की उत्सुकता रही जहाँ ऐसी गतिविधियों को अनुभव किया गया है.

इस शृंखला द्वारा मात्र उन  स्थानों के बारे में पाठक को बताना है जिनके बारे में तरह-तरह की बातें  प्रचलित हैं.जिन्हें 'भूतहा ' कहा जाता है , इन बातों में कितनी सच्चाई है मैं नहीं जानती इसलिए यहाँ लिखी सभी बातों पर विश्वास न करें .

इस कड़ी के लेखों का उद्देश्य अंध विश्वास फैलाना बिलकुल नहीं है ,न ही इन स्थानों के प्रति खौफ पैदा करना बल्कि जिन्हें इस विषय में रूचि है उन के लिए अंतर्जाल के विभिन्न स्त्रोतों से जानकारी एकत्र कर यहाँ उपलब्ध कराना है.

मैं भूत-प्रेतों में विश्वास नहीं करती लेकिन यह मानने को विवश हूँ कि इस लोक से इतर कोई और दुनिया भी इस ब्रह्माण्ड में है जिसके बारे में हम अनजान हैं.
एक न एक दिन उस दुनिया का रहस्य भी वैज्ञानिक ढूँढ़ निकालेंगे.तब तक इन बातों पर जो यहाँ बताई गयी जगहों के बारे में लोग कहते रहते हैं उन्हें जान लें और प्रयास करें कि क्या वाकई इन बातों में कोई सत्य है या नहीं.

इन सभी स्थानों पर जाने वाले लोगों के अनुभव अलग -अलग हैं.इसलिए कोई एक राय बना पाना कठिन है.परामनोविज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाले कई लोगों ने इन स्थानों पर जाकर कई प्रयोग किये और अधिकतर मानते हैं हैं कि नकारात्मक ऊर्जा कई स्थानों  पर मिली है.क्या इसी नकारात्मक उर्जा को जन साधारण भूत कह देता है ?
यह सोचना मैं आप पर छोड़ देती हूँ.
मगर इतना ज़रूर कहना चाहूँगी कि अगर आप ऐसे स्थानों पर जा कर अनुभव लेना चाहते हैं तो इन स्थानों के आसपास के स्थानीय लोगों की राय शुमारी भी ज़रूर ले लिजीये.

बस प्रतीक्षा  कीजिए ....जल्द आ रही है यह नयी  शृंखला .......

5 comments:

दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 07-01-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2214 में दिया जाएगा
धन्यवाद

Dr (Miss) Sharad Singh said...

प्रतीक्षा रहेगी ....

Himkar Shyam said...

विश्वास तो मुझे भी नहीं हैं। पर कुछ चीज़ों और शक्तियों के वजूद से इंकार भी नहीं किया जा सकता। जो रहस्यमय है वो निश्चय ही रोचक है। आपकी इस शृंखला की प्रतीक्षा रहेगी।

Unknown said...

जल्द publishe करिएगा जी।
कोइ तो जरूर है।
अदभूत एवम अलौकिक

विकास गुप्ता said...

आपकी इस श्रृंखला र का इंतजार है